BeatTheFire शीर्षक से संगोष्ठी आयोजित

 दिल्ली: हमारे देश में आग लगने की बढ़ती हुई घटनाओं और उनकी वजह से होने वाले जान-माल के नुकसान को देखते हुए अग्निशमन उद्योग के कर्ता-धर्ता निवारक रणनीतियाँ तय करने, अग्नि सुरक्षा के मानदंड को दुरुस्त करने और इस प्रकार की तबाहियों को कम करने के समाधान ढूँढने की दिशा में अपनी एक सम्मिलित राय बनाने के लिए मिलकर काम करें। पिछले कुछ वर्षों में, भारत में आग से जुड़ी अनेकों दुर्घटनायें हुई हैं। यह सही समय है कि जब हमें जीवन सुरक्षा के सूत्रों, आग के ख़तरों और दिल्ली एवं एनसीआर की शान कहलाने वाली गगनचुंबी इमारतों को बनाने में इस्तेमाल होनेवाले ज्वलनशील पदार्थों के बीच के जटिल संबंधों को ध्यान में रखकर निर्माण के सबसे अच्छे तौर-तरीकों को अपनाया जाए। इस विषय को संबोधित करते हुए, मेटल कम्पोज़िट पैनलों की दुनिया की अग्नि सुरक्षा समाधानों की पेशकश करनेवाली एक प्रमुख कंपनी, ऐल्यूडेकोर, ने विचारों का आदान-प्रदान करने और निर्माण के सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीकों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए इस उद्योग के प्रमुख चिंतकों और हितधारकों के बीच एक परिचर्चा का आयोजन किया। #BeatTheFire शीर्षक से आयोजित चर्चा में अनस रिजवी, सचिव - फायर एंड सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (FSAI, दिल्ली चैप्टर), एआर. दिव्यकुश, अध्यक्ष, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स, एआर. चरणजीत सिंह शाह, संस्थापक और प्रिंसिपल, क्रिएटिव ग्रुप, एआर. श्रीधर राव, निदेशक, आर + डी स्टूडियो, श्री अशोक कुमार खुराना, महानिर्देशक (सेवानिवृत्त), सीपीडब्ल्यूडी और एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड के स्वतंत्र निर्देशक, डॉ. गौरव श्रीवास्तव, डीन, आईआईटी गांधीनगर, ए एआर. सुशांत वर्मा, संस्थापक भागीदार और अनुसंधान प्रमुख, रैट (लैब), श्री आशीष रखेजा, मैनेजिंग पार्टनर - एईओएन इंटीग्रेटेड डिज़ाइनिंग कंसल्टेंट और भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की तकनीकी समिति के अध्यक्ष, श्री राहुल गुप्ता, महाप्रबंधक, तत्व सामग्री प्रौद्योगिकी, भारत और श्री अशोक कुमार भैया, अध्यक्ष और प्रबंध निर्देशक, अल्यूडेकोर के अलावा मनचंदा एसोसिएट्स के मुख्य वास्तुकार और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स, नॉर्थ चैप्टर के अध्यक्ष एआर शमित मनचंदा ने पैनल चर्चा की मध्यस्थता की।


पंचतत्व के माध्यम से बेहतर अग्नि सुरक्षा मानदंडों की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा करते हुए, भारतीय वास्तुविद संस्थान के अध्यक्ष प्रो. दिव्यकुश ने कहा कि "पांच तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष सभी एक विशेष दिशा से जुड़े हुए हैं,  जो प्रकृति के मूल नियमों को स्वीकार करते हैं। इन तत्वों और उनकी ऊर्जाओं को समझने से, जो एक हाथ में पैदा होती है और दूसरी ओर नष्ट हो जाती है, हम प्रकृति के साथ अधिक संतुलित हो जाते हैं और अपने बच्चों के साथ-साथ अपने जीवन में अधिक सामंजस्य स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा कि एक आर्किटेक्ट के रूप में, यह जानना आवश्यक है कि दक्षिण-पूर्व का क्षेत्र अग्नितत्व वाला है और यह फायरप्लेस, रसोई और अन्य बिजली के उपकरणों के लिए सबसे अच्छी जगह है। हितधारकों के रूप में हमें अग्नि मुक्त समाज के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को बनाए रखने की आवश्यकता है।


 क्रिएटिव ग्रुप के संस्थापक और प्रधानाचार्य प्रो. चरणजीत सिंह शाह ने आग की त्रासदी से बचने के लिए शहरी चुनौतियों पर चर्चा करते हुए अग्नि सुरक्षा के संदर्भ में वर्तमान परिदृश्य के अनुरूप बीआईएस कोड, एनबीसी और डीएसआर विनिर्देशों में संशोधन के माध्यमसे समाधान खोजने की बात कही। उन्होंने कहा कि शहरी वास्तुकला के हितधारक होने के नाते अग्नि सुरक्षा मानदंडोंको पूरा करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। डेवलपर्स के अलावा, खरीदारों को भी आगजनी के खतरों और उनकी रोकथाम के प्रति समान रूप से जिम्मेदार और जानकार होना चाहिए, ताकि ऐसी स्थितियों को रोका जा सके। अग्निशमन विभाग को भी अपनी तरफ से एकीकृत और पारदर्शी योजना तैयार करने के साथ ही अग्नि सुरक्षा के कार्यान्वयन की सख्ती से निगरानी करनी चाहिए।


 सीपीडब्ल्यूडी के अवकाशप्राप्त महानिर्देशक और एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड के स्वतंत्र निदेशक श्री अशोक कुमार खुराना  ने सही अग्निरोधी धातु मिश्रित पैनल के उपयोग के महत्व के बारे में बात करते हुए कहा कि भवन में हुई आगजनी के कारण दुनिया भर में काफी मौतें हुई हैं। लंदन के ग्रेनफेल टावर की आग हमारी यादों में आज भी ताजा है। दिल्ली में इस महीने ही आगजनी में मौत होने की घटनाएं सामने आई हैं। इसे ध्यान में रख अग्निरोधी सामग्रियों के उपयोग को अनिवार्य बनाना जरुरी है। आजकल हमारी इमारतों में धातु मिश्रित पैनलों का काफी उपयोग किया जाता है। ऐसे में हमें अग्निरोधी धातु मिश्रित पैनलों के उपयोग को भवन और इंटिरियर दोनों के लिए अनिवार्य बनाना होगा। अग्निरोधी या खनिज कोर आग के प्रसार और धूंआ की स्थिति में सहायक होता है। यह रहने वालों की निकासी के साथ ही आग बुझाने की प्रक्रिया को भी आसान बनाता है। यह केवल जीवन ही नहीं बचाता बल्कि संपत्ति की रक्षा में भी सहायक होता है।


 IIT गांधीनगर के डीन डॉ. गौरव श्रीवास्तव ने आगामी टेक्नोक्रेट की जानकारी जैसे अग्नि सुरक्षा और अग्नि सुरक्षा के संदर्भ में विश्लेषण और मूल्यांकन के लिए बनाई जा रही नई परीक्षण सुविधाओं के ज्ञान को उन्नत करने की कोशिश में संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्मार्ट शहरों के आगमन के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं खासकर संपत्ति और जानमाल को नुकसान पहुंचाने वाली आगजनी से निपटने के लिए स्मार्ट तकनीकों को लागू करना जरुरी है। उन्होंने कहा कि भारत अग्नि परीक्षण प्रयोगशालाओं के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, जहां कंपनियां अग्निशमन उत्पादों का परीक्षण कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि उत्पाद बनाने में उपयोग होने वाले सही कच्चे माल के बारे में कंपनियों और उद्योगपतियों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए ज्यादा से ज्यादा विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ ही देश को आग से होने वाली तबाही से मुक्त करने के लिए उचित लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता है।


 एलिमेंट मेटेरियल्स टेक्नोलॉजी, इंडिया के महाप्रबंधक श्री राहुल गुप्ता ने A2 ग्रेड FR सामग्री और सामग्रियों के प्रमाणन के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में चर्चा की और कहा कि इस समय हमारे देश में बिल्डिंग कोड और अग्नि सुरक्षा उपायों का निर्माण वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और मानकों के अनुरुप है। इमारतों के लिए अग्नि सुरक्षा मानदंड हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि लापरवाही या जानकारी के आभाव में लोग अपना बहुमूल्य जीवन गंवा देते हैं। उन्होंने कहा कि एलिमेंट मेटेरियल्स टेक्नोलॉजी अग्नि सुरक्षा डिजाइन रणनीतियों को विकसित करने से लेकर निष्क्रिय अग्नि उत्पादोंके परीक्षण और प्रमाणन, पूर्ण परियोजनाओं की कमीशनिंग और निरीक्षण के साथ ही प्रमाणन के लिए सभी हितधारकों को समाधान प्रदान करती है।


 इस मौके पर फायर एंड सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएसएआई, दिल्ली चैप्टर) के सचिव श्री अनस रिजवी ने कहा कि आगजनी की बढ़ती घटनाएं मेट्रो शहरों के लिए चिंता का विषय है। दिल्ली जैसे तेजी से बढ़ते शहर में अनियोजित संरचनाएं, संकरी सड़कें, भवन कोड, अग्नि सुरक्षा उपायों और निकासी प्रक्रियाओं के उल्लंघन पर अंकुश लगाने के नागरिक प्राधिकार के प्रयासों में बाधा उत्पन्न कर रही हैं। उन्होंने कहा कि फायर प्रूफ तत्वोंवाली निर्माण सामग्री समय की जरूरत है, साथ ही अग्निशमन विभाग के लिए भी अग्निशमन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत है। श्री रिजवीने कहा कि कई मामलों में हमने देखा है कि अनियोजित शहरीकरण के कारण दमकल कर्मियों के आगजनी स्थल तक पहुंचने में परेशानी होती है। एफएसएआई की ओर से उन्होंने जानकारी फैलाने और समाधान खोजने के लिए सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने की इस पहल का स्वागत भी किया।


इस पैनल परिचर्चा में आज, हितधारक जानकारी प्रदान करने, ज्ञान प्राप्त करने, विचारों का आदान-प्रदान करने, अभिनवकारी परिप्रेक्ष्यों, समाधानों और अग्नि सुरक्षा और बचाव के समाधानों और उत्पादों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए। इस कदम से निर्णय लेने वाले व्यक्तियों को प्रारंभिक जानकारी प्राप्त होगी और इसके साथ-साथ, हितधारक आग से सुरक्षित आवासीय और व्यावसायिक परिसरों के निर्माण की नई संभावनाओं के प्रति जागरूक होंगे।


फायर रिटारडेंट (एफ़आर) (अग्निरोधी) पदार्थ आधुनिक निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। और अधिक गगनचुंबी इमारतों के आसमान छूने के लिए ऊँचा होने के साथ, अग्नि सुरक्षा पूरी दुनिया सबसे ज़रूरी चीज़ हो गई है। फायर रेटेड कंस्ट्रक्शन सिस्टम में एफ़आर पदार्थों का उपयोग करना सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आग से जान-माल को होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कदम साबित होते हुए ऐल्यूडेकोर ने फ़ायरवॉल ए2 की अपनी नवीनतम श्रेणी को प्रदर्शित किया। ऐल्यूडेकोर भारत में अग्निरोधी एसीपी के आवश्यक उपयोग का प्रचार करती है। ऐल्यूडेकोर के बाहर लगने वाले सभी उत्पाद आग से सुरक्षित हो सकते हैं। फ़ायरवॉल ए2 अग्निरोधी एसीपी का उच्चतम ग्रेड कोर ए2 है। फ़ायरवॉल ए2 में नाममात्र ऊष्मा उत्पन्न होती है, जो आग के फ़ैलने में मदद नहीं करती है, धुआँ नहीं होता है और आग लगाने वाला कोई पदार्थ नहीं टपकता है। ऐल्यूडेकोर स्वदेश में ए2 कोर बनाने वाली एकमात्र भारतीय कंपनी भी बन गई है। इस बात से कि भारत के शहरों में भविष्य में और भी ज़्यादा गगनचुंबी इमारतें बनने वाली हैं यह उत्पाद और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।