सेलफोन पर बनी फिल्मे - छोटी कहानी बड़ा सन्देश
प्रतिष्ठित वार्षिक समारोह का दीप प्रज्ज्वालित करने के बाद मारवाह स्टूडियो के निदेशक संदीप मारवाह ने कहा कि हर इंसान के भीतर एक छुपा हुआ कलाकार होता है बस जरूरत होती है उसे बाहर निकालने की और उसी छिपी हुई प्रतिभा को बाहर निकालता है हमारा अंतराष्ट्रीय सेलफोन सिनेमा समारोह, और आज मुझे यह कहते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है की इंटरनेशनल कान्स फेस्टिवल में भी सेलफ़ोन सिनेमा को भी अब शामिल किया जा रहा है।
देवेंद्र पाठक ने कहा इस समारोह के बारे में यही कहना चाहुगां कि कुछ सालों पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि वह अपने फोन से फिल्म का भी निर्माण कर सकेगें लेकिन आज यह संभव हो गया है जिसे हम हर रोज़ अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर देखते भी है, आज हम कह सकते है की सारी दुनिया मोबाइल में सिमट गयी है और वो दुनिया हमारे हाथ में है। एन. के. सिन्हा ने कहा की इस सेलफोन सिनेमा द्वारा मनोरंजन और रचनात्मकता के दायरे का एक नया विकास हो रहा है। आज मोबाइल से बनी वीडियो और फोटो से न सिर्फ मनोरंजन हो रहा है बल्कि ज्ञान भी बढ़ रहा है, आज कोई भी इंसान अकेला नहीं है उसके साथ उसके मोबाइल के कैद लाखो गतिविधियां है। सीमा गुम्बर ने कहा की मोबाइल से फिल्मे बनाना बहुत ही आसान, सस्ता है किसी कैमरे की तुलना में। इस अवसर पर पारुल मेहरा की पेंटिंग प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया जिसका विषय था ज़िन्दगी और उसके रंग।
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