महापौर आशा शर्मा ने निगम की जमीन कब्जाने वाले भू-माफियाओं को लगाई लताड़







गाजियाबाद। महापौर आशा शर्मा ने नगर आयुक्त सीपी सिंह की मौजूदगी में शुक्रवार को भूमाफियाओं की बखिया उघेड़ दी। साथ ही, इससे निजात पाने में दिख रही अक्षमता के सवाल पर उन्होंने इशारे ही इशारे में निगम प्रशासन को भी अपनी ही नजरों के कठघड़े में खड़ा कर दिया। चलते चलते पार्किंग और यूनिपोल माफियाओं की कलई खोल दी। इस प्रकार अपने एक साल के कार्यकाल को दाग रहित बताने की उन्होंने पूरी चेष्टा की। 

 

दरअसल, अपनी एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर स्थानीय राजनगर स्थित एक होटल में उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों के साथ मिलकर एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया औऱ अपनी एक वर्षीय उपलब्धियां मीडिया के सामने रखते हुए निगम प्रशासन की अक्षमता का भी भंडाफोड़ कर दिया। जिससे वहां मौजूद नगरायुक्त सीपी सिंह सहित नगर निगम के अन्य आलाधिकारी सकपकाए प्रतीत हो रहे थे। 

 

 

महापौर आशा शर्मा ने दावा किया कि मेरा एक साल बेमिसाल रहा। उन्होंने इसके लिए सबसे ज्यादा आभार सफाई कर्मचारियों का जताया और उन्हें ईश्वर का दर्जा दिया। उन्होंने कहा कि ईश्वर हमारे हृदय और मस्तिष्क को स्वच्छ करते हैं, जबकि सफाई कर्मचारी हमारे शहर व घर के आसपास की सफाई करते हैं। इसलिए दोनों का कार्य एक ही है। 

श्री मती शर्मा ने आगे कहा कि वर्ष 2017 के स्वच्छता सर्वेक्षण में गाजियाबाद देश में 351वें पायदान पर था, जो वर्ष 2018 में वहां से उठकर देश में 36 वें पायदान पर पहुंच गया। वहीं, उत्तर प्रदेश में दूसरे स्थान पर आ गया। यही नहीं, लिवेबिलिटी इंडैक्स में हम देश में 46 वें पायदान पर पहुंच गये, जबकि दिल्ली 65 वें पायदान पर जा चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के लिए पिंक ट्वायलेट बनाने वाला गाजियाबाद देश का पहला शहर बन गया है और गाजियाबाद नगर निगम ऐसा करने वाला पहला निगम। इसके अलावा, गाजियाबाद ने भारत में फास्टेस्ट मूविंग लार्ज सिटी में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। 

महापौर आशा शर्मा ने आगे बताया कि मेरा और नगर-निगम का लक्ष्य भू-माफियाओं के चंगुल से नगर-निगम की भूमि को कब्जामुक्त कराना है। उन्होंने कहा कि नगर-निगम को कूड़ा प्लांट के लिए जमीन नहीं मिल रही है, नलकूप बोरवैल करने के लिए भी जमीन नहीं मिल रही है, जबकि भू-माफिया निगम की जमीन पर सालों से कब्जा किए बैठे हैं और नगर निगम अब तक उसे मुक्त नहीं कराया पाया है। 

वहीं, उन्होंने यह भी बताया कि पार्किंग और यूनिपोल की हेराफेरी की भी बहुत चर्चा है। मैंने जब पुराने वर्षों की पत्रावलियों की जांच की तो यह पाया कि जिसने भी पार्किंग चाहे टैंडर के माध्यम से ली अथवा किसी अन्य माध्यम से ली हो, उसकी पूर्ण धनराशि नगर-निगम को जमा नहीं हुआ और कुछ पार्किंग माफिया उसी पार्किंग को अगले वर्ष दूसरे नाम से ले लेते थे और धनराशि जमा नहीं करते थे, लेकिन खुशी की बात है कि वह सब अब बंद करा दिये गये हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि पार्किंग नीति बनेगी और उचित कार्यवाही भी होगी।