निर्धन व असहाय बच्चों की शिक्षा को प्रयासरत एक गैर सरकारी संस्था 'रंगरूट'




दिल्ली।पश्चिमी दिल्ली स्थित वैस्ट सागरपुर  में रंगरूट सामाजिक संस्था को स्थापित हुए लगभग 2 वर्ष पूर्ण  हो गये हैं, यह संस्था स्त्री विमर्श से संबंधित सभी मुद्दों पर कार्यरत है साथ ही स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा पर विशेष ध्यान देती है, और सबसे अधिक फ़ोकस स्लम में रहने वाले बच्चों की शिक्षा पर करती है। रंगरूट संस्था पिछले कई महीनों से दिल्ली की अनेक स्लम बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए एक प्रोजेक्ट आशाएं ( होप ) चला रही है ।
रंगरूट संस्था की संस्थापक टीना वर्मा और अख़्तर भाई मायापुरी, दादादेव, संगम विहार, सागरपुर ईस्ट, ख़्याला इत्यादि क्षेत्रों की स्लम्स में शिविर चला रहे है ।
संस्था बच्चों को  स्टेशनरी  भी निशुल्क उपलब्ध करती है रंगरूट संस्था और शिक्षण- अधिगम कार्य भी कर रही है । स्लम में रह रहे बच्चे जिन तक किसी भी प्रकार की अवेयरनेस नहीं पंहुच पाती, ये बच्चे शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित हैं, इनकी शिक्षा- दिक्षा तो दूर ग़रीबी समाज में उत्पन्न असमानता के कारण बुनियादी ज़रूरतें भी पुरी नहीं हो पाती हैं, जन्म के बाद इनकी जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं बनती है, स्कूल में दाखिला भी बहुत मुश्किल से मिलता है, बहुत कम संख्या में स्लम एरिया से बच्चे स्कूल जाते हैं, जो जाते हैं वो भी ग़रीबी, भुखमरी, लाचारी के कारण, अवेयरनेस के अभाव में ठीक से लिख- पढ़ नहीं सकते हैं। ऐसे बच्चों पर अपना ध्यान केंद्रित कर टीना वर्मा  और अख़्तर भाई शिक्षा संबंधी कैम्प चला रहे हैं जो प्राथमिक स्तर, माध्यमिक स्तर, उच्च माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा अपने कैम्प के ज़रिए इन बच्चों को देने की कोशिश कर रहे हैं। 
टीना वर्मा और अख़्तर भाई के इस प्रोजेक्ट को साकार करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के कई प्रोफ़ेसर्स और स्टूडेंट्स भी आर्थिक, शारीरिक रूप से साथ दे रहे हैं। इन कैम्पस में बच्चों को शिक्षा के साथ संगीत, नृत्य, खेल ड्रामा, संबधीं ऐक्टिविटी भी कराई जाती है, उनकी रूचि पर विशेष ध्यान दिया जाता है, उनसे उनकी समस्याओं और आशाओं से संबंधित प्रश्न- ऊत्तर भी किए जाते हैं, ताकि इन बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक सांस्कृतिक सभी तरह का सर्वांगीण विकास हो सके, और हाशिए से उठकर ये बच्चे मुख्यधारा से जुड़ सकें।