कैंसर के प्रति संवेदनशील बनें, दूसरों को भी बनाएं, मानवता का फर्ज निभाएं: डॉ पी एन अरोड़ा





















गाजियाबाद। यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ पी एन अरोड़ा ने कहा कि ‘विश्व कैंसर दिवस’ एक वैश्विक कार्यक्रम है, जो कि विश्व के लोगों को कैंसर के खिलाफ़ लड़ाई लड़ने में एकजुट करने के लिए प्रतिवर्ष 4 फरवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य जागरूकता और कैंसर के बारे में शिक्षा बढ़ाना तथा विश्व में सरकारों और व्यक्तियों को कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील बनाना है। 

 

डॉ अरोड़ा ने बताया कि प्रतिवर्ष विश्वभर में 8.8 मिलियन लोगों की मृत्यु कैंसर से होती हैं; यदि जांच छोड़ दी जाएं, तो वर्ष 2030 तक प्रति मृत्यु संख्या 13.2 मिलियन हो जाएगी। भारत में सबसे ज़्यादा होने वाले पांच तरह के कैंसर- स्तन कैंसर, ग्रीवा कैंसर, मौखिक कैंसर, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामुदायिक स्तर पर कैंसर हर किसी को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करता है। इसलिए कैंसर के प्रभाव को कम करने के लिए सभी के पास सामर्थ्य है और हमें उचित समय पर उचित कदम उठाना होगा, अन्यथा बदलते परिवेश एवं प्रदूषित होते वातावरण की वजह से कैंसर महामारी का रूप ले कर उभरेगा 

 

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी के वरिष्ठ कैंसर रोग सर्जन डॉ जलज बक्शी बताते हैं कि कैंसर बहुघटकीय यानी कि कई कारक वाला रोग है। क्योंकि  किसी एक प्रकार के कैंसर के लिए कोई एक कारण नहीं होता है। कुछ बाहरी एजेंट, कैंसर उत्पन्न करने के कारण (कैस्किनोजेन्स) के रूप में कार्य करते हैं, जिनमें तंबाकू और अल्कोहल का सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार एवं शारीरिक निष्क्रियता, दूषित आहार एवं दूषित पेयजल कैंसर के प्रमुख ज़ोखिम के कारक हैं।

 

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सुमंत गुप्ता ने बताया कि हर साल चौदह लाख नए कैंसर के मामले सामने आते हैं। ये आकड़े खुद ब खुद बता रहे हैं कि क्या तस्वीर है देश में कैंसर का। खान पान में बदलाव,  बदलती जीवनशैली कैंसर का प्रमुख वजह बनता जा रहा है। चालीस फीसद कैंसर सिर्फ तंबाकू के सेवन से होता है। युवाओं में बढ़ती धुम्रपान की लत कैंसर को बढ़ावा दे रहा है। ये बीमारी समाज एवं सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

 

यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ जी जे सिंह, ए पी सिंह, डॉ अंशुमान त्यागी एवं डॉ अजय गुप्ता ने कैंसर से बचने के उपाय विषय पर एक चर्चा कर निष्कर्ष निकाला कि कैंसर से बचने के लिए तंबाकू उत्पादों का सेवन बिलकुल न करें।कैंसर का ख़तरा बढ़ाने वाले संक्रमणों से बचकर रहें और चोट आदि होने पर उसका सही उपचार करें और अपनी दिनचर्या को स्वस्थ बनाएं। कैंसर के ज़्यादातर मामलों में फेफड़े और गालों के कैंसर देखने में आते हैं, जो तंबाकू उत्पादों का अधिक सेवन करने का नतीजा होता है। ऐसे मामलों में उपचार बेहद जटिल हो जाता है और मरीज़ के बचने के चांस भी कम हो जाते हैं। 

 

इसके साथ ही आजकल महिलाओं में स्तन कैंसर काफ़ी ज़्यादा देखने में आ रहा है जो बेहद खतरनाक होने के साथ काफ़ी पीड़ादायक होता है। यदि सही समय पर अगर इसके लक्षणों को पहचान कर उपचार किया जाए तो इसका इलाज बेहद सरल बन जाता है। कैंसर से सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है युवाओं को जो आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में खुद को तनाव मुक्त रखने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते हैं। 

 

लिहाजा, विश्व को कैंसर मुक्त करने के लिए आप भी कदम बढ़ाएं और खुद तथा अपने सगे सबंधियों को तंबाकू, सिगरेट, शराब आदि से दूर रहने की सलाह दीजिए।