निकट भविष्य में कम लागत और निर्धारित समय पर भवन बनाकर देगा जीडीए










गाजियाबाद। जीडीए अब बहुमंजिली इमारतों की निर्माण लागत घटाने और ठेकेदारों की लेटलतीफी से विभिन्न प्रोजेक्ट्स में होने वाले अप्रत्याशित विलम्ब से बचने के उपाय ढूंढ रहा है। इस दिशा में उसे केंद्र सरकार का साथ मिल रहा है, जिसके सहयोग से वह आधुनिक भवन निर्माण तकनीकी की जानकारी हासिल करेगा, जिसे बाद में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की भावी योजनाओं में लागू किया जा सकेगा। 

 

इस सम्बंध में जीडीए के मुख्य अभियंता विवेकानंद सिंह ने बताया कि नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा आधुनिक भवन निर्माण तकनीक पर दो और तीन मार्च को दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन दो और तीन मार्च को किया जाएगा, जिसमें विभिन्न देशी व विदेशी एजेंसियां आधुनिक भवन निर्माण तकनीक के बारे में जानकारी देंगी। इसमें जीडीए के इंजीनियर भी भाग लेंगे और आधुनिक तौर तरीकों को जान सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार के बाद समस्त देश से चार शहर चुने जाएंगे, जिनमें बताई गई तकनीक के मुताबिक भवन निर्माण के नमूने तैयार किए जाएंगे।

 

उन्होंने आगे बताया कि इसमें देश विदेश की भवन निर्माण से जुड़ीं बड़ी बड़ी कम्पनियां शिरकत करेंगी और भवन निर्माण की आधुनिक तकनीक से अवगत कराएंगी। साथ ही, ये कम्पनियां यह भी बताएंगी कि भवन निर्माण की दशा और दिशा में कैसे कतिपय अहम बदलाव लाया जा सकता है। इस सम्बंध में जीडीए अधिकारियों ने बताया कि इस सेमिनार में सभी प्रदेशों को भाग लेने के लिए बुलावा भेजा गया है, जिसके तहत जीडीए के इंजीनियर भी शिरकत करेंगे।

 

बता दें कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण विगत एक दशक से भवन निर्माण ठेकेदारों से बहुमंजिली इमारतों के प्रोजेक्ट्स तैयार करवाता आ रहा है, जिसमें खर्च भी अधिक हो रहे हैं और निर्धारित समय पर ठेकेदार प्रोजेक्ट्स तैयार नहीं कर पा रहे हैं, जिससे जीडीए की प्रतिष्ठा पर आंच आती है। बानगी स्वरूप चंद्रशिला अपार्टमेंट, कोयल एनक्लेव, प्रताप विहार में तैयार होने वाले ईडब्ल्यूएस और एलआईजी भवन हैं। 

 

समझा जा रहा है कि इस सेमिनार के बाद कम लागत और न्यूनतम समय में विभिन्न इमारतें तैयार की जा सकेंगी, जिनके भवनों, फ्लैट्स और दुकानों की कीमतों में भी कमी आएगी। दरअसल, जीडीए विभिन्न कैटेगरी की इमारतें बनवाता है जिसमें आवासीय और व्यवसायिक दोनों प्रकार की इमारतें शामिल हैं। खासकर ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी, एचआईजी फ्लैट्स होते हैं। साथ ही, व्यावसायिक क्षेत्र में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स होते हैं। 

 

बता दें कि समय समय पर इन सबका निर्माण जीडीए सम्बन्धित टेंडर के माध्यम से निजी विकासकर्ता द्वारा कराता है जिसका खर्च भी काफी आता है। बावजूद इसके जब समय पर प्रोजेक्ट्स पूरे नहीं होते तो जीडीए की सिरदर्दी बढ़ती है। क्योंकि आवंटी प्राधिकरण के चक्कर काटते रहते हैं और वह जवाब देने की स्थिति में नहीं होता। कारण कि वह निजी डेवलपर पर निर्भर रहता है। यही वजह है कि केंद्र सरकार के इस पहल से जीडीए में एक नए उत्साह का संचार हुआ है, जिसका लाभ उसके उपभोक्ताओं तक भी आने वाले समय में पहुंचेगा।