लहू बोलता भी है’ में दर्ज है स्वाधीनता संग्राम में मुस्लिमों का योगदान, हिंदी में खुलासा आज





नई दिल्ली। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया कल शनिवार को प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रख्यात समाजवादी लेखक सैयद शाहनवाज अहमद कादरी द्वारा लिखित पुस्तक ‘लहू बोलता भी है’ के उर्दू संस्करण का विमोचन करेंगे। इस पुस्तक का हिन्दी संस्करण लगभग दो वर्ष पूर्व आया था। यह जानकारी देते हुए पुस्तक के लेखक कादरी ने बताया कि हिन्दुस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में मुस्लिम किरदारों के योगदान को इतिहासकारों ने या तो कम करके या फिर नजरअंदाज करके लिखा गया। 

मो कादरी ने बताया कि इस पुस्तक में देशभर के 1768 मुस्लिम किरदारों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान का उल्लेख किया गया है। लगभग दो वर्ष प्रकाशित उनकी पुस्तक का हिन्दी संस्करण प्रकाशित हो चुका है, जिसमें उन्होंने 1233 मुस्लिम किरदारों का उल्लेख किया गया था। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, प्रख्यात समाजवादी रघु ठाकुर के अलावा कई अन्य समाजवादी नेता शामिल होंगे। 

मालूम हो कि पुस्तक ‘लहू बोलता भी है’ के लेखक कादरी ने प्रख्यात समाजवादी राजनारायन के साथ कई आंदोलनों में भाग लिया। शायद पहली एक ऐसी किताब उर्दू में प्रकाशित होने जा रही है, जो इतिहास बन चुके कई इतिहासकारों की स्वार्थी सोच को बेनकाब कर सकती है। इस किताब में जंग ए आजादी ए हिन्द में उन हजारों ज्ञात-अज्ञात मुस्लिम किरदारों और उनकी कुर्बानियों को संजाेया गया है। जो तमाम इतिहासकारों ने जाने अनजाने में नजरअंदाज किया। 

मो कादरी ने दावा किया कि उर्दू भाषा में अब तक कोई ऐसी किताब का प्रकाशन नहीं हुआ जो पूरी तरह से तारीखे़-आज़ादी-ए-हिन्द के मौजे पर हो। जिसमें वतने-अज़ीज की जद्दोजहदे-आज़ादी के तमाम गाथाओं पर पैनी निगाह रखकर हर उन पहलू पर गौर किया है, जिसे अमूमन पहले के इतिहासकारों ने नज़रअंदाज़ किया है। आज मुल्क का माहौल किसी से छुपा नहीं है। 

मुल्क की आज़ादी की जंग में जो फ़िरकापरस्त तंज़ीमे अंग्रेज़ों की मदद में पेशो-पेश थीं, वह आज जब बरसरे-इक़तदार हुई तो उन्होंने मुल्क आज़ाद कराने वाले लाखों सरफ़रोश मुस्लिम मुजाहेदीन की क़ुर्बानियां को भुलाकर उनकी क़ुर्बानियों के औराक़ इतिहास की किताबों से हटाने की मुन्नज़म साजिशें शुरू कर दी हैं और इस झूठ को सच में बदलने के लिए मीडिया का सहारा लिया गया। 

वह कहते हैं कि कुछ मीडिया घरानों के ज़रिये मुसलमानों को मुल्क का ग़द्दार बताने की कोशिशें सरेआम की जा रही हैं। इसका जवाब इस किताब में तहक़ीक़ात और हवालों के दस्तावेज़ी बुनियाद पर देते हुए क़ादरी साहब ने जंगे-आज़ादी के शहीदाने-वतन की एक ऐसा मीनार खड़ा कर दी है, जिसके मुक़ाबिल अब तक की पेश की गयी फेहरिस्तें बौनी साबित होगी।