प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत कम पंजीकरण होने से चिंतित दिखे श्रम कल्याण परिषद अध्यक्ष






गाजियाबाद। श्रम कल्याण परिषद, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील भराला ने कहा कि प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत अधिक से अधिक श्रमिकों का पंजीयन करवाना उनकी प्राथमिकता है। लेकिन इस दौरान जिन विसंगतियों का पता चला है, उन्हें भी दूर किया जाएगा। उनका इशारा सीएससी और एलआईसी की तरफ तो था ही, कतिपय उन कानूनों की तरफ भी था जो ईजी ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत श्रमिक हितों की उपेक्षा करके पूंजीपतियों के हित में बनाए गए हैं ताकि पंजीयन, ईएसआई और पीएफ की सुविधा 50 से कम श्रमिकों के नियोक्ता को न देनी पड़े। उन्होंने साफ कहा कि श्रमिकों का हित उनके लिए सर्वोपरि है और इसके लिए परिषद को और अधिक सक्रिय बनाया जाएगा। 
 

स्थानीय सिट्रस होटल सभागार में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अध्यक्ष श्री भराला ने कहा कि आगामी तीन महीने में आपको परिषद का नया अवतार देखने को मिलेगा, जो सबसे गरीब श्रमिकों के कल्याण  के प्रति सदैव चौकस रहेगा। इस दिशा में जो भी नीतिगत विसंगतियां सामने आ रही हैं या फिर आएंगी, उन्हें दूर करने की हर सम्भव कोशिश की जाएगी और जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान भी इस ओर आकर्षित करवाया जाएगा।

 

अध्यक्ष श्री भराला ने कहा कि उत्तरप्रदेश में 17,500 उद्योगों-कारखानों और 5,50,000 अधिष्ठानों-प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को उनका वाजिब हक दिलवाने के प्रति वो सदैव ततपर रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस परिषद का अध्यक्ष बनते ही मैंने इसमें जान फूंकने की कोशिश की है और इसी सिलसिले में विभिन्न जगहों पर स्थानीय अधिकारियों की बैठकें भी कर रहे हैं, ताकि जमीनी हकीकत का पता चले। उसके बाद आवश्यक प्रस्ताव बनवाकर परिषद से उसे पास करवाना और सरकार से मदद हासिल करना मेरी जिम्मेदारी रहेगी, जिसे मैं पूरा करके ही दम लूंगा। उन्होंने श्रमिकों के हित वाली पांच योजनाओं की भी घोषणा कि जो उनके धार्मिक पर्यटन, स्वास्थ्यगत चिंताओं, बच्चों के भविष्य को संवारने आदि को लेकर बनी हैं।




 

इस मौके पर गाजियाबाद के उपश्रमायुक्त पंकज सिंह राणा ने कहा कि उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद कानपुर द्वारा प्रदेश के श्रमिकों एवं उनके परिवार के कल्याण के लिए कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित हैं, जिनका लाभ लेने के लिए श्रमिकों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिलवक्त श्रमिकों के समग्र उत्थान हेतु पांच योजनाएं चल रही हैं। 

 

पहला, श्रमिकों के पुत्र-पुत्रियों को प्राविधिक शिक्षा में प्रवेश पाने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना के तहत जनपद सहित प्रदेश के ऐसे श्रमिक जो उत्तर प्रदेश दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 और कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत पंजीकृत कारखानों में कार्यरत हैं और उनका कुल वेतन यदि 15000 रुपए से अधिक ना हो तो उनके पुत्र और पुत्रियों को आर्थिक सहायता दी जाती है। उनको सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम हेतु प्रतिवर्ष एकमुश्त 5000 रुपये, डिप्लोमा पाठ्यक्रम हेतु प्रतिवर्ष एकमुश्त 8000 रुपये और डिग्री पाठ्यक्रम हेतु प्रतिवर्ष एकमुश्त 10,000 रुपए दिए जाएंगे। 

 

दूसरा, श्रमिकों के मेधावी पुत्र-पुत्रियों को पुरस्कार राशि वितरण योजना के तहत प्रदेश में ऐसे श्रमिक जो उत्तर प्रदेश दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 और कारखाना अधिनियम 1968 के अंतर्गत पंजीकृत कारखानों में कार्यरत हैं और  जिनका वेतन 15,000 रुपये से अधिक नहीं है, के मेधावी पुत्र-पुत्रियों को 60 प्रतिशत या उससे अधिक अंक से हाई स्कूल, इंटर, स्नातक एवं स्नातकोत्तर करने पर 60 प्रतिशत से अधिक और 75 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले छात्र-छात्रा को 3000 रुपये तथा 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक पाने वाले छात्र-छात्रा को 5000 रुपए एकमुश्त पुरस्कार दिए जाएंगे। 

 

तीसरा, श्रमिकों के पुत्र-पुत्रियों के विवाह पर कन्यादान के रूप में आर्थिक सहायता योजना के तहत प्रदेश के ऐसे श्रमिक जो कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत पंजीकृत कारखानों में कार्यरत हैं और जिनका वेतन 15000 रुपए से अधिक नहीं है, की पुत्रियों के विवाह हेतु 15000 रुपये प्रति की दर से 2 कन्याओं तक हितलाभ दिया जाएगा। 

 

चतुर्थ, मृतक श्रमिकों की विधवाओं अथवा आश्रितों को आर्थिक सहायता योजना के तहत प्रदेश के  ऐसे श्रमिक जो कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत पंजीकृत कारखानों में कार्यरत थे तथा जिनका कुल वेतन 15000 रुपए से अधिक नहीं था, की यदि किन्हीं कारणवश मृत्यु हो जाती है तो उनकी विधवा व आश्रित को 15 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। 

 

पांचवां, मृतकों श्रमिकों की विधवाओं अथवा आश्रितों को अंत्येष्टि हेतु आर्थिक सहायता योजना के तहत प्रदेश के ऐसे श्रमिक जो कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत पंजीकृत कारखानों में कार्यरत थे तथा जिनका कुल वेतन 15000 रुपए से अधिक नहीं था, कि किन्हीं  कारणवश मृत्यु हो जाने पर उनकी विधवा अथवा आश्रित को अंत्येष्टि हेतु 5000 रुपए की आर्थिक सहायता अनुमन्य होगी।