यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी में मनाया गया विश्व काला मोतिया सप्ताह
इस मौके पर हॉस्पिटल के एम डी डॉ पी एन अरोड़ा ने कहा कि आमतौर पर लोग चश्मे वाली दुकान पर आंखों की जांच करवाकर नये चश्मे का नम्बर ले लेते हैं, लेकिन आंखों के प्रेशर की जांच नहीं करवाते हैं, जिससे ग्लूकोमा के लक्षण का पता नहीं चलता है। लिहाजा, नेत्र रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक से जांच करवाने के बाद ही चश्मा का नम्बर लेना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि आपको शूगर, ब्लड प्रेशर हो या यदि आप एलर्जी, दमा, चमड़ी रोगों आदि के लिए स्टीरायड का प्रयोग करते हो तो आप काला मोतिया से प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे लक्षण अथवा चिन्ह दिखाई दें तो नजदीक के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से जांच करवाई जाए जिससे समय पर काला मोतिए की पहचान करके इलाज किया जा सके।
कतिपय सावधानियों पर प्रकाश डालते हुए डॉ नरेंद्र ने कहा कि हर साल ब्लड प्रेशर की जांच कम से कम एक बार जरूर करवानी चाहिए। इसी प्रकार आंखों की जांच भी जरूरी है। जिन परिवार की हिस्ट्री में ग्लूकोमा हो गया, उनको सजग रहना चाहिए। इनको साल में दो बार जांच करनी चाहिए, क्योंकि ग्लूकोमा का लक्षण प्राथमिक स्टेज पर नहीं चलता है। जबकि, बीमारी बढ़ने पर ऑप्टिकल नस खराब होनी की आशंका रहती है। लापरवाही से नस पूरी तरह खराब होने पर उसका उपचार करना मुश्किल है। ऐसी स्थिति में आंखों की रोशनी जा सकती है।
इस मौके पर हॉस्पिटल के महाप्रबंधक डॉ सुनील डागर, ने बताया कि हमारे हॉस्पिटल में नेत्र रोग से सम्बंधित सभी बीमारियों के इलाज की उन्नत सुविधाओं के साथ साथ ग्लूकोमा के जांच एवं इलाज के लिए अत्याधुनिक मशीनें, लेजर एवं सर्जिकल उपकरण उपलब्ध हैं। उन्होंने आगे बताया कि उनको ज्यादा खतरा है, जिनके परिवार में किसी को काला मोतिया हो, या 40 वर्ष से अधिक आयु के लोग, या मधुमेह से पीड़ित लोग, या जिन लोगों ने काफी समय तक स्टीरॉइड लिए हो, या फिर जिन लोगों की आंखों में चोट लगी हो, उनको ज्यादा खतरा रहता है।
इस अवसर पर हॉस्पिटल के जनसम्पर्क अधिकारी गौरव पांडे और विनोद परमार भी उपस्थित थे।