राहुल पर भाजपा का गंभीर आरोप



भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में आज एक प्रेस वार्ता में कल आर्म्स डीलर संजय भंडारी के साथ राहुल गांधी के सीधे संबंध होने के खुलासे के बाद मीडिया में सामने आये आज के तथ्यों पर राहुल गाँधी पर जम कर प्रहार किया।


श्री प्रसाद ने कहा कि कल पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने प्रेस कांफ्रेंस कर गाँधी परिवार की जमीन खरीद और उससे उपजे भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा खुलासा किया था। इससे संबंध में आज गाँधी परिवार के कुछ और लैंड डील्स की जानकारी आई है। कल राहुल गाँधी और संजय भंडारी के संबंधों पर हुए खुलासे को लेकर प्रेस कांफ्रेंस पर हमने कांग्रेस पार्टी का जवाब भी देखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि राहुल गाँधी ने एक जमीन खरीदी, फिर उन्होंने अपनी बहन प्रियंका वाड्रा को गिफ्ट कर दी जिसे प्रियंका वाड्रा ने एक संस्थान को दे दिया तो इसमें गलत क्या है? जमीन खरीदने में गड़बड़ी नहीं है लेकिन किससे जमीन खरीदी गई, एक ही व्यक्ति से क्यों खरीदी गई और एक ही व्यक्ति के माध्यम से क्यों जमीन खरीदी गई, इससे बड़े घोटाले की बू आ रही है।


वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एक बात को स्पष्ट है कि रॉबर्ट वाड्रा के सभी जमीन घोटालों में राहुल गाँधी उनके साथ पूरी मजबूती के साथ खड़े हैं। सारी जमीन चाहे वह रॉबर्ट वाड्रा ने खरीदी हो, या प्रियंका वाड्रा ने या फिर राहुल गाँधी ने, एक ही व्यक्ति एच एल पाहवा से खरीदी और एक ही व्यक्ति महेश नागर के माध्यम से खरीदी जिसके कागजात मीडिया में अब सामने आये हैं। खुलासे में यह भी सामने आया है कि पाहवा के पास इतना फंड ही नहीं था। पाहवा को इस कार्य के लिए सी सी थम्पी द्वारा फंड उपलब्ध कराया गया। सी सी थम्पी और संजय भंडारी के बीच रुपयों का कई बार लेन-देन हुआ है। दोनों के बीच कई ट्रांजैक्शंस हुए हैं। ये दोनों वाड्रा से भी जुड़े हुए हैं। थम्पी ने वाड्रा के लिए बेनामी संपत्ति की ख़रीद की थी और भंडारी ने उस करार के दौरान पुल का कार्य किया था।


17 मार्च 2008 को राहुल गाँधी ने लगभग 26 लाख 47 हजार रुपये में पलवल, हरियाणा में महेश नागर के माध्यम से 6।5 एकड़ जमीन की खरीद एच एल पाहवा से खरीदी। 03 मार्च 2008 को एच एल पाहवा पलवल के पास हसनपुर में रॉबर्ट वाड्रा को उसी महेश नागर के माध्यम से जमीन बेचते हैं। 28 अप्रैल 2006 अमीपुर में प्रियंका वाड्रा पाहवा से ही महेश नागर के माध्यम से जमीन खरीदी। आखिर ये पाहवा कौन हैं, इनका क्या बिजनेस है और इनकी आय का स्रोत क्या है - यह देश की जनता जानना चाहती है। कांग्रेस के कल के पूरे जवाब में पाहवा पर खामोशी थी और ये खामोशी कई सवाल खड़े करती है। प्रियंका वाड्रा ने जो जमीन पाहवा से खरीदी, उसे चार साल से भी कम समय में पांच गुने से भी अधिक दाम में बेच दी। इसी तरह रॉबर्ट वाड्रा ने जो जमीन खरीदी, इसे कुछ ही सालों में करोड़ों रुपये में फिर से बेच दिया गया।


श्री प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी से सवाल किया की  क्या पाहवा गाँधी फैमिली के रीयल स्टेट कारोबार में आधिकारिक रिटेनर हैं, देश जानना चाहता है।
तथा क्या पाहवा ने ये सभी डील अकेले की या इसमें संजय भंडारी का भी सहयोग है क्योंकि सी सी थम्पी के माध्यम से पाहवा और भंडारी के तार आपस में जुड़े हुए हैं और तीनों पर ईडी की जाँच चल रही है। संजय भंडारी, सी सी थम्पी और रॉबर्ट वाड्रा के संबंध तो पहले से ही जगजाहिर हैं।


श्री प्रसाद ने राहुल गाँधी और संजय भंडारी के संबंध के भंवरजाल पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि संजय भंडारी एयरबस के लिए दलाली का भी काम करता था जिसका यूरोफाइटर राफेल के साथ डील में शामिल था, हालांकि लो बिड के चलते डील राफेल को मिल गई। कई मीडिया रिपोर्टों में तो ये बात भी आई है कि राहुल गाँधी यूरोफाइटर के अधिकारियों के साथ विदेश में कहीं मिले थे। शायद राफेल डील होने से संजय भंडारी को लाभ नहीं हुआ जिनको राहुल गाँधी का आशीर्वाद रहा है। संजय भंडारी ने राफेल के ऑफसेट क्लॉज से भी फायदा उठाने की कोशिश की लेकिन उसकी दाल यहाँ भी नहीं गली। हालांकि कांग्रेस पार्टी की पूरी लीगल सेल संजय भंडारी को बचाने में लगी है जो मीडिया रिपोर्टों से सिद्ध हुआ है और   कहा कि लगता हो यही है कि इस मामले में अभी और भी नए तथ्य सामने आ सकते हैं।