बिल्डरों सहित अन्य बकाएदारों पर डीएम ने कसा शिकंजा, करोड़ों रुपए की हुई वसूली




गाजियाबाद। जिलाधिकारी की राजस्व सम्बन्धी पैनी नजर से बिल्डरों और फ्लैटधारकों में खलबली मची हुई है। ऐसा इसलिए कि राजस्व के छोटे-बड़े तमाम बकाएदारों पर जिला प्रशासन ने अपना शिकंजा लगभग पूरी तरह से कस दिया  है। यही वजह है कि करोड़ों रुपए की वसूली करने की प्रशासनिक कोशिश अभी जारी है। खासकर, जिनके खिलाफ तहसीलों से रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी हो चुके हैं, उनसे सख्तीपूर्वक  वसूली की जा रही है। सच कहा जाए तो जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी के अथक प्रयास और कड़े तेवर के चलते यह कार्रवाई जारी है।जिलाधिकारी के मुताबिक, जिनके खिलाफ आरसी जारी की गई, उनमें से बिल्डरों समेत बड़े बकाएदारों से अप्रैल से नवंबर माह तक 552 करोड़ रुपए में से 248 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं। इसके अलावा, अब भी बकाया वसूलने की कार्रवाई जारी है, क्योंकि बिल्डरों समेत अन्य बकाएदारों को मिलाकर अब भी हजारों की संख्या में लोगों के पास धनराशि बकाया है। विशेषकर जनपद की सदर तहसील, लोनी तहसील और मोदीनगर तहसील क्षेत्र अंतर्गत इन बड़े-छोटे बकाएदारों से राजस्व की वसूली की गई। यही नहीं, आरसी जारी होने के बाद भी जिन बिल्डरों और अन्य बकाएदारों ने धनराशि जमा नहीं की है, जिला प्रशासन द्वारा वसूली कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि 31 मार्च 2019 तक राजस्व का लक्ष्य पूरा करने के लिए यह कार्रवाई जारी रहेगी।दरअसल, जीडीए का बिल्डरों और अन्य आवंटियों पर करोड़ों रुपए बकाया होने के बाद ही यह आरसी जारी की गई। इस बाबत जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी के निर्देश पर इन बकाएदारों से भी लगभग 300 करोड़ रुपए कुछ माह में ही वसूला गया।  इंदिरापुरम स्थित हैबिटेट सेंटर से करीब 130 करोड़ रुपए की वसूली गई। इसके अतिरिक्त, नक्शा पास कराने के बाद बिल्डरों द्वारा पैसा जमा न कराने पर आरसी जारी करने के बाद किश्तों में उनसे पैसा वसूला गया। यही नहीं, जिनके खिलाफ आरसी जारी हो चुकी है, उन बिल्डरों एवं अन्य बकाएदारों से भी वसूली की जा रही है। बता दें कि जीडीए का बिल्डरों पर नक्शे के अतिरिक्त बाहय शुल्क और आंतरिक शुल्क के अलावा आवंटित किए गए भवन-भूखंड का करीब 560 करोड़ रुपए बकाया है, जिसमें से लगभग 300 करोड़ रुपए वसूला जा चुका है।


दरअसल, बिना फ्लैट की रजिस्ट्री कराए ही आवंटियों को फ्लैट और अन्य पर कब्जा देने वाले बिल्डरों की अब जांच होने वाली है। क्योंकि जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी ने स्टाम्प विभाग के एआईजी मेवालाल पटेल से इन सभी की रिपोर्ट मांगी है। लिहाजा, स्टाम्प विभाग अब उन बिल्डरों की रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिनके द्वारा आवंटियों के पक्ष में रजिस्ट्री तो नहीं कराई गई, लेकिन कब्जा दे दिया गया। खबर है कि इन बिल्डरों द्वारा रजिस्ट्री न कराए जाने की वजह से अभी भी तकरीबन 300 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व इनके पास फंसा हुआ है। यही वजह है कि डीएम के आदेश पर गत सितंबर माह में स्टाम्प विभाग ने सर्वे कर उन 46 बिल्डरों को नोटिस जारी किए थे, जिन्होंने फ्लैट की रजिस्ट्री आवंटियों के पक्ष में नहीं कराई थी।खबर है कि इस नोटिस के मिलते ही कुछ बिल्डरों ने पिछले माह अक्टूबर में रजिस्ट्री आवंटी के पक्ष में की, जिससे करीब 180 करोड़ रुपए का राजस्व मिला। दरअसल, अपार्टमेंट एक्ट- 2011 के तहत अब फ्लैट पर कब्जा देने से पहले ही बिल्डरों को जीडीए से कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेना होता है, जिसके बाद ही बिल्डर आवंटियों के पक्ष में रजिस्ट्री कर सकेगा। लेकिन पता चला है कि बिल्डरों ने आवंटी से पूरा पैसा तो ले लिया, किंतु  उनके पक्ष में रजिस्ट्री नहीं करवाई। इस सम्बंध में एआईजी स्टांप मेवालाल पटेल ने बताया कि कुछ बिल्डरों ने फ्लैट और  दुकानों की रजिस्ट्री तो करवाई है, लेकिन बहुत से बिल्डर अभी भी आवंटी के पक्ष मेें रजिस्ट्री नहीं करवाएं हैं। इसलिए वो डीएम के निशाने पर हैं। यही वजह है कि जिलाधिकारी को अब इनकी रिपोर्ट जल्द सौंपी जाएगी, जिसके बाद इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।