धूल भरी आंधी एवं बदलते मौसम की दोहरी मार झेल रहे दमा के मरीज














गाजियाबाद। रविवार को कौशांबी स्थित यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में फेफड़ों की स्वास्थ्य जांच के लिए एक विशाल शिविर का आयोजन किया गया।  इस शिविर में 100 से भी ज्यादा लोगों ने कैंप का लाभ लिया। मरीजों ने वरिष्ठ सांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के के पांडे, डॉक्टर अर्जुन खन्ना एवं डॉक्टर अंकित सिन्हा से परामर्श कर फेफड़ों सांस फूलने दमा एलर्जी एवं खर्राटे की बीमारियों से निजात पाने के उपाय एवं उपचार समझे।

 

शिविर का उदघाटन  यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक डॉ पी एन अरोड़ा जी ने किया। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि इस शिविर में अप्रैल के महीने में अचानक धूल भरी आंधीओं एवं हवा में धूल के कण, परागकण एवं अन्य प्रकार की गंदगियों की वजह से सांस के मरीजों में सांस फूलने और अस्थमा दमा के बिगड़ने एवं एलर्जी की समस्या पाई बढ़ी हुई पाई गयी। इस शिविर में स्वांस सम्बन्धी बीमारियों, एलर्जी, खर्राटे, फेफड़ा रोग, दमा रोग के मरीजों को देखा गया एवं  लंग  फंक्शन  स्क्रीनिंग (स्पाइरोमीट्री) भी निःशुल्क की गयी।

 

मुरादनगर से आई नसरीन काफी लंबे समय से दमे का इलाज करा रही थी और दवाइयां ले रही थी, किंतु उन्हें जांच के द्वारा पता चला कि उन्हें सीओपीडी की बीमारी है। डॉक्टर अर्जुन खन्ना ने बताया कि इस तरह के चिकित्सा शिविरों से मरीजों को बहुत लाभ होता है तथा वह उनके अंदर पनप रही बड़ी बीमारियों के बारे में पता लगा पाते हैं, जिससे मरीजों का बहुत बचाव होता है।

इस शिविर में मरीजों को निशुल्क कंप्यूटर द्वारा फेफड़ों की जांच स्पायरोमेट्री पीक फ्लो मीटर एवं डाइटिशियन श्रीमती निधि आनंद एवं प्रियंका राघव द्वारा खानपान संबंधी निशुल्क परामर्श वरिष्ठ फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉक्टर मुबारक ने मरीजों को फेफड़ों को स्वस्थ रखने सम्बन्धी व्यायाम चिकित्सा के बारे में बताया। 

 

डॉ अंकित सिन्हा ने बताया कि इस शिविर में ऐसे भी मरीज मिले जिन्हें सांस संबंधी बीमारियों की वजह से इन्हेंलर्स पर रखा गया था किंतु उन्हें इनहेलर को सही तौर-तरीके से प्रयोग करने के बारे में विधिवत जानकारी नहीं थी। ऐसे मरीजों को एक नई डिवाइस स्पेसर के माध्यम से इनहेलर को प्रयोग करना सिखाया गया। उन्होंने बताया कि इन्हेलर्स लेने के बाद कुल्ला एवं गरारा कारण अत्यंत आवश्यक होता है, अन्यथा गले में इन्फेक्शन (संक्रमण) होने का ख़तरा बना रहता है। 

 

डॉक्टर के के पांडे ने बताया कि इस कैंप में हमें कुछ नए दमे के मरीज भी मिले जिन्हें बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उन्हें दमा है एवं सीजनल एलर्जी के मरीजों की भी बढ़ी हुई संख्या पाई गई।

 

डॉक्टर अर्जुन खन्ना ने बताया कि इस बदलते हुए एवं धूल भरे मौसम में लोगों को एन-95 मास्क पहनकर रहना चाहिए और जब धूल मिट्टी ज्यादा हो या धूल भरी आंधी चल रही हो तब घर से बाहर ना निकले और अपने आप को हाइड्रेटेड रखे हैं यानी खूब पानी पिएं। यदि हम ऐसा करेंगे तो हम इस बदलते हुए मौसम के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं और यदि तकलीफ बढ़ती है तो समय पर नियमित जांच कराएं एवं डॉक्टरी सलाह लें।

 

 

 

 

 

 







 



 



 




 

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