एडिडास ने लांच की नई फिल्म ‘आलवेज़ रनिंग’








मुम्बई - आज दौड़ने का नया दौर चल रहा है। आज के दौर में दौड़ना अधिकांश लोगों के स्वस्थ रहने के प्रयास का अभिन्न हिस्सा बन गया है। पिछले एक दशक में दौड़ने के लिए आगे आए भारतीयों की संख्या बहुत बढ़ी है। अस्सी के दशक में पश्चिमी देशों में इसी तरह की तेजी देखी गई थी। भारत में दौड़ के आयोजन और मैराथनों के कार्यक्रम बढ़े हैं। हर साल हजारों की संख्या में इनके प्रतिभागी बढ़ रहे हैं। हालांकि मैराथन और 10 हजार मीटर की दौड़ के मिले-जुले आयोजनों में यह खेल आपको और बहुत कुछ देता है। दौड़ने का नया दौर चल रहा है और धावकों के मन में दौड़ का अपना विशेष महत्व है। दौड़ना आपका बिल्कुल निजी सफर है और दौड़ने वाले हर इंसान की अपनी एक कहानी है। 

 

खुद बहुत कम समय में मैराथन दौड़ लेने से लेकर ग्रुप या कम्युनीटी के साथ दौड़ने तक, दौड़ना फिटनेस की दिशा में तेजी से बढ़ता कदम है। कुदरत से जुड़ने, नए-नए शहर देखने और खाने और काॅफी की मेज पर सामाजिक सरोकार बढ़ाने तक यह इस हकीकत की शानदार मिसाल है कि दौड़ना खेल के शारीरिक और बायोमैकेनिकल पहलू से बढ़ कर और बहुत कुछ है। यह दिखाता है कि आप कैसे दौड़ की मदद से अंदर के डर को बाहर निकाल सकते हैं, आसपास की दुनिया बदल सकते हैं और अपनी निजी क्षमता के साथ एक नए सफर की शुरुआत कर सकते हैं।

 

इस बदलाव से उत्साहित और दौड़ की इस रुझान को जारी रखने के मकसद से विश्वप्रसिद्ध स्पोर्ट्सवियर ब्राण्ड एडिडास ने एक अनोखी फिल्म के माध्यम से दुनिया की दौड़ के मानचित्र पर भारत को प्रमुख स्थान दिया है। फिल्म दौड़ने को लेकर भारतीय नजरिया पेश करती है। इसकी कहानी की पृष्ठभूममि मंबई है जिसे 4 महादेशों में होने वाले एडिडास रनिंग फिल्म फेस्टिवल्स में बखूबी दिखाया गया है। एडिडास इंडिया की फिल्म 'आलवेज़ रनिंग' चुनी गई 7 फिल्मों में 1 है। इसके लिए 45 से अधिक शहरों ने अपनी इंट्री दी थी। लंदन, मैड्रिड, टोकियो, शंघाई, बेयरूत और लाॅस एंजेलीस समेत 7 कहानियों में 1 मुंबई की है। 

 

एडिडास का रनिंग फिल्म फेस्टिवल दुनिया के विभिन्न भागों के लोगों के दौड़ने की नब्ज़ समझ कर शहरांे में दौड़ने की संस्कृति दिखाने का सूंदर प्रयास है। 'आलवेज़ रनिंग' मुंबई और पूरे भारत में व्याप्त 'आलवेज़ आन द रन'  का उत्साह दिखाता है। यह दौड़ के स्थानीय नजरिये से मुंबई महानगर की तस्वीर पेश करने का सफल प्रयास है। इसमें शहर की संस्कृति के बारीक पहलुओं को दर्शाया गया है। फिल्म के 4 प्रमुख किरदारों और उनकी कहानियों को बतौर मिसाल पेश किया गया है। प्रत्येक कहानी एक आम इंसान के जीवन के लिए प्रेरणा बन सकती है। व्यक्तिगत और सामुहिक तौर पर ये कहानियां दौड़ने का बेहतर नजरिया पेश करती हैं और इनमें दिखाया गया है कि आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है अपनी जिन्दगी की दौड़ अपने अंदाज से पूरा करना!

 

फिल्म के माध्यम से एडिडास ने दौड़ का नया साउंडट्रैक 'चेजिंग माय ड्रीम्स: एंथम आॅफ रनिंग' पेश किया है जो भारत में दौड़ने वालों के लिए समर्पित है। यह रनिंग ट्रैक धावकों के अंतर्मन की आवाज को जगाता है और इसके बोल 'ओवर माय फियर्स, चेजिंग माय ड्रीम्स, इट्स ए न्यू बिगनिंग' एक आम भारतीय जीवन के साथ रनिंग ट्रैक का तालमेल दिखाता है।

 

दौड़ पर फिल्म लांच के अवसर पर श्री शरद सिंगला, ब्राण्ड मार्केटिंग डायरेक्टर, एडिडास इंडिया ने कहा, ''भारतीय महानगर पर आधारित भारत में दौड़ की कहानी पूरी दुनिया के धावकों के लिए प्रेरणा बनेगी यह बहुत गर्व की बात है। एक ब्राण्ड के रूप में हम देश की छिपी प्रतिभा को जगाने का प्रयास मात्र कर रहे हैं। यह कृति न केवल भारत में दौड़ने वालों की उत्साहवर्द्धक और एकजुटता की प्रवृति को सामने रखती है बल्कि हमारे देश की क्रिएटिव प्रतिभा की उच्चतम क्षमता भी दर्शाती है।