साम्प्रदायिक शक्तियों से हमेशा लडा हूं और आगे भी लडता रहूंगा-शिवपाल





प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के संयोजक शिवपाल सिंह यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती को चेतावनी देते हुए कहा कि उन पर आरोप लगाने से पूर्व मायावती को देखना चाहिए कि साम्प्रदायिक शक्तियों के साथ बार-बार सरकार किसने बनाई। 

शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि ये सभी जानते हैं कि भाजपा के साथ गठबंधन कर कौन सरकार बना चुका है। पैसे के लिए कौन टिकट बेचता है। जबकि मैं पिछले चार दशकों से भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ संघर्ष कर रहा हूं।

दरअसल, मायावती ने आरोप लगाए थे कि सपा को कमजोर करने के लिए भाजपा शिवपाल यादव की मदद कर रही है। इसके लिए भाजपा ने पानी की तरह पैसा बहाया है।

शिवपाल ने अखिलेश यादव को भी नसीहत देते हुए कहा कि मायावती पहले भी दलित, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों का वोट लेकर भाजपा से गठबंधन कर चुकी हैं। यहां तक कि भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में गठबंधन भी नहीं किया। अखिलेश को समझना चाहिए कि कहीं इतिहास फिर से खुद को न दोहराए और मायावती भाजपा के साथ गठबंधन कर लें।

उधर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के मुख्य प्रवक्ता सी पी राय ने मायावती के बयान का कडा विरोध किया है।

सी. पी. राय ने प्रैस को जारी बयान में कहा कि मायावती का आरोप पूर्णतया तथ्यहीन व बेबुनियाद है। आम जनमानस और मीडिया को यह पता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर बार-बार किसने सरकार बनाई है, साथ ही उन्हें यह भी बताने की जरूरत नहीं है कि आदरणीय शिवपाल यादव जी का साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ पिछले 4 दशकों का संघर्ष किसी भी संदेह से परे है। 

मायावती द्वारा यह भी आरोप लगाया गया कि भाजपा द्वारा शिवपाल जी को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है, यह आरोप झूठा एवं निराधार है एवं यह सभी को पता है कि कौन लोग आर्थिक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और कौन सी पार्टी में टिकट बेचे जाते हैं।

अखिलेश यादव का जब जन्म भी नहीं हुआ था उसके पहले से ही उत्तर प्रदेश में शिवपाल यादव भाजपा और साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ सबसे मुखर स्वर रहे एवं संघर्ष किया हैं। अखिलेश को यह समझना चाहिए कि इसके पूर्व भी मायावती पिछड़ो व दलितों और मुसलमानों का वोट लेकर भाजपा की गोद में बैठ चुकी हैं ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि इतिहास फिर से स्वयं को दोहराए और मायावती चुनाव के बाद भाजपा से जा मिलें। ये भी सबको पता है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन न कर बीजेपी को लाभ किसने पहुंचाया। बसपा सरकार के दौरान सपा के कार्यकर्ताओं, पिछड़ों, मुसलमानों पर हजारों मुकदमें लिखे गये। वह कार्यकर्ता आज भी थानों, कचहरियों के चक्कर लगा रहे हैं। अगर सपा-बसपा ने राजनीतिक लाभ के लिए गठबंधन नहीं किया है तो जनता के बीच बतायें कि बसपा सरकार में जिन लोगों के खिलाफ सिर्फ राजनीतिक आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया था, उसकी भरपाई कैसे करेंगे।

सपा ने आज उस दल से गठबंधन किया है, जिसने हमेशा समाजवादी पार्टी खून से सींचने वाले मुलायम सिंह यादव, जनेश्वर मिश्र का अपमान किया है। यह मौका परस्ती का गठबंधन हैं। समाजवादी धारा से जुड़ा कोई कार्यकर्ता और समाज का गरीब, वंचित तबका इस गठबंधन को कभी स्वीकार नहीं करेगा।

जहां तक इस गठबंधन पर प्रतिक्रिया का प्रश्न है उस पर अभी से नफा नुकसान पर कोई प्रतिक्रिया देना थोड़ी जल्दबाजी होगी। ज्यों ही लोकसभा चुनाव करीब आएगा, हर गुजरते दिन के साथ यूपी की राजनीति में नए समीकरण बनेंगे। 

श्री राय ने कहा कि अपने निर्माण की सीमित अवधि में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने अपने व्यापक जनाधार व लोकप्रियता के बल पर यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि प्रसपा के भाव में यूपी के पॉलिटिकल स्फीयर में साम्प्रदायिक शक्तियों व सत्ता के विरुद्ध किसी भी मंच, गठबन्धन या संघर्ष की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रसपा प्रदेश की एक बड़ी ताकत है और साम्प्रदायिक शक्तियों के विरुद्ध सभी सीटों पर अकेले लड़ने में समर्थ है। प्रसपा किसी गठबंधन का हिस्सा होने के लिए आतुर नहीं है। यह सैद्धांतिक सहमति व सम्मान के आधार पर ही तय होगा। सेक्युलर मोर्चा में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी एवं बहुजन मुक्ति मोर्चा के साथ उत्तर प्रदेश की 40 से अधिक छोटी पार्टियां है जिसके सहयोग के बिना भाजपा को हराना असंभव होगा और यह मोर्चा अल्पसंख़्यको, पिछडो एवं दलितों के हितो की रक्षा करने के लिए गठित किया है।