हवा से बातें करते लखनऊ, पटना, रांची

अब आप दिल्ली, मुंबई या बैंगलुरू जैसे महानगरों की तो बात ही छोड़िए, अब तो स्थिति यह है कि छोटे और मझोले दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों के हवाई अड्डों के अंदर- बाहर भी मुसाफिरों की भारी भीड़ लगी रहती है। प्रतीक्षालयों में बैठना तो दूर खड़े होने की जगह में भी दिक्कत है I ये सब देश-विदेश आ-जा रहे होते हैं। इनमें किसी रेलवे स्टेशन या बस अड्डे जैसा ही मंजर दिखाई देता है। लखनऊ, अमृतसर, पटना, त्रिचि, नागपुर देहरादून जैसे शहरों के हवाई अड्डों  में भी अब तिल रखने की जगह नहीं बची होती। ये तस्वीर है नए भारत के हवाई अड्डों की।इन तमाम हवाई अड्डों से लोग दुबई,यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया वगैरह घूमने के लिए निकल रहे होते हैं, तो कुछ काम-धंधे के सिलसिले में अन्य देशों में बाहर जा रहे होते हैं। भारत से बाहर जाने वाले 30 फीसद लोग सिर्फ घूमने के लिए जाते हैं। माना जा रहा है कि साल 2025 तक डेढ़ करोड़ भारतीय हर साल सैर-सपाटा के लिए देश से बाहर जाने लगेंगे। इनमें छोटे-मझोले शहरों के लोगों की तादाद खासी अधिक होगी।दरअसल, अपने देश की सुबह-शाम कमियां ठूँढ- ठूँढकर निकालने वाले भूलते हैं कि इसी भारत में करोड़ों लोग रेल के स्थान पर हवाई सफर पसंद करने लगे हैं। इन्होंने अपनी नौकरी या कारोबार में पैसा कमाया है, कमा रहे हैं। तो यदि समय की बचत के लिए ये हवाई यात्रा करते है तो अच्छी बात है I दूसरी बात यह भी है कि इन्होंने हवाई सफर इसलिए भी करना अधिक शुरू कर दिया है, क्योंकि;मोदी शासन कल में हमारे यहां हवाई अड्डों की संख्या बढ़ती ही चली जा रही है। सत्तर साल में सत्तर एयरपोर्ट और मात्र 4 साल में सवा सौ नये एयरपोर्ट चालू और अगले दो-तिन वर्ष में 400 एयरपोर्ट की महत्वकांक्षी योजना दूसरी बात यह भी कि हवाई सफर में वक्त बेहद कम लगता है। अब अनेक शहरों में एक हवाई अड्डे से काम नहीं चल रहा है।दरअसल महानगरों की ही तरह से छोटे समझे जाने वाले शहरों में भी अब लोगों के पास धन की पर्याप्त आवक चालू हो गई है। अब आप गोरखपुर, पटना, रांची जैसे शहरों के नौजवानों को बैंगलुरू, दिल्ली, पुणे से लेकर अमेरिका और यूरोप के देशों में नौकरी करते हुए जाते पाएँगे। ये सब ठीक-ठाक कमाते हैं। ये जो कमाते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा अपने परिवारों को भी भेजते भी हैं। जाहिर है, इससे उनके परिवारों की माली हालत सुधर गई है। ये ही लोग हवाई सफर करने लगे हैं। मैं बिहार के बहुत से परिवारों को जानता हूं,जिनके बेटे छठ के मौके पर दो-चार दिन अपने परिवारों के साथ बिताने के लिए चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली, पुणे, अहमदाबाद, सूरत वगैरह से घर आ गए थे। ये सब हवाई सफर करके छठ पर घर गए थे।हरेक बिहारी छठ पर अपने परिवार के साथ ही रहना चाहता है। पहले वे साधनों की कमी के कारण अपने घर नहीं जा पाते थे। अब उसके पास साधन भी हैं और हवाई यात्रा करने का विकल्प भी। ये ही स्थिति सभी पर्वों पर देखने को मिलती है। उदाहरण के रूप में दिवाली पर हजारों लोगों ने अपने घरों के लिए उड़ानें भरीं। दुबई और अबू धाबी तक से लोग दो-तीन दिन के लिए दिवाली और भाई दूज मनाने के लिए आए। ये ही स्थिति इर्द पर भी होती है। उस दौरान खाड़ी के देशों से दिल्ली,मुंबई, कोच्चि आने वाली उड़ानों में हजारों भारतीय आ जाते हैं। ये फिऱ लखनऊ, पटना, रांची , अहमदाबाद जाते हैं। अब क्रिसमस पर भी हजारों मलयाली ईसाई खाड़ी के देशों से भारत आएंगे। ये सब कुछ दिनों के लिए आकर वापस चले जाते हैं।यानी देश में बीते 20-25 सालों में एविएशन सेक्टर पूरी तरह से बदल गया है।  सन 1990 तक दिल्ली-मुंबई के बीच रोज सुबह –शाम दो-दो फ्लाइट चलती थीं। आज इनकी संख्या 100 की संख्या पार कर गई है। इनमें चार्टर्ड फ्लाइट शामिल नहीं हैं। क्या आप मानेंगे किदुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते टॉप-10 हवाई अड्डों में इस साल भारत के दो हवाई अड्डोंने अपनी जगह बना ली है?इस सूची में बेंगलुरु का केम्पेगोडा हवाईअड्डा   दूसरे स्थान पर है, वहीं दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा छठे नंबर पर है। यह निष्कर्ष है ग्लोबल एयरलाइंस इवेंट ऑर्गनाइजर रूट्स ऑनलाइन नाम की संस्था का।इसके मुताबिक, बेंगलुरु के केम्पेगोडा एयरपोर्ट पर2018 के पहले छह महीनों में लगभग 41,80,852 यात्रियों की बढ़त के साथ रेकॉर्ड1,58,50,352 यात्री आए। वहीं दिल्ली के एयरपोर्ट से जनवरी से लेकर जून तक इस साल3,49,05,629 यात्रियों ने यात्रा की और पिछले साल के मुकाबले इस बार32,76,183 मुसाफिर अधिक थे।इस सर्वे में पहले स्थान पर तोक्यो का हनेदा हवाई अड्डा रहा।बहरहाल, सरकार ने एक आरटीआई के जरिए पूछे गए सवाल के जवाब में माना है कि देश के सबसे व्यस्त 50 में से 25 एयरपोर्ट अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं। इनमें मुंबई, बैंगलुरू हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे आदि शामिल हैं। उधर,दिल्ली,कोलकाता,चैन्नई,गोवा,लखनऊ हवाई अड्डे जल्दी ही अपनी क्षमता से अधिक मुसाफिरों को लाने- उतारने का काम करने लगेंगे। ये सब एयरपोर्ट भी पीक समय में अपनी क्षमताओं को पार कर जाते हैं। इस कारण इनके भीतर लंबी लाइनें लग जाती हैं सुरक्षा घेरे से निकलने के लिए। ये बढ़ती भीड़ सुरक्षा के लिए खतरे की घंटे भी है। दरअसल अत्यधिक भीड़ की स्थिति में सुरक्षा में चूक की आशंका बनी रहती है।केन्द्र सरकार ने विगत 2 मई को चेन्नई,गुवाहाटी और लखनऊ हवाई अड्डों के विस्तार की योजना को मंजूरी दे दी है। इनके विस्तार पर क्रमश:2,467 करोड़,1,232, करोड़,1,383, करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसके अलावा सरकार देश के विभिन्न हवाई अड्डों के विकास और विस्तार के लिए एक लाख करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। ये सब काम आगामी 3-4 वर्ष में पूरा होगा।चूंकि हवाई अड्डों पर मुसाफिरों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है, इसे देखते हुए सरकार  नवी मुंबई, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर),मोपा (गोवा), पुरंदर (पुणे), भोगापुरम (विशाखापट्टनम), धोलेरा (अहमदबाद) और हीरासर (राजकोट) में भी नये हवाई अड्डों को मंजूरी दे चुकी है। सरकार आगामी 5 वर्षों के दौरान दिल्ली, बैंगलुरू और हैदराबाद हवाई अड्डों की क्षमता को बढ़ाने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है।आप देखेंगे कि देश में मिडिल क्लास की बढ़ती संख्या और एविएशन सेक्टर का विकास एक दूसरे से जुड़े हैं।चूंकि, मिडिल क्लास ने अब हवाई यात्रा धड़ल्ले से शुरू कर दी है, इसलिए नए-नए हवाई अड्डों के निर्माण की आवश्यकता महसूस भी हो रही है। यह क्रम जारी ही रहने वाला है। इसका सीधा असर यह हो रहा है कि देश के एविएशन सेक्टर में रोजगार के अवसर भरपूर पैदा हो रहे हैं। यह स्थिति सुखद है।


(लेखक राज्य सभा सदस्य हैं)


 








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