तुलसी निकेतन में रजिस्ट्री वालों को ही किराए पर भवन देगा जीडीए

गाजियाबाद। स्थानीय तुलसी निकेतन कॉलोनी में जर्जर हो चुके 2292ईडब्ल्यूएस और एलआईजी फ्लैट्स को जीडीए द्वारा तोड़े जाने का फरमान जारी किए जाने के बाद से ही वहां रहने वाले लोगों का विरोध शुरू हो गया है।लेकिन इस विरोध को शांत करने के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने अब एकनया दांव चल दिया है। खबर है कि तुलसी निकेतन कॉलोनी में जिन भवनों कीरजिस्ट्री हो चुकी है, उनके मालिकों को रहने के लिए जीडीए की ओर से किराएपर भवन दिया जाएगा। जीडीए को उम्मीद है कि उसके इस प्रस्ताव पर लोग फ़िदाहो जाएंगे और विरोध के स्वर मद्धिम पड़ जाएंगे।इस  संबंध में जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने बताया कि इस आशय केप्रस्ताव पर सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि जर्जर होचुके फ्लैट्स को तोड़ा जाना जरूरी है, अन्यथा किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पहले उन्हें ही किराए पर भवन दिएजाएंगे, जिनकी यहां पर रजिस्ट्री हो चुकी है। उनके मुताबिक, ऐसे करीब 500भवनों की रजिस्ट्री है, जिन्हें किराए पर भवन दिया जाना संभव होगा। उसकेबाद 2 साल में यहां पर नए फ्लैट बनाकर इन्हें उसी के आधार पर फ्लैटआवंटित किए जाएंगे।गौरतलब है कि तुलसी निकेतन कॉलोनी में 2292 फ्लैट्स में से लगभग 80 फीसद लोग पॉवर ऑफ अटार्नी कराकर ही फ्लैट में रह रहे हैं। इसलिए अब ऐसे लोगों
की परेशानी बढ़ने वाली है, क्योंकि जीडीए ने इन फ्लैट्स को जर्जर मानतेहुए उन्हें जीर्ण घोषित करने के लिए नगर निगम को पत्र भेजा है। बता दें
कि नगर निगम अधिनियम की धारा-331 के तहत ऐसा घोषित किया जाएगा। जिसके बादजीडीए फ्लैट खाली कराने के लिए शिविर लगाकर आवंटियों को नोटिस जारी करेगा। उसके बाद फ्लैट खाली होने के बाद इन्हेंं ध्वस्त किया जाएगा।खबर है कि जीडीए यहां पर टॉवरों में 5 से 10 मंजिला तक फ्लैट का निर्माण करेगा। जिसमें लगभग 2 साल का वक्त लगेगा। बताया गया है कि यहां करीब 5000फ्लैट्स बनाने की योजना बनाई गई है। हालांकि, आवंटियों को नि:शुल्क फ्लैटआवंटित किए जाएंगे। बाकी बचे फ्लैट्स को बेचकर जीडीए इन फ्लैट्स के निर्माण की लागत वहन करेगा। जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने कहा कि इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना में भी शामिल करने की योजना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पॉवर ऑफ अटार्नी वालों को किराए पर भवन नहीं देने कीयोजना है।बताते चलें कि तुलसी निकेतन के  2292 फ्लैट्स लोगों के लिए रहने लायक नहीं हैं। दरअसल जीडीए ने वर्ष 1988-90 में तुलसी निकेतन योजना लांच की थी। यानि कि लगभग 30 साल पहले तुलसी निकेतन आवासीय योजना में यह 4 मंजिला ईडब्ल्यूएस और एलआईजी फ्लैट्स बनाए गए थे। जो वर्ष 2010 के बाद से हीजर्जर होने लगे। बावजूद इसके, लोगों ने इनकी मरम्मत नहीं कराई। यही वजह है कि मकानों की खराब हालत देखते हुए जीडीए ने इन मकानों को तोड़कर बहुमंजिला बिल्डिंग बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया है।बहरहाल, जीडीए ने इन लोगों से शपथ पत्र देने का प्रस्ताव रखा है। यह अभी तय नहीं हुआ है कि कब्जेदार को मूल आवंटी मानकर रजिस्ट्री कराने पर वह तैयार होगा या नहीं। वैसे ऊपर से जो भी आदेश आएंगा, उसका पालन किया जाएगा। बता दें कि तुलसी निकेतन कॉलोनी में 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआईजी समेत 2292 फ्लैट्स हैं। जिनमें 10 हजार से भी अधिक लोग रह रहे हैं। जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा का कहना है कि अधिकांश लोग पॉवर ऑफ अटार्नी कराकर फ्लैट में रह रहे हैं। लिहाजा, मकान तोड़ने से पहले उन्हें ही किराए पर रखा जाएगा, जिनके पास भवनों की रजिस्ट्री होगी। जबकि पॉवर ऑफ अटार्नी वालों से भी किराया लिया जाएगा। इसमें करीब 80 फीसद से अधिक लोग पॉवर ऑफ अटार्नी कराकर रह रहे हैं।