अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम का नक्शा बकाया राशि जमा करने के बाद ही पास होगा : कंचन वर्मा




गाजियाबाद। स्थानीय राजनगर एक्सटेंशन में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का नक्शा बकाया 7.77 करोड़ रुपए जमा कराने के बाद ही पास हो सकेगा। खबर है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने स्टेडियम का पैसा जमा कराने के बाद ही इसका नक्शा पास करने के निर्देश दिए हैं।इस सम्बन्ध में जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने साफ कहा कि बगैर पैसा जमा कराए स्टेडियम का नक्शा पास नहीं हो सकेगा। क्योंकि कैग इस पर पहले ही आपत्ति जता चुका है। लिहाजा, जीडीए ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से इतनी ही कीमत की संपत्ति गिरवी रखने या फिर पैसा जमा कराने के लिए कहा है। उन्होंने यह भी बताया कि यूपीसीए पैसा जमा कराने के साथ ही शपथ पत्र देकर असहमति भी जता सकता है। इसके अलावा, वह पैसा जमा कराकर अंडर प्रोटेस्ट (विरोध के तहत) का शपथ पत्र भी जमा करा सकता है। इसके बाद ही स्टेडियम का नक्शा पास करने की प्रक्रिया शुरू होगी।बता दें कि राजनगर एक्सटेंशन में उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की 33.54 एकड़ जमीन पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण करने की योजना हैं। इसी सिलसिले में उसने जीडीए की मध्यस्थता से सीधे किसानों से जमीनें खरीदी है। लेकिन, जीडीए की ऑडिट जांच में नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने उत्तरप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से प्रशासनिक शुल्क नहीं लेने पर आपत्ति जताई थी। लिहाजा, उनकी आपत्ति के बाद जीडीए ने यूपीसीए से प्रशासनिक शुल्क हेतु 7.77 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा है।हालांकि, यूपीसीए ने अब तर्क दिया कि स्टेडियम के लिए जमीन खरीदने में जीडीए ने सिर्फ मध्यस्थता की है, जबकि किसानों से उसने सीधे जमीन अधिग्रहण की है। लिहाजा प्रशासनिक शुल्क का सवाल ही नहीं उठता है। यही वजह है कि जीडीए ने अब यूपीसीए को पैसा जमा नहीं कराने के एवज में इतनी ही कीमत की संपत्ति गिरवी रखने की सलाह दी है। साथ ही यह सुझाव भी दिया है कि यदि यूपीसीए पैसा जमा कराता है तो वह इसके साथ ही अंडर प्रोटेस्ट का शपथ पत्र भी जमा करा सकता है जिसे शासन को भेजा जाएगा। उसके बाद, शासन से निर्णय होने के पश्चात ही उसे अंतिम माना जाएगा।जानकारों के मुताबिक, कैग की आपत्ति यह है कि राजनगर एक्सटेंशन में भूमि अधिग्रहण के लिए जीडीए का प्रशासनिक शुल्क जमा नहीं कराया गया है। जबकि, नियमानुसार किसानों को जमीन की कीमत देने के साथ ही जीडीए को भी 10 फीसद प्रशासनिक शुल्क का भुगतान किया जाता है। हलांकि, यूपीसीए इससे असहमत है। यही वजह है कि जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने स्पष्ट कह दिया है कि कैग की आपत्ति के अनुरूप 7.77 करोड़ रुपए यूपीसीए को जमा कराना ही होगा। उसके बाद ही इस स्टेडियम का नक्शा पास किया जाना संभव होगा। यह बात अलग है कि वो इतनी कीमत की संपत्ति भी गिरवी रख सकते हैं। यही नहीं, वो पैसा जमा कराते हुए उसके साथ अंडर प्रोटेस्ट का शपथ पत्र भी दे सकते हैं, जिसे शासन को भेजा जाएगा। उसके बाद शासन से जो भी अंतिम निर्णय होगा, वही माना जाएगा।