अभी तो शुरू हुआ है सिलसिला






पुलवामा हमले का बदला लेते हुए बालाकोट में जैश के सबसे बड़े आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर भारतीय वायुसेना द्वारा किये गए ‘एयर स्ट्राइक’ से बौखलाया पाकिस्तान अगर यह समझ रहा है कि सरहद पर युद्ध का माहौल कायम करके वह भारत को भयभीत कर देगा तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है। भले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपनी वायुसेना द्वारा सरहद की मर्यादा का उल्लंघन किये जाने का बचाव करते हुए यह दलील दी हो कि भारत को सबक सिखाने और उसे भविष्य में ऐसा कदम उठाने से रोकने के लिये यह सब किया गया है लेकिन अगर वाकई पाकिस्तान की सोच यही है तो निश्चित ही वह पूरी तरह गलत है। बल्कि पाकिस्तान में घुसकर भारतीय लड़ाकू विमानों द्वारा की गई बमों की बरसात के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बने युद्ध जैसे हालातों के बीच ही मोदी सरकार के चाणक्य कहे जाने वाले केन्द्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने साफ शब्दों में यह संकेत दे दिया है कि पाकिस्तान में घुसकर ‘स्ट्राइक’ किये जाने के सिलसिले की तो अभी महज शुरूआत ही हुई है। अभी तो केवल जैश के बालाकोट सहित पाक अधिकृत कश्मीर में संचालित हो रहे तीन आतंकी शिविरों पर ही भारतीय सैन्य बल ने ‘स्ट्राइक’ किया है। यह शुरूआत है आतंक के खिलाफ उस बड़े व निर्णायक जंग की जिसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी पहले ही बता चुके है कि अगर आतंक का समूल नाश उनके ही हाथों लिखा है तो यही सही। लेकिन लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी की यह बात पाकिस्तान की समझ में नहीं आई और वह पुलवामा का बदला लिये जाने से ही इतना बौखला गया कि उसने अपनी ओर से एकतरफा तौर पर भारत के खिलाफ जंग सरीखा वातावरण बनाने की शुरूआत कर दी। उस पर दलील यह कि ऐसा इसलिये किया जा रहा है ताकि भारत भविष्य में सरहद लांघ कर कोई कार्रवाई करने की हिम्मत ना करे। अब पाकिस्तान को कौन समझाए कि आज का भारत वह नहीं है जिसके एक गाल पर तमाचा पड़े तो वह दूसरा गाल आगे कर देता था। आज का भारत तो ऐसा है जो साफ शब्दों में यह कहता है कि हम आगे बढ़कर किसी को छेड़ेंगे नहीं, लेकिन अगर किसी ने हमें छेड़ने की जुर्रत की तो उसे हर्गिज छोड़ेंगे भी नहीं। यानि भारत के प्रधानमंत्री ने पहले ही यह संकेत दे दिया था कि अगर पाकिस्तान आतंक को संरक्षण देने की नीति छोड़कर आतंकवाद को जड़ से उखड़ फेंकने के लिये आगे नहीं बढ़ता है तो आतंक का पूर्ण विनाश करने के लिये भारत किसी भी सीमा के आगे जा सकता है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए एक कार्यक्रम के दौरान आज अरुण जेटली ने साफ शब्दों में कह दिया है कि जब अमेरिका की सेना ऐबटाबाद से ओसामा बिन लादेन को ले गई तो क्या हम नहीं कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि पहले ये मात्र कल्पना होती थी, इच्छा होती और बौखहालट होती थी, लेकिन आज के हालात में तो सबकुछ मुमकिन है। निश्चित तौर पर वित्तमंत्री जेटली के बयान से पाकिस्तान में पनाह पाए हुए भारत के अपराधियों को पकड़ने या मारने के लिये भविष्य में भारतीय सेना द्वारा स्ट्राइक किये जाने की संभवना प्रबल हो गई है। वित्तमंत्री जेटली ने साफ शब्दों में कहा है कि जब अमेरिका ऐसा कर सकता है तो हम क्यों कर सकते हैं। वैसे भी भारत लगातार अपने अपराधियों के पाकिस्तान में छिपे होने के सबूत उसे देता रहा है लेकिन पाकिस्तान ने ना तो कभी भारत से भागे हुए किसी अपराधी के अपने जमीन पर होने की बात कबूली है और ना ही पाकिस्तान ने अपनी जमीन का इस्तेमाल करते हुए भारत के खिलाफ आतंकी साजिशों को अंजाम देनेवालों के खिलाफ कभी कोई ठोस कार्रवाई की है। ऐसे में अब वैसे भी भारत के पास पाकिस्तान में घुसकर अपने अपराधियों को पकड़ने या उन्हें मौत के घाट उतारने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। भारत ने पाकिस्तान को पहले ही उन 50 भगोड़े अपराधियों की सूची सौंपी हुई है जो भारत में जघन्य वारदातों को अंजाम देने के बाद पाक की पनाह में छिपे हुए हैं। उनमें अंडर वर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहीम से लेकर हफीज सईद, जकीउर्रहमान लखवी और मौलाना मसूद अजहर तक के नाम शामिल हैं। लेकिन अब तक पाकिस्तान ने भारत द्वारा सौंपी गई इस सूची के आधार पर ना तो कोई कार्रवाई की है और ना ही इन अपराधियों को भारत को सौंपने के बारे में विचार करना भी जरूरी समझा है। ऐसे में अब वित्तमंत्री जेटली के ताजा बयान के बाद इन संभावनाओं को बल मिल रहा है कि भारत भी अपने ‘मोस्ट वांटेड’ अपराधियों को पकड़ने के लिये वैसी ही कार्रवाई कर सकता है जैसी अमेरिका ने ऐबटाबाद में छिपे हुए ओसामा बिन लादेन को पकड़ कर खत्म करने के लिये की थी। यानि जेटली के बयान के बाद अब मामले की गेंद पाकिस्तान के पाले में है। उसे तय करना है कि वह आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई करना है या नहीं। भारत ने तो तय कर लिया है कि उसे क्या करना है और इसके बारे में सार्वजनिक तौर पर पूरे विश्व को बता भी दिया है। लेकिन अगर पाकिस्तान यह सोच रहा है कि वह युद्ध का माहौल बना कर आतंक के खिलाफ भारत की अगली कार्रवाई पर अंकुश लगा लेगा तो यह उसकी बहुत बड़ी भूल है। ऐसा तभी संभव है जब पाकिस्तान खुद प्रामाणिकता और इमानदारी के साथ आतंक के खात्मे की दिशा में कदम बढ़ाये। तब भारत को जरूरत ही नहीं पड़ेगी कि वह सरहद लांघकर आतंक के सफाये का अभियान चलाए। बल्कि प्रधानमंत्री मोदी पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को सार्वजनिक मंच से यह पेशकश भी कर चुके हैं कि अपनी जमीन से आतंक की जड़ों को उखाड़ फेंकने के लिये उसे भारत से अगर किसी भी प्रकार के सहयोग की दरकार हो तो वह उपलब्ध कराने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। लेकिन अगर आतंकियों के खिलाफ उठाए जाने वाले कदम से बौखलाकर वह युद्ध का माहौल बनाने का प्रयास करेगा तो उसे निश्चित ही इसका खामियाजा भुगतना ही होगा।