जीडीए स्क्रीनिंग कमेटी के नवनियुक्त सदस्य को लेकर भाजपा पार्षदों में मचा घमासान







गाजियाबाद। जनपद भाजपा में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। पार्टी के प्रभावी राजनेता सर्वसम्मत फैसले लेने की बजाय कभी कभी अपने खास लोगों को ज्यादा तरजीह दे देते हैं, जिससे प्रभावित राजनेता अपनी ही पार्टी के फैसले की मुखालफत शुरू कर देते हैं। ताजा मतभेद गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की स्क्रीनिंग कमेटी में जीडीए बोर्ड सदस्य कृष्णा त्यागी को गुपचुप तरीके से नामित करवाए जाने पर सामने आया है।

खबर है कि जीडीए बोर्ड के ही अन्य 3 पार्षदों ने अब इसी बात को लेकर आपसी घमासान शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि साहिबाबाद से भाजपा विधायक सुनील शर्मा के करीबी पूर्व पार्षद वीरेंद्र त्यागी की पत्नी कृष्णा त्यागी, जो जीडीए बोर्ड की सदस्य भी हैं, को जीडीए में स्क्रेनिंग कमेटी का सदस्य बनाया गया है। हैरत की बात तो यह है कि जीडीए बोर्ड के अन्य सदस्य हिमांशु मित्तल और सचिन डागर को इस बात की कानो-कान खबर भी नहीं लगने दी गई। यही वजह है कि  पार्षद हिमांशु मित्तल और सचिन डागर के अलावा जीडीए बोर्ड के सपा सदस्य आसिफ खान ने भी श्रीमती कृष्णा त्यागी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि भाजपा के दोनों पार्षद जहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से इसकी शिकायत करने के साथ साथ समुचित कार्रवाई की भी मांग कर रहे हैं, वहीं सपा के आसिफ खान भी इस मामले में भाजपा पार्षद के खिलाफ दिख रहे हैं। बता दें कि जीडीए बोर्ड सदस्य के रूप मेें भाजपा के 3 पार्षद हिमांशु मित्तल, सचिन डागर और कृष्णा त्यागी नामित हैं, जबकि आसिफ खान सपा से नामित हैं। 

दरअसल, जीडीए में एक स्क्रीनिंग कमेटी होती है, जिसमें जीडीए के 4 अधिकारी और 1 जीडीए बोर्ड सदस्य शामिल किए जाते हैं। समझा जाता है कि जीडीए ने पूर्व पार्षद वीरेंद्र त्यागी की पत्नी कृष्णा त्यागी को गुपचुप तरीके से स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल कर लिया। लेकिन जब इस बात की खबर जीडीए बोर्ड के अन्य तीनों सदस्यों को लगी तो उनके अरमान धूल धूसरित हो गए। यही वजह है कि सचिन डागर ने जहां विधायक सुनील शर्मा से साफ तौर पर अपनी आपत्ति जताई है, वहीं हिमांशु मित्तल ने भी सूबे के राज्यमंत्री और नगर विधायक अतुल गर्ग से इसकी शिकायत की है।बीजेपी मामलों के जानकारों ने बताया है कि जनपद बीजेपी कई खेमों में बंट चुकी है, इसलिए सभी को संतुलित करने के लिए सूबाई नेतृत्व साहिबाबाद विधायक श्री शर्मा को ज्यादा तरजीह दे रहा है। खासकर प्रशासनिक मामलों में उनकी बढ़ती अहमियत से अन्य लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है। लेकिन संघ से निकटता का लाभ सुनील शर्मा को मिल रहा है, व्यक्तिगत हित के लिए नहीं, बल्कि संगठनात्मक मजबूती के लिए!