NCLAT के चेयरपर्सन ने कहा IBBI को और अधिकार मिले

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अ प । ल । य न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय ने सोमवार को कहा कि दिवाला एवं या शोधन अक्षमता ब ड ब ड (आईबीबीआई) को और अधिकार दिए जाने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने शादाताओं की समिति (सीओसी) के लिए नियमनों का भी सुझाव दिया। मुखोपाध्याय ने यहां आईबीबीआई की स्थापना पर पहले वार्षिक दिवस व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा कि दिवाला एवं ऋा शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत निपटान के लिए आने वाले मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खासकर बैंकिंग प्रणाली से गैर- निष्पादित आस्तियों को समाप्त करने के प्रयासों से ऐसे मामलों में इजाफा हो रहा है। इस संहिता का क्रियान्वयन आईबीबीआई द्वारा किया जा रहा है। मुखोपाध्याय ने कहा कि आईबीबीआई को अधिक अधिकार दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सीओसी के कामकाज पर एक नियामकीय निकाय होना चाहिए। अन्यथा यह काफी मुश्किल होगा, क्योंकि हर मामले में अदालत कानून नहीं बना सकती। मुखोपाध्याय के मुताबिक 1,100 कंपनियां दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत आई हैं और इनमें से करीब 250 ने प्रक्रिया को पूरा कर लिया है। इनमें या तो समाधान किया गया है अथवा कंपनी का परिसमापन किया गया है।