बेशर्मी की पराकाष्ठा






इन दिनों अगर दुनिया के किसी देश ने बेशर्मी की पराकाष्ठा को भी पार करने की ठान ली है तो वह पाकिस्तान ही है। स्थिति यह है कि एक ओर तो वह दानेकृदाने का मोहताज होता जा रहा है। अर्थव्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो रही है। महंगाई दर दहाई के अंक की ओर बढ़ चली है। बीते छह सालों की तुलना में इस वक्त पाकिस्तान में महंगाई की दर सबसे अधिक है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले उसका रूपया इस कदर नीचे गिरता जा रहा है कि इन दिनों एक डॉलर की कीमत तकरीबन डेढ़ सौ रूपये हो गई है। सौ रूपये लीटर की दर से पेट्रोल बिक रहा है। जनता त्राहिकृत्राहि कर रही है। हालात भुखमरी की ओर बढ़ रहे हैं। दुनिया भर के देशों से लिये गये कर्ज की माफी की गुहार लगा रहा है। लेकिन इस खस्ताहालत के बावजूद उसकी फितरत में सुधार की कोई संभावना नहीं दिख रही है। स्थिति यह है कि आम जनता के विद्रोह को दबाने के लिये पाकिस्तान ने राष्ट्रवाद के खुमार में इजाफे की राह पकड़ ली है और इसके लिये वह लगातार भारत को निशाना बनाने में जुटा हुआ है। उसकी पूरी कोशिश है कि भारत के साथ सरहद पर लगातार तनाव और युद्ध जैसी स्थिति बनी रहे ताकि अपने लोगों को राष्ट्रवाद के नशे में गर्क करके रखा जाए और उन्हें देश की असली व जमीनी समस्याओं के बारे में सोचने की भी फुर्सत ना दी जाए। इसी सोच के साथ काम कर रही पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना ने इन दिनों सरहद पर युद्ध का माहौल बना कर रखा हुआ है। कभी पाकिस्तान के लड़ाकू जहाज भारत की सीमा में घुसने की कोशिश करते हैं तो कभी पाकिस्तान की फौज की ओर से अकारण भारी गोला बारी की जा रही है। हालांकि भारत की सेना लगातार ऐसी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे रही है और जहां एक ओर वायुसेना के जांबाज देश की सरहद के भीतर पाकिस्तानी जहाज को झांकने की भी इजाजत नहीं दे रहे हैं और डॉग फाइट के द्वारा उन्हें खदेड़ कर उल्टे पांव वापस लौटने के लिये मजबूर कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर भारतीय सेना भी पाकिस्तान की ओर से हो रही अकारण गोलाबारी का करारा जवाब दे रही है। पाकिस्तान की ओर से सरहद पर की जा रही गोलाबारी की भीषणता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ राइफल या मोर्टार से हमले नहीं किये जा रहे बल्कि बकायदा उधर से तोप से गोले दागे जा रहे हैं। पाकिस्तान की ओर से हो रही इस गोलाबारी की चपेट में जब बीएसएफ के एक इंस्पेक्टर सहित कुछ जवान भी आ गए तो भारत ने भी अपनी जवाबी फायरिंग की रेंज को बढ़ा दिया जिसके कारण पाकिस्तान की आठ चैकियां तबाह हो गईं और दर्जनों पाकिस्तानी सैनिकों को भारत पर गोले बरसाने के दुस्साहस का खामियाजा भुगतना पड़ा। लेकिन इस नुकसान के बावजूद पाकिस्तान की हरकतों में कमी का कोई संकेत नहीं है और उस पार से लगातार फायरिंग की जा रही है। खैर सरहद पर तो पाकिस्तान के सभी दुस्साहस का माकूल जवाब दिया जा रहा है लेकिन पाकिस्तान को यह डर भी सता रहा है कि कहीं फिर से भारतीय सेना सरहद पार करके उसकी गर्दन न दबोच ले। इसी डर के कारण पाकिस्तान ने अमेरिका के सामने गिड़गिड़ाना भी शुरू कर दिया है कि वह दोनों देशों के बीच दोबारा बातचीत कराने की पहल करे। इसी सिलसिले में पाकिस्तानी विदेश मंत्री महमूद शाह कुरैशी ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो को फोन करके कहा कि इस इलाके में शांति स्थापित करने के लिये वे अपनी ओर से पहल करें। हालांकि पाकिस्तान ने अपनी ओर से यही दिखाने का प्रयास किया है कि वह भारत के साथ शांति और अमन का ख्वाहिशमंद है और इसी वजह से उसने बीते दिनों पकड़े एयर मार्शल अभिनंदन को भी रिहा कर दिया था लेकिन वह अमेरिका के सामने यह कबूल नहीं कर रहा है कि भारत पाकिस्तान सीमा पर जारी तनाव वह ही उत्पन्न कर रहा है। दरअसल इस तिकड़म में पाकिस्तान की वह कोशिश स्पष्ट दिखाई पड़ रही है जिसके तहत वह कश्मीर के मसले पर अमेरिका को मध्यस्थता करने के लिये सहमत करने में जुटा हुआ है। वह भी तब जबकि उसे बेहतर पता है कि इस मामले में भारत कतई किसी तीसरे पक्ष को कुछ भी बोलने का मौका देना गवारा नहीं कर सकता है। भारत का हमेशा से यही मानना है कि कश्मीर का मसला दोनों का आपसी मामला है जिसका कोई भी समाधान दोनों देशों को ही मिलकृबैठकर निकालना होगा और इस मामले में किसी अन्य को मध्यस्थ नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन पाकिस्तान की हमेशा से यही कोशिश रही है कि भारत को इतना परेशान किया जाए कि यह कश्मीर के मामले को लेकर दुनिया के समक्ष अपना दुखड़ा रोये और इसे वैश्विक मसले की शक्ल दी जा सके। पाकिस्तान की इस खुराफाती नीति को समझते हुए बेहतर होगा कि भारत अपनी उसी नीति पर डटा रहे जिसके तहत कहा जा रहा है कि गोली और बोली एक साथ नहीं चल सकती है। पाकिस्तान अगर वाकई इमानदार होता तो उसने अपनी जमीन पर पल रहे भारत विरोधी तत्वों पर लगाम कसने की ठोस पहल की होती और अपनी सेना को सरहद पर शांति बनाए रखने का निर्देश दिया होता। लेकिन एक ओर तो वह आतंक के मसले पर भारत को कोई रियायत देने के मूड में नहीं है और दूसरी ओर उसकी फौज दिनोंदिन लगातार खूंखार होती जा रही है। ऐसे में भारत की यह नीति वाकई वाजिब है कि कश्मीर के मसले पर बाद में बात होगी, पहले आतंक का समूल नाश किया जाए। आतंक का समूल नाश होने तक पाकिस्तान के साथ कश्मीन मसले पर कोई भी बात नहीं होने की स्थिति ने पाकिस्तान की इमरान सरकार को बुरी तरह असहज कर दिया है। ऐसे में अब अमेरिका को इस मामले में मध्यस्थ बनाने का जो प्रयास किया जा रहा है उसमें भारत को चाहिये कि वह अमेरिका को इस बात के लिये सहमत करे कि वह पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों पर सीधी कार्रवाई करने के लिये आगे आए। पाकिस्तान के नहीं चाहने के बावजूद अगर पाक-अफगान सीमा पर आतंकियों के खिलाफ अमेरिका का सैन्य अभियान चल सकता है तो भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ भी यह विकल्प तो खुला ही है।