नगर निगम सदन ने हंगामों के बीच 856 करोड़ 9 लाख 80 हजार का पुनरीक्षित बजट पारित किया








गाजियाबाद। गुरुवार को आहूत नगर निगम सदन की बैठक शांतिपूर्वक शुरू हुई, लेकिन कुछ देर बाद ही पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच प्रस्तावित आय-व्यय और जीडीए द्वारा घोषित सैंकड़ों अवैध कॉलोनियों में प्रस्तावित विकास कार्यों के सवाल पर गर्मागर्म बहस में तब्दील हो गई। इसी अफरातफरी का लाभ उठाते हुए महज एक घण्टे के भीतर ही बीजेपी पार्षदों ने हाथ उठाकर 856 करोड़ 09 लाख 80 हजार के पुनरीक्षित बजट 2018-19 को बहुमत से पारित कर दिया, जबकि निगम की पुनरीक्षित आय मात्र 680 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपये ही होगी। इस प्रकार निगम को 175 करोड़ 84 लाख 30 हजार रुपये का घाटा होगा। यदि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय घटी तो निगम का घाटा और भी बढ़ जाएगा। 


 

यही वजह है कि कांग्रेस, बसपा और सपा के विपक्षी पार्षदों ने पुनरीक्षित बजट प्रस्ताव को पास कराने के सत्तापक्ष के बीजेपी के सदस्यों सहित आधिकारियों के कामकाज के तौर तरीकों पर गहरी नाराजगी जताई और सदन में ही बीजेपी नेतृत्व विरोधी नारे लगाने लगे। बाद में, एक दर्जन से अधिक विपक्षी पार्षदों ने नगर निगम प्रवेश द्वार की सीढ़ियों पर धरने भी दिए और सत्ता पक्ष और सरकार विरोधी नारे लगाए। विपक्षी पार्षदों में कांग्रेस पार्षद दल के नेता जाकिर अली सैफी और मनोज चौधरी काफी मुखर दिखे।

 

कांग्रेस पार्षद और निगम कार्यकारिणी सदस्य मनोज चौधरी ने कहा कि जब आप मूल बजट लाएंगे, तब हमलोग फरवरी 2019 के वास्तविक और मार्च के लिए प्रस्तावित-पुनरीक्षित आवंटन को पारित करेंगे। पिछली कार्यकारिणी बैठक में हमलोगों ने जनवरी तक के आवंटन पारित कर दिए हैं और तभी कहा भी था कि फरवरी और मार्च के आवंटन मूल बजट के साथ अंतिम रूप से प्रस्तुत करें। बनावटी आंकड़ों से हमलोगों को गुमराह न करें। इस बीच हस्तक्षेप करते हुए नगर आयुक्त दिनेश चंद्र ने माननीय पार्षदों को समझाया कि पुनरीक्षित बजट 2018-19 में फरवरी 2019 तक के वास्तविक और मार्च के लिए प्रस्तावित-पुनरीक्षित आंकड़े माननीय पार्षदों की समीक्षा के लिए दिए गए हैं। आप जो पारित करेंगे, उसे ही निगम प्रशासन अमल में लाएगा।

 

प्राप्त बजट मसौदे के मुताबिक, नगर निगम के पुनरीक्षित बजट 2018-19 में फरवरी 2019 तक वास्तविक प्रारंभिक अवशेष 320 करोड़ 23 लाख 69 हजार 509 रुपये और वास्तविक आय 353 करोड़ 12 लाख 22 हजार 555 रुपए दिखाया गया है। वहीं उक्त अवधि में ही वास्तविक व्यय 345 करोड़ 87 लाख 16 हजार 065 रुपये और अंतिम अवशेष 327 करोड़ 48 लाख 75 हजार 998 रुपए दिखाया गया है। जबकि, उसी अवधि में प्रस्तावित/पुनरीक्षित प्रारंभिक अवशेष 320 करोड़ 23 लाख 69 हजार 509 रुपये और आय 680 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपये और व्यय 856 करोड़ 09 लाख 80 हजार रुपये और अंतिम अवशेष 144 करोड़ 39 लाख 39 हजार 509 रुपए दर्शाया गया है।

 

आय सम्बन्धी आंकड़े के मुताबिक, पुनरीक्षित बजट 2018-19 में फरवरी तक वास्तविक राजस्व आय 90 करोड़ 35 लाख 44 हजार 297 रुपये हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 127 करोड़ 20 लाख रुपये रखी गई है। उसी अवधि में लाइसेंस से वास्तविक आय 93 लाख 36 हजार 361 रुपये हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 1 करोड़ 15 लाख रुपये रखी गई है। विक्रय से वास्तविक आय 48 लाख 83 हजार 061 रुपए हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 1 करोड़ 24 लाख रुपये रखी गई है। किराया से वास्तविक आय 4 करोड़ 53 लाख 32 हजार 901 रुपये हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 4 करोड़ 29 लाख रुपये रखी गई है। ठेका से वास्तविक आय 2 करोड़ 20 लाख 89 हजार 261 रुपये हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 3 करोड़ 10 लाख रुपये रखी गई है। शुल्क से वास्तविक आय 3 करोड़ 36 लाख 88 हजार 515 रुपये हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 19 करोड़ 45 लाख 50 हजार रुपये रखी गई है। शासकीय अनुदान एवं अन्य मदों से आय 250 करोड़ 04 लाख 54  हजार 687 रुपए हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 516 करोड़ 40 लाख रुपये रखी गई है। विविध स्रोतों से वास्तविक आय 1 करोड़ 18 लाख 93 हजार 471 रुपए हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 7 करोड़ 42 लाख रुपये रखी गई है। इस प्रकार कुल वास्तविक आय 353 करोड़ 12 लाख 22 हजार 555 रुपए हुई, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित आय 680 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपए रखी गई है।

 

व्यय सम्बन्धी आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 में फरवरी तक सार्वजनिक निर्माण सम्बन्धी वास्तविक व्यय 45 करोड़ 95 लाख 59 हजार 820 रुपये हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के रूप में 173 करोड़ 16 लाख रुपए रखे गए हैं। उसी अवधि में जल सम्भरण एवं निस्तारण सम्बन्धी 50 करोड़ 26 लाख 97 हजार 092 रुपये व्यय हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के रूप में 83 करोड़ 85 लाख रुपये रखे गए हैं। प्रकाश विभाग में वास्तविक व्यय 6 करोड़ 31 लाख 6 हजार 659 रुपए हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के लिए 18 करोड़ 17 लाख 20 हजार रुपये रखे गए हैं।  स्वास्थ्य विभाग व नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन में वास्तविक व्यय 88 करोड़ 56 लाख 82 हजार 957 रुपये हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के रूप में 106 करोड़ 16 लाख रुपये रखे गए हैं। उद्यान विभाग में वास्तविक व्यय 10 करोड़ 74 लाख 66 हजार 349 रुपये हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के रूप में 26 करोड़ 54 लाख रुपए रखे गए हैं। शिक्षा, खेलकूद, समाज कल्याण एवं पुस्तकालय के लिए वास्तविक व्यय 1 करोड़ 35 लाख 35 हजार 547 रुपए हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के रूप में 4 करोड़ 55 लाख रुपए रखे गए हैं। सम्पत्ति एवं प्रवर्तन विभाग में वास्तविक व्यय 74 लाख 50 हजार 175 रुपये हुए, जबकि प्रस्तावित-वास्तविक व्यय के रूप में 2 करोड़ 30 लाख रुपये रखे गए हैं। विधि विभाग में वास्तविक व्यय 1 करोड़ 8 लाख 81 हजार 073 रुपए हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के लिए 2 करोड़ 60 हजार रुपये रखे गए हैं। सामान्य प्रशासन कार्मिक, नजारत, लेखा आदि में वास्तविक व्यय 84 करोड़ 09 लाख 34 हजार 100 रुपए हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के लिए 103 करोड़ 36 लाख रुपये रखे गए हैं। शासकीय अनुदान एवं अन्य मदों से कार्य में वास्तविक व्यय 56 करोड़ 74 लाख 2 हजार 293 रुपये हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के लिए 336 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इस प्रकार फ़रवरी तक वास्तविक व्यय 345 करोड़ 87 लाख 16 हजार 065 रुपये हुए, जबकि प्रस्तावित-पुनरीक्षित व्यय के रूप में 856 करोड़ 9 लाख 80 हजार रुपये रखे गए हैं।

 

दिलचस्प बात तो यह है कि बजट प्रस्तुति के बाद विपक्षी पार्षदों ने जब आय-व्यय की कतिपय विसंगतियों और उसकी समयावधि पर सवाल उठाए तो सदन हंगामे में डूब गया। देखते ही देखते तकरार बढ़ने लगी। निर्माण, जल सम्भरण, उद्यान, सम्पत्ति आदि क्षेत्रों के लिए प्रस्तावित व्यय प्रावधानों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। इसी बीच बीजेपी के पार्षदों ने हाथ उठाकर पुनरीक्षित बजट प्रस्तावों को पारित कर दिया। साथ ही, आसन्न अचार संहिता के मद्देनजर तत्काल प्रभाव से विभिन्न लम्बित टेंडर्स को बोर्ड और सदन की स्वीकृति की प्रत्याशा में पारित कराने के लिए महापौर आशा शर्मा को अधिकृत कर दिया, ताकि विकास कार्य नहीं ठिठके। लेकिन बीजेपी पार्षदों की हड़बड़ाहट विपक्षी पार्षदों को नागवार गुजरी। लिहाजा, उन्होंने एकजुट होकर सदन के भीतर और बाहर महापौर, पीएम मोदी और बीजेपी विरोधी नारे लगाए।

 

नगर निगम सदन की बैठक को संबोधित करते हुए महापौर आशा शर्मा ने कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में गाजियाबाद पूरे यूपी में अव्वल आया है। देशव्यापी रैंकिंग में भी गाजियाबाद ने काफी सुधार किया है। इसके लिए समस्त शहरवासियों सहित पूरे निगम परिवार का मैं शुक्रगुजार हूं और तहेदिल से सबका आभार प्रकट करती हूं। यह उपलब्धि बरकरार रहे और अपने आपमें उत्तरोत्तर सुधार करते हुए पूरे देश में हमारा शहर आने वाले वर्ष में अव्वल आए, इस दिशा में पूरी तन्मयता से हम सबको प्रयत्नशील रहना है। 

 

इस मौके पर सदन के उप नेता और बीजेपी पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने कहा कि इस उपलब्धि के लिए हमें सफाई कर्मचारियों का भी विशेष तौर पर आभारी होना चाहिए। क्योंकि यह अंतिम नहीं है। जैसे पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त करने वाला इंदौर हर रोज सुबह निकलता है, हर रोज अहले सुबह जागता है, उसी प्रकार से हमें भी सजग और सचेष्ट रहना होगा।

 

इस अवसर पर नगर आयुक्त दिनेश चंद्र ने कहा कि आप सभी पार्षदों और निगम कर्मियों का सहयोग सराहनीय और उल्लेखनीय है। हमारे कर्मचारियों ने जिन विपरीत परिस्थितियों में ये उपलब्धियां अर्जित की हैं और अब भी अपने कार्यों के प्रति ततपर रहते हैं, उसका मैं कायल हूं। उन्होंने कहा कि सिर्फ क्लीन होने से काम नहीं चलेगा, बल्कि बढ़ते वायु प्रदूषण को भी काबू में करने के लिए सकारात्मक पहल करनी होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य पूरे सूबे को दिया है। इसलिए हमलोगों को कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। उन्होंने पार्षद गणों से आह्वान किया कि वृक्षारोपण अभियान चलाने और रोपे गए पौधे को बचाने में आपका सहयोग अनिवार्य है।