जीआईएस से मैपिंग की तैयारियों में जुटा जीडीए




गाजियाबाद। अवैध बिल्डिंग निर्माण करने वाले अब प्राधिकरण की नजरों से बच नहीं सकेंगे। क्योंकि जीडीए अब  गूगल इमेजरी के जरिये शहर में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण कार्यों पर शिकंजा कसने की तैयारियों में जुट गया है। खबर है कि प्राप्त इमेजरी के हिसाब से अवैध निर्माण कर रहे बिल्डरों पर जीडीए तत्काल सख्त कार्रवाई कर सकेगा। बता दें कि इन दिनों रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरसीएसी) द्धारा गूगल इमेजरी से गाज़ियाबाद शहर की हर एंगल से मैपिंग की जा रही है। बताया गया है कि इस सप्ताह  में गूगल इमेजरी से शहर की मैपिंग पूरी हो जाएगी, जिसके बाद जीडीए उसे अपने नक्शे पर अटैच कर अवैध निर्माण चिन्हित  करेगा। और फिर उनकी पूरी सूची बनाकर पहले नोटिस जारी की जाएगी, फिर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि जीडीए क्षेत्र में लगभग 340 अवैध कॉलोनियां हैं, जिनमें हजारों अवैध निर्माण हो चुके हैं। लेकिन पर्याप्त संसाधनों की कमी के चलते जीडीए ऐसे अवैध निर्माण कार्यों को चिह्नित नहीं कर पा रहा था।प्राप्त विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 में महज 1387 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए थे, जिनको ध्वस्त करने के लिए आदेश जारी हुए थे। लेकिन आलम यह है कि उनमें से मात्र 343 ध्वस्त किये गए, जबकि 1044 पर कार्रवाई नहीं हो सकी। बहरहाल, गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष कंचन वर्मा द्धारा वर्तमान वित्त वर्ष 2018-19  में 310 अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश हुए हैं, जिनमें से महज 74  ध्वस्त हुए हैं और शेष 236 निर्माण ज्यों के त्यों खड़े हैं। यह बात दीगर है कि कछुआ चाल से ही सही, लेकिन ध्वंसात्मक कार्रवाई जारी है।याद दिला दें कि पिछले दिनों शासन ने आदेश जारी किये थे    कि अवैध निर्माण रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जाए। साथ ही, यत्र तत्र चल रहे अवैध निर्माण कार्यो को हर हाल में रुकवाया जाए। ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति नियम विरुद्ध  निर्माण न कर सके। इसके लिए भी कड़े कदम उठाए जाएं। यही वजह है कि तब शासन ने सुझाव दिया था कि इसके लिए शहर की ज्योग्राफिक इनफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) से मैपिंग कराई जाए। उसके बाद जीडीए ने इस आदेश पर लखनऊ स्थित रिमोट सेंसिंग  एप्लीकेशन सेंटर (आरसीएसी) को गूगल इमेजरी से शहर की मैपिंग करने की जिम्मेदारी दी है।बहरहाल, आरसीएसी के अधिकारियों ने जीडीए को अवगत कराया कि उन्होंने 80 फीसद मैपिंग कार्य कर लिया है जो इस सप्ताह तक पूरा हो जाएगा। उसके बाद वह जीडीए को 2016  और 2018 के जीआइएस आधारित डिजिटल नक्शे देंगे। जिसे  नियोजन विभाग के नक्शे पर प्रिंट करके जीडीए कर्मी अवैध निर्माण को चिह्नित करेगा। उसके बाद ही अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ प्राधिकरण कोई ठोस कार्रवाई करेगा।