अब ईरान लेगा पाक की परीक्षा

भारत की तरह ईरान भी पाकिस्तान का पड़ोसी देश है और दोनों ही मुल्क पाक प्रायोजित आतंकवाद से एक समान ही परेशान व त्रस्त हैं। लेकिन भारत की ही तरह ईरान ने भी सब्र के साथ सरहद को लांघने से परहेज बरतते हुए अब तक पाकिस्तान की जमीन से संचालित हो रही तमाम आतंकी हमलों का सामना किया। उम्मीद थी कि कभी तो इस सिरफिरे पड़ोसी को अक्ल आएगी और वह आतंक को संरक्षण देना बंद करेगा। लेकिन पहले उरी और बाद में पुलवामा हमले के बाद भारत के सब्र का बांध टूट गया और उसे सरहद पार कर आतंक की जड़ों पर प्रहार करने के लिये विवश होना पड़ा ठीक उसी प्रकार अब ईरान का सब्र भी जवाब देने लगा है। नतीजन पाकिस्तान के खिलाफ अब ईरान ने भी ठीक वैसी ही प्रतिक्रिया का इरादा कर लिया है जैसी भारत ने पाक के प्रति व्यक्त की है। पाक प्रायोजित आतंक का मसला भारत और ईरान के लिये काफी हद तक एक समान ही है। इस मसले को लेकर दोनों मुल्कों की नीमियां भी तकरीबन एक समान ही रही हैं लेकिन दोनों मुल्कों की इस परेशानी को लेकर पाकिस्तान की नीति और नीयत भी एक जैसी ही रही है। दोनों मुल्कों को किस कदर एक समान चुनौती का सामना करना पड़ रहा है इसका सहज अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले के ठीक एक दिन पहले ही ईरान में भी ऐसा ही आतंकी हमला हुआ था। दोनों हमलों का पैटर्न एक जैसा ही था और दोनों की साजिश पाकिस्तान में ही रची गई थी। 13 फरवरी के दिन दक्षिण-पूर्वी ईरान में सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत के खाश-जहदन क्षेत्र में विस्फोटक सामग्री से भरे एक वाहन को ईरान के सैन्यकर्मियों को ले जा रही एक बस के निकट उड़ा दिया गया था। लेकिन जब भारत ने आगे बढ़कर इसके खिलाफ एयर स्ट्राइक करके पुलवामा हमले की साजिश रचने वाले जैश के शिविर को ध्वस्त करने की पहल कर दी तो अब ईरान में भी ऐसी ही प्रतिक्रिया की मांग जोर-शोर से उठ रही है और अपने आक्रोश दबा पाना ईरान के लिये भी नामुमकिन की हद तक मुश्किल हो गया है। ईरान में हुए इस आतंकी हमले में इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स यानि आईआरजीसी के 27 सदस्य मारे गए और एक दर्जन से भी अधिक घायल हुए।  जिस तरह से पुलवामा हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली थी उसी प्रकार पाकिस्तान के ही एक अन्य आतंकी संगठन जैश अल-अद्ल ने ईरान में सैन्य काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली। ईरान द्वारा इस्लामी क्रांति की 40वीं वर्षगाठ मनाये जाने के दो दिन बाद ही ईरान में यह आतंकी हमला किया गया। इस आतंकी हमले से ईरान में अस्थिरता और आक्रोश फैल गया है जिसके बाद ईरानी सैन्य एवं सरकारी अधिकारियों ने पाकिस्तान से कड़े शब्दों में कहा है कि वह अपनी धरती से आतंकवाद को समाप्त करे। ईरान के गृहमंत्री अब्दुलरजा रहमानी फजली ने इस आत्मघाती हमले की निंदा करते हुए पाकिस्तान पर ईरान-पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा व्यवस्था में असफलता के लिए अपनी भड़ास निकाली। इस भयावह आतंकी हमले के लिए रहमानी फजली ने पड़ोसी देश पाकिस्तान को आतंकवाद की शरणस्थली बताते हुए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने पाकिस्तानी सरकार से कहा कि पाकिस्तान की धरती से आतंकी ठिकानों को उखाड़ने के लिए वह कड़े कदम उठाए। दरअसल ईरान के सैन्य काफिले पर हमले की साजिश रचनेवाले आतंकी संगठन जैश अल अद्ल ने दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में अपने ठिकाने बना रखे हैं। ईरान तथा पाकिस्तान के सैन्य एवं नागरिक अधिकारियों ने अनेक बार आतंकवाद विरोधी अभियानों में तेजी लाने के उद्देश्य से सीमांत क्षेत्रों के दौरे किये हैं। पिछले साल दिसंबर के महीने में ईरान और पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों ने सीमा सुरक्षा सहयोग के मुद्दे पर ईरान के जहदन शहर में एक संयुक्त बैठक में भाग लिया था। लेकिन आतंक के खिलाफ ईरान के साथ पाकिस्तान द्वारा की जा रही दिखावे की इन कोशिशों का कोई अंजाम नहीं निकलने और तमाम प्रयास विफल होने के चलते ईरानी जनता में तीव्र क्रोध व्याप्त हो गया है। इसी का नतीजा रहा कि बीते दिनों ईरान की आईआरजीसी कुद्स सेना के कमांडर, मेजर जनरल कासिम सुलेमानी ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपनी धरती पर पल रहे आतंकवादियों को सीमा पार करने से रोके। उन्होंने कड़े शब्दों में पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह अपनी सीमा पर इस प्रकार अस्थिरता पैदा कर रहा है जिससे उसके सभी पड़ोसी देशों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो गई है। मेजर जनरल सुलेमानी ने पाकिस्तान को ईरान के संयम की परीक्षा न लेने की चेतावनी देते हुए कहा कि जिसने भी ईरान के सब्र का इम्तिहान लिया है उसको कड़ा जवाब दिया गया है। सच पूछा जाए तो पहले भी ईरान में हुए अनेक आतंकी हमलों की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों ने ली है लेकिन इस बार भारत द्वारा किये गये प्रहार के बाद अब ईरान के लिये भी आतंक के सिलसिलेवार हमलों को सह पाना मुश्किल हो गया है। कई शीर्ष ईरानी अधिकारियों ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि उनका सब्र जवाब दे रहा है। ईरान की संसद के अध्यक्ष अली लारीजनी ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है जबकि आईआरजीसी के प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी ने पाकिस्तान से अपील की है कि वह आतंकवादियों को पनाह देने की अपनी नीति को छोड़ दे। ईरान के सेना प्रमुख मोहम्मद बाकरी ने आतंकी संगठनों के खिलाफ भयंकर बदले की बात कही है। चुंकि चुनौती साझा है और दुश्मन भी एक ही है लिहाजा अब पाकिस्तानी आतंकवाद के संदर्भ में भारत तथा ईरान ने आपसी सहयोग बढ़ाने की प्रकिया तेज कर दी है। इसी सम्बंध में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने आतंकवाद की चुनौती के विषय पर ईरान में आयोजित एक बैठक में हिस्सा लिया। ईरान और भारत में हुए आतंकी हमलों के कुछ ही दिनों के भीतर भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने अपनी तीन देशों की यात्रा के बीच में बुल्गारिया जाते हुए कुछ समय के लिए तेहरान का प्रवास किया। इस अल्पप्रवास के दौरान उन्होंने ईरान के उपविदेशमंत्री सैयद अब्बास अराघची से भेंट की और भारत तथा ईरान के बीच विशेष रूप से आतंकवाद निरोधक अभियान में सहयोग बढ़ाने पर बातचीत की। भारत तथा ईरान ने निर्णय लिया है कि द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाया जाएगा विशेष रूप से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में गुप्त सूचनाएं साझा करने के क्षेत्र में। यानि इतना तो साफ है कि भारत ने ना सिर्फ पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिये ईरान को रास्ता दिखाया है बल्कि उसे मदद देने की पेशकश भी कर दी है। ऐसे में निश्चित ही अब ईरान भी पाकिस्तान की कठिन परीक्षा लेने से कतई परहेज नहीं करेगा।