मूल कार्य से इतर कार्य करवाने पर नाराज चल रहे हैं 82 निगम कर्मी

गाजियाबाद। नगर आयुक्त चन्द्रप्रकाश सिंह की मनमानी अब कतिपय निगम कर्मियों पर भारी पड़ने लगी है। यही वजह है कि परेशान होकर 6 दर्जन से अधिक निगमकर्मियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर रुख किया है। खबर है कि कोर्ट ने निगम का पक्ष जानने के लिए उसे एक पखवाड़े का वक्त दिया है।खबर है कि नगर निगम द्वारा घर-धर कूड़ा कलेक्शन कार्यों का यूजर चार्ज वसूलने के लिए जलकल विभाग के 82 कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है, जो कि उनके मूल कार्य से इतर का काम है।यही वजह है कि नए कार्य में लगाए गए कर्मचारियों ने खफा होकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में निगम प्रशासन के ऊपर मुकदमा कर दिया है। बताया गया है कि करीब 82 कर्मचारियों की ड्यूटी कूड़ा का यूजर चार्ज वसूलने में लगाई गई है, जिससे खफा होकर 82 कर्मचारियों ने कोर्ट में केस कर दिया है। उधर, हाईकोर्ट ने भी याचिका पर सुनवाई करते हुए 15 दिन में नगर निगम को जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।दरअसल, नगर आयुक्त चंद्र प्रकाश सिंह ने पिछले दिनों निगम के जलकल विभाग के 82 कर्मचारियों की ड्यूटी कूड़ा कलेक्शन का यूजर चार्ज वसूलने में लगाई थी। जिसका जलकल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कर्ण सिंह समेत अधिकांश कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जलकल विभाग के कर्मचारियों का कार्य पंप ऑपरेट करना है, क्योंकि इनकी भर्ती भी इसके लिए ही की गई थी। लेकिन प्रशासन पर निजीकरण के बढ़ते दबाव के चलते निगम प्रशासन ने शहर में सभी टूयबवेल के संचालन का ठेका प्राइवेट कंपनी को दे दिया। सूत्र बताते हैं कि इस कार्य में निर्णय लेने की प्रक्रिया से जुड़े कतिपय लोगों की जेब भी गर्म होती हैं, जिससे वे कर्मचारी हितों की अनदेखी कर जाते हैं।शायद इसलिए इस कार्य से मुक्त किए गए जलकल विभाग के 82 कर्मचारियों ने गत दिनों निगम अधिकारियों से मूल कार्य न लेकर यूजर चार्ज वसूलने के कार्य में ड्यूटी लगाए जाने पर अपना गहरा विरोध दर्ज करवाया और उनके कर्मचारी संघ ने निगम के खिलाफ हाईकोर्ट में केस दर्ज कर दिया है। इस सम्बंध में जलकल विभाग के महाप्रबंधक शैलेंद्र पाठक का कहना है कि हाईकोर्ट में केस के मामले में अपना पक्ष रखने के लिए जवाब दाखिल किया जाएगा। अब निगम द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि वह कितना सही है और कितना गलत। कोर्ट का निर्णय भी इसी के अनुरूप आएगा। अब चाहे जो भी हो, लेकिन निगम कर्मी और उनके परिजन अगले कुछेक सप्ताह तक तनाव से गुजरेंगे ही!