अवैध कॉलोनियों पर लगाम कसने हेतु जीडीए बनवाएगा मोबाइल ऐप
    शीघ्र ही विभिन्न कॉलोनियों की ऑनलाइन पहचान सुनिश्चित हो सकेगी

गाजियाबाद। अब जीडीए सीमा क्षेत्र में स्थित विभिन्न अवैध कॉलोनियों की ऑनलाइन पहचान सम्भव हो सकेगी, क्योंकि जीडीए नेतृत्व एक ऐसा मोबाइल ऐप बनवाएगा जिससे सम्बन्धित कॉलोनियों की ऑनलाइन मैपिंग के माध्यम से परख सुनिश्चित होगी। लिहाजा, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की सीमा क्षेत्र में कौन-कौन सी अवैध कॉलोनी है, इसकी पहचान कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन माध्यम से कर सकेगा और सम्बन्धित अवैध कॉलोनियों के बारे में हर तरह की समुचित जानकारी ले सकेगा। 

खबर है कि जीडीए अपने सभी 8 जोन अंतर्गत अलग-अलग मैपिंग प्रणाली अपनाएगा जो ऑनलाइन देखी जा सकेगी। इससे किसी भी जागरूक व्यक्ति को पता लग सकेगा कि सम्बन्धित क्षेत्र में कहां पर और कौन सी अवैध कॉलोनी है, जिसमें लोग मकान अथवा भूखंड खरीदने से बच सकें। इस बाबत जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा का कहना है कि मैपिंग ऑनलाइन से अवैध कॉलोनियों की परख हो सकेगी। क्योंकि जीडीए द्वारा जल्द ही एक ऐसा ऐप बनवाया जाएगा, जिसमें आवश्यक फीचर उपलब्ध हो। इस मैपिंग को वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा, ताकि हर कोई इसे देख सके। 

बता दें कि गत 22 जुलाई को आकाशनगर और खोड़ा में बहुमंजिली इमारतें धराशाई होने के बाद शासन ने जीडीए को ज्योग्राफिकल इंनफॉर्मेसन सिस्टम से अवैध निर्माण चिन्हित करने के निर्देश दिए थे। जिसके आलोक में जीडीए द्वारा लखनऊ के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर को नामित किया गया है। इसके बाद आरएसएसी ने जीडीए के 8 जोन का वर्ष-2016 और वर्ष-2018 का नक्शा दे दिया है, जिसके आधार पर जीडीए अब इस मैप का साफ्ट मानचित्र बनवाएगा। जिस पर लगभग 2 लाख रुपए खर्च होगा। 

उल्लेखनीय है कि जीडीए के सभी 8 जोन के करीब 65 उपजोन हैं, जिन सभी का अलग-अलग मानचित्र बनवाया जाएगा। इसमें 2 लाख रुपए खर्च होने की संभावना है। बताया गया है कि प्रत्येक 2 माह बाद इसी तरह का खर्च आएगा। लिहाजा, जीडीए ने अब इस मैपिंंग को ऑनलाइन करने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसे वह जोन और उपजोन वार अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा। इसके लिए एक ऐप भी बनावाया जाएगा, ताकि कोई भी व्यक्ति आसानी से अपने मोबाइल पर यह सब देख सके और सही निर्णय ले सकें। समझा जा रहा है कि लोग इससे जागरुक होंगे और अवैध कॉलोनियों में फ्लैट व भूखंड लेने से बच सकेंगे।