भारतीय सेना की असीम वीरता को देशभक्ति का प्रणाम








                      (विष्णुगुप्त) 

अति सर्वत्र वर्जयत्। पाकिस्तान ने अति कर दी थी। पाकिस्तान किसी भी चेतावनी का सिर्फ उपहास ही उड़ाना जानता है। पाकिस्तान को बदले हुए भारत और बदली हुई विश्व व्यवस्था का आकलन ही नहीं था, पाकिस्तान को दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ बना जनमत का भी भान नहीं था, पाकिस्तान को अपने पडोसी देशों की संप्रभुत्ता की भी कोई चिंता नहीं थी। पाकिस्तान को सिर्फ और सिर्फ यही घमंड था, यही खुशफहमी थी कि वह भारत, ईरान, अफगानिस्तान जैसे पडोसियों पर अपने आतंकवादियों से हिंसा करायेगा और उनकी अस्मिता व संप्रभुत्ता को लहुलूहान करेगा पर उसे दंड नहीं मिलेगा, बदले की कार्रवाई से उसे दंग्ध नहीं होना पडेगा। पुलवामा आतंकवादी कांड पर भी उसने अगंभीरता दिखायी थी, भारत के जख्मों पर नमक छिड़का था और प्रमाण मांगे थे, पाकिस्तान ने यह सोचने की भी कोशिश नहीं की थी, कि पुलवामा जैसे आतंकवादी कांड पर भारत में जबरदस्त आक्रोश है, देशभक्ति का ज्वार उत्पन्न हुआ है, इस देश भक्ति के ज्वार से पाकिस्तान को भी दंग्ध होना पड सकता है। पर पाकिस्तान ने फिर अपनी वही प्रतिक्रिया दोहरायी कि भारत प्रमाण उपलब्ध कराये। प्रमाण पत्र मांगने वाली प्रतिकिया तो पाकिस्तान का एक ढाल है, इस ढाल को वह अपने जन्मकाल से अपनाता रहा है, भारत पर जब-जब पाकिस्तान अपने आतंकवादियों और मजहबी दहशतगर्दो से हमला कर भारत की अस्मिता और संप्रभुत्ता को रौंदता है तब तब पाकिस्तान उल्टे भारत से प्रमाण मांगता रहा है। ऐसा नहीं है कि भारत प्रमाण पत्र नहीं देता रहा है, भारत ने बार-बार प्रमाण पत्र देता रहा है, प्रमाण पत्र चाकचौबंद रहा है, पाकिस्तान की संलिप्तता का पूरा प्रमाण रहा है। मंुबंई हमले में तो सीधे प्रमाण थे, लाइव प्रमाण थे, दुनिया ने भी मुबंई हमले के प्रमाण स्वीकार किये थे। पर पाकिस्तान ने मुबंई हमले के प्रमाण मिलने के बावजूद कौन सी कार्रवाई की थी। मुबई हमले के अपराधी आतंकवादी पाकिस्तान में न केवल सरेआम घूमते रहे बल्कि भारत और अमेरिका-इजरायल को नेस्तनाबुद करने की धमकियां भी देते रहे हैं।

              प्रतिक्रिया गत एयर सर्जिकल स्ट्राइक स्वाभाविक है। किसी भी देश को अपनी सुरक्षा का अधिकार है, किसी भी देश को अपने शत्रुओं और अपराधियों पर प्रतिक्रियागत कार्रवाई का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र संघ का चार्टर भी ऐसी प्रतिक्रियागत कार्रवाई का समर्थन करता है। प्रधामनंत्री नरेन्द्र मोदी की एयर सर्जिकल स्ट्राइक स्वाभाविक थी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एयर सर्जिकल स्ट्राइक देशभक्ति की मांग थी, नरेन्द्र मोदी की एयर सर्जिकल स्ट्राइक उन भारतीय जवानों के बलिदान की मांग थी जिनका जीवन पाकिस्तान पोषित आतंकवाद और आतंकवादियों ने समाप्त कर दिया था। जिन भारतीयों ने पुलवामा के बलिदानी जवानों के छत-विक्षित्त तस्वीर देखी थी, उन सभी के खून खोल गये थे और सभी की एक ही प्रतिक्रिया थी कि अब पाकिस्तान को जरूर सबक सीखाना होगा, पाकिस्तान ने अति कर दी है, भारतीय जवानों की जान और बलिदान की कीमत पाकिस्तान से वसूली जानी चाहिए, अगर पाकिस्तान से भारतीय जवानों के बलिदान की कीमत नहीं वसूली गयी तो सीधे तौर पर बलिदानी जवानों के साथ अन्याय होगा और देशभक्ति कमजोर होगी, देशभक्ति आहत होगी, जब देशभक्ति आहत होगी, जब देशभक्ति आक्रोशित होगी तब सरकार के लिए स्थितियां कितनी विकट होंगी, समझा जा सकता है।

कोई भी सत्ता देशभक्ति की आवाज को अस्वीकार नहीं कर सकती है, कोई भी सत्ता देशभक्ति की आवाज पर उदासीन नहीं रह सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी देशभक्ति की आवाज को अस्वीकार कैसे कर सकते थे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी देशभक्ति की आवाज पर उदासीन कैसे बरत सकते थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को सबक सीखाकर अच्छा किया है। नरेन्द्र मोदी ने भारत की शक्ति का अहसास कराया है।  यह सर्जिकल  एयर स्ट्राइक कोई छोटी नहीं है, इस सर्जिकल एयर स्ट्राइक को कमजोर या अप्रहारकारी नहीं माना जा सकता है। यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक प्रहारकारी है, यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक सबक कारी है, यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक पाकिस्तान की हेकडी तोड डाली है।यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक पाकिस्तान की खुशफहमी और पाकिस्तान के अंहकार को जमींदोज कर दिया। यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक भयानक भी थी।  भारत की मिराज विमानों ने हमला कर न केवल पाकिस्तान के आतंकवादी कैम्पों का संहार किया है बल्कि तीन सौ से अधिक आतंकवादियों और पाकिस्तान की सेना के आतंकवादी समर्थकों का संहार भी किया है। सबसे बडी बात यह है कि यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक कोई सीमा के नजदीक नहीं हुए हैं। भारत के मिराज विमानों ने पाकिस्तान के 80 किलोमीटर की सीमा में घूसकर संहार किया है। 80 किलोमीटर दूर तक जाकर पाकिस्तान सीमा के अंदर मार करना कोई स्वभाविक बात नहीं थी, कोई आसान बात नहीं थी, यह एक बडी चुनौती थी। सुखद स्थिति यह रही कि भारतीय मिराज विमानों ने पाकिस्तान में संहार कर सकुशल वापसी की है। 

पाकिस्तान चाहे जितना भी फुफकार कर ले पर उसकी शक्ति भारतीय सैनिकों से टकराने की नहीं है। यह सर्जिकल एयर स्ट्राइक को ही ले लीजिये। पाकिस्तान को यह मालूम था भारत प्रतिक्रिया गत कोई बडी सर्जिकल एयर स्ट्राइक कर सकता है, भारत कोई छोटा या कोई बडा हमला पाकिस्तान पर कर सकता है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार अपने संबंोधन में कह रहे थे कि पुलवामा का बदला लिया जायेगा, बदला कोई सतही या फिर प्रतीकात्मक नहीं होगा, बदला ऐसा लिया जायेगा जिससे भविष्य में भी याद कर आहत होगा। जब नरेन्द्र मोदी बार-बार ऐसी भाषा बोल रहे थे तब पाकिस्तान को अहसास तो हो गया था। अगर पाकिस्तान की सैनिक शक्ति इतनी बडी होती तो वह भारत के इस सर्जिकल एयर स्ट्राइक को नाकाम कर सकता था, भारतीय मिराज विमानों को वापस जाने पर मजबूर कर सकता था, भारतीय मिराज विमानों को पाकिस्तान मार गिरा सकता था। भारतीय प्रहारक मिराज विमानों की सकुशल वापसी दर्शाता है कि पाकिस्तान के पास भारत से लडने की सैनिक शक्ति है ही नहीं, उसकी अर्थव्यवस्था सिर्फ जर्जर ही नहीं बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था दिवालिया हो चुकी है, युद्ध का सामना मजबूत अर्थव्यवस्था ही कर सकती है। आज के समय में दुनिया का कोई देश पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कंधा देने के लिए तैयार नहीं हैं।  जब अर्थव्यवस्था जी जर्जर है तो फिर भारत के साथ पाकिस्तान युद्ध कैसे लडेगा?

               अगर भारत ने इसी तरह की वीरता दिखायी होती, अगर भारत ने इसी तरह से पाकिस्तान को सबक सीखाया होता तो फिर पाकिस्तान बार-बार  भारत को लहूलुहान करने की धूर्तता नहीं करता। एक ही चोट में वह सबक ले लेता। सबसे पहले रूबिया अपहरणकांड में अवसर था, नेपाल से इंडियर एयर लाइंस के विमान अपहरण में अवसर था, कारगिल हमले में अवसर था। पर इन सभी अवसरों पर भारतीय वीरता नहीं दिखी। भारतीय शासकों ने परतंत्रता दिखायी, पाकिस्तान के चरणस्पर्श करते रहे, पाकिस्तान के समाने गिडगिडाते रहे। भारतीय सैनिकों को सीमा पार कर बदला लेने पर रोकते रहे, पाकिस्तान को सबक सीखाने पर भारतीय सैनिकों के हाथ बांधे गये, भारतीय सैनिकों को सीमा पार कर कार्रवाई करने से रोका गया। भारतीय सैनिक दुनिया की सर्वाधिक अनुशासन प्रिय है और सत्ता के निर्देशानुसार ही चलते हैं, यही कारण है कि बलिदान देने के बावजूद भारतीय सैनिकों ने अनुशासन नहीं तोड़ा, राजनीतिक सत्ता पर उम्मीद करते रहे। 

           पाकिस्तान को कडा दंड मिल गया। पाकिस्तान को अब फिर खडा होने का अवसर नहीं मिलना चाहिए। जब-जब पाकिस्तान ऐसी हरकतें करेगा तब-तब पाकिस्तान पर ऐसी ही प्रहारक कार्रवाई होनी चाहिए, भारतीय सैनिकों को अपनी वीरता दिखाने और अपने बलिदान की कीमत वसूलने के लिए छोड दिया जाना चाहिए। इसलिए कि पाकिस्तान शांति नहीं चाहता वह केवल युद्ध और इस तरह के सर्जिकल एयर स्ट्राइक से ही ठीक हो सकता है। आतंकवादी संगठन पाकिस्तान के लिए भी भस्मासुर है, आज न कल अफगानिस्तान और ईरान जैसे मुस्लिम पडोसी देश भी भारतीय सर्जिकल एयर स्ट्राइक जैसी कार्रवाई कर सकते हैं, क्योंकि पाकिस्तान के आतंकवादी नीति से अफगानिस्तान और ईरान भी पीडि़त है, लहुलूहान है। भारतीय सेना की इस असीम वीरता को देशभक्ति का प्रणाम।