समदर्शी प्रकाशन के मुख्य संपादक योगेश समदर्शी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा की आज के समय में तीन प्रकार का साहित्य हो गया है एक है सरकार का साहित्य दूसरा है व्यापार का साहित्य और तीसरा है जनसरोकार का साहित्य. हम पहले दो प्रकार के साहित्य से थोड़ी दूरी बना कर रखना चाहते हैं. श्री समदर्शी ने बताया की फेसबुक की जमाने में जहाँ हर व्यक्ति लेखक हो गया है वहां इन स्वयंभू कवियों लेखकों को सहजता से वास्तविक लेखन की तरफ मोड़ने का काम हम कर रहे हैं. पुस्तक छापना एक बात है और पुस्तक का बन जाना दूसरी बात है. आज लोग पुस्तक बनाने पर कम ध्यान देते हैं पुस्तक छापने पर ज्यादा. समदर्शी प्रकाशन वास्तविक पुस्तक के निर्माण का कार्य अपने हाथ में लिए हुए हैं. श्री समदर्शी ने अपने प्रकाशन की यात्रा के बारे में बताते हुए कहा की हम भिवानी हरियाणा से कार्य कर रहे हैं और देश भर के साहित्यकारों को प्रकाशित करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. जनसरोकार के साहित्य को प्रकाशित प्रचारित करना ही हमारा प्रथम उद्देश्य है.
पुस्तक समारोह में बोलते हुए प्रसिद्ध हास्य कवि प्रवीण शुक्ल ने कहा की आज के दौर में स्तरीय पुस्तकों के प्रकाशन का काम काफी चुनौती पूर्ण है. और समदर्शी प्रकाशन यह काम बखूबी कर रहा है. उन्होने डाक्टर राम अकेला की पुस्तक हंसना भी जरूरी है को रेखांकित करते हुए कहा की हास और उपहास में बहुत महीन अंतर होता है. उपहास करने से महाभारत हो जाता है. अतः आज के युग में हास्य लिखना बहुत जोखिम भरा काम है. उन्होंने कहा की डॉ राम अकेला की पुस्तक में संकलित हास्य कवितायेँ आपको जीवन की आम लगने वाली बातों और संवादों के माध्य से ही हंसाने और गुदगुदाने का काम करने में सक्षम हैं.
ओशो के पुराने शिष्य और ओशो वर्ल्ड के सम्पादक स्वामी चैतन्य कीर्ति ने कहा की ओशो को देश के पाठकों ने स्वीकार किया है. ओशो से जुडी हर किताब इस देश में पसंद की जाती है. समदर्शी प्रकाशन ने जो ओशो के महत्त्वपूर्ण शिष्य स्वामी कृष्ण वेदांत की पुस्तक एक शिष्य की अंतर्यात्रा का प्रकाशन किया है यह स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा की इस पुस्तक में रोचकता है. ओशो का संन्यास रूढ़िवादी संन्यास से अलग है. वो अलग चेतना और आनंद देने वाला है. उत्सव धर्मी संन्यास को गहराई से समझने के लिए स्वामी कृष्ण वेदांत की पुस्तक को पढ़ा जाना चाहिए.
प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रोफेस्सर आनंद कुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि अच्छी किताबें समाज की महत्त्वपूर्ण जरूरत है कविता जिस समाज को समझ आनी बंद हो जाए वह समाज धीरे धीरे संवेदना शून्य हो जाता है. प्रोफेस्सर कुमार ने कहा कि समदर्शी प्रकाशन जनसरोकार के साहित्य को और नए नए लेखकों के निर्माण के जिस कार्य को कर रहा है वो आज के समाज की जरूरत है.
नेचुरल हीलर कमल आनंद ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा प्रश्न है जिसे किताबों के माध्यम से अपना ज्ञान बढ़ा कर लोग आसानी से हल कर सकते हैं. स्वास्थ्य सम्बन्धी किताबो के पढ़ने से हर व्यक्ति कैसे स्वस्थ रह सकता है यह ज्ञान जनमानस तक पहुँच सकता है.
वरिष्ठ पत्रकार बाबा विजयेंदर ने अपने वक्तव्य में कहा कि किताबे किसी विचार को अमर करने का काम करती है. इसलिए अच्छी किताबो का प्रकाशन होते रहना जरूरी है.
प्रसिद्ध हास्य कवि बाबा कानपुरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा की आज भी अच्छी किताबों की आवश्यकता समाज में उतनी ही है जितनी किसी भी समय में थी. उन्होंने इस अवसर पर सभी लेखकों को बधाई दी और समदर्शी प्रकाशन को शुभकामनाएं प्रेषित की.
कार्यक्रम में साहित्य जगत की कई महान हस्तिया उपस्थित थी.
कार्यक्रम का सञ्चालन युवा कवि कर्मवीर तंवर एवं योगेश समदर्शी ने किया जबकि, एडवोकेट अजय गुप्ता, सुशील खन्ना, पंकज चौधरी, सचिन शर्मा, विकास चौधरी, सतीश सैनी, नीरज भाटिया, वीरेंदर दहिया, वी के शर्मा, योगेश पाल, अजय जांगिड़ आदि अनेक गणमान्य वयक्ति इस अवसर पर मौजूद थे.