यशोदा अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन ने ग्लोबल राइजिंग स्टार अवार्ड खिताब जीता


















गाजियाबाद। डॉ अर्जुन खन्ना जो कि यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशाम्बी  के श्वसन चिकित्सा, क्रिटिकल केयर और निंद्रा चिकित्सा के लिए उत्कृष्टता के केंद्र में चेस्ट फिजिशियन हैं, को 6 वें इंटरनेशनल पल्मोनरी मेडिसिन वर्कशॉप  (फेफड़े की स्वास्थ्य कार्यशाला) में पल्मोनरी मेडिसिन के क्षेत्र में प्रतिष्ठित ग्लोबल राइजिंग स्टार अवार्ड से सम्मानित किया गया।

 

बताया गया है कि जनवरी 2019 में नीस, फ्रांस में 6 वें इंटरनेशनल पल्मोनरी मेडिसिन वर्कशॉप में डॉ अर्जुन खन्ना को उनके शैक्षिक रिकॉर्ड और वैज्ञानिक पेपर प्रस्तुतियों के आधार पर कई वैश्विक प्रतियोगियों की बीच एक कठिन चयन प्रक्रिया के बाद चुना गया। जहां दुनिया भर से शोध के कई दिलचस्प सार आए और उनका मूल्यांकन किया गया। उसके बाद बोर्ड ने डॉ अर्जुन खन्ना को 6 वें अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के फेफड़े के स्वास्थ्य क्षेत्र की राइजिंग स्टार्स अवार्ड को पेश करने का फैसला किया।

 

मसलन, जिन राइजिंग स्टार्स को पहली बार एक अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के सामने अपना बहुमूल्य कार्य प्रस्तुत करने का अवसर मिला, डॉ अर्जुन खन्ना उनमें से एक थे, जिन्होंने 19 जनवरी, 2019 को हमारे देश की ओर से जर्मनी के नीस में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। डॉ खन्ना ने जैव-द्रव्यमान ईंधन से संबंधित सीओपीडी पर अपना डेटा प्रस्तुत किया, जो कई भारतीय महिलाओं को प्रभावित करता है जो अंगीठियों और चूल्हों पर खाना बनाती हैं। डॉ खन्ना ने अपने शोध के विषय के बारे में बताते हुए कहा कि अधिकांश नॉन स्मोकर महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में अनसुना कर दिया जाता है तथा स्मोकिंग को ज्यादा तरजीह दी जाती है, जबकि काला दमा (सीओपीडी ) ऐसी भारतीय महिलाओं को प्रभावित करता है जो अंगीठियों और चूल्हों पर खाना बनाती हैं तथा उनके स्वास्थ्य को अनसुना किया जाता है जिससे वे बीमारी के दौरान देर से पेश आती हैं और तब तक फेफड़े खराब हो चुके होते हैं और स्वास्थ्य संबंधी काफी परेशानियां पैदा हो चुकी होती हैं।

 

डॉ खन्ना को श्वसन चिकित्सा में विश्व विख्यात डॉक्टरों द्वारा प्रमाण पत्र और स्कॉलरशिप से सम्मानित किया गया, जिन्होंने उनके काम की सराहना की। डॉ खन्ना पहले भारतीय हैं जिन्होंने कभी यह पुरस्कार जीता है। डॉ खन्ना देश में पल्मोनरी चिकित्सा के कुछ डीएम में से एक हैं और अपने पूरे मेडिकल करियर में विश्वविद्यालय के स्वर्ण पदक विजेता रहे हैं।