जयपुरिया स्कूल वसुंधरा पर अभिभावकों ने किया हंगामा, मामला पहुंचा इंदिरापुरम थाने







#  49 बच्चों की टीसी काटे जाने के बाद भड़का विवाद

# अभिभावकों ने 10 बच्चों की टीसी बिना पूर्व नोटिस के काटने का लगाया आरोप

# विद्यालय प्राचार्या डॉ मंजू राणा ने वर्ष भर फीस जमा नहीं करने पर की है सख्त कार्रवाई

# प्रशासन के हस्तक्षेप से त्रिपक्षीय बैठक हुई जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में

गाजियाबाद। जनपद की निजी शिक्षा व्यवस्था को किसी की नजर लग गई है। क्योंकि एक के बाद दूसरे स्कूल का प्रबंधन और गोलबंद अभिभावकगण एक दूसरे के आमने-सामने बताए जा रहे हैं। खासकर टीएचए में पहले सन वैली इंटरनेशनल स्कूल, वैशाली सेक्टर-1 और अब सेठ आनंदराम जयपुरिया पब्लिक स्कूल, वसुंधरा सेक्टर 14 में जो कुछ घटित हुआ, या हो रहा है, उसका देश के नौनिहालों के मनोमस्तिष्क पर क्या असर पड़ेगा और उनका बाल मनोविज्ञान किस हद तक प्रभावित होगा, इस बात की चिंता न तो अभिभावकों को है, न स्कूल प्रबंधन को और न ही प्रशासन को। मसलन, समय रहते यदि विधिसम्मत और न्यायसंगत त्रिपक्षीय पहल की गई होती तो बात इतनी नहीं बढ़ती कि 49 बच्चों की टीसी काटने की नौबत आ जाती और अभिभावक गण को बच्चों सहित डीएम ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते। लेकिन आज कुछ ऐसा ही घटित हुआ है। बात इतनी बढ़ चुकी है कि अभिभावकों ने स्कूल कैम्प्स के समक्ष भारी हंगामा किया। अभिभावकों का आरोप है कि 49 में से 10 ऐसे बच्चे हैं जिनकी टीसी बिना नोटिस दिए ही थमा दी गई है। उनका यह भी आरोप है कि विद्यालय प्रबन्धन प्रति वर्ष मनमाने तरीके से वार्षिक शुल्क और ट्यूशन फीस बढ़ाता रहता है और प्रशासनिक आदेशों पर अमल नहीं करता। इन 

विषयों पर जिलाधिकारी कार्यालय में दिन में बैठक हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। फिर सायं 5 बजे शुरू हुई बैठक में चर्चा जारी है। 

 

इन बातों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्राचार्या डॉ मंजू राणा ने दूरभाष पर बताया कि आज के हंगामा, मारपीट और तोड़फोड़ के बाद इंदिरापुरम थाना में सात अभिभावकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया गया है, जिसपर पुलिस की प्रतिक्रिया समाचार लिखे जाने तक नहीं मिल पाई है। जबकि प्राचार्या मंजू राणा ने स्पष्ट बताया कि उन्होंने 49 बच्चों की टीसी इसलिए काटी है, क्योंकि अब उनके पास इसके अलावा कोई चारा नहीं बचा था। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से इन बच्चों की फीस जमा नहीं की गई थी और विद्यालय द्वारा अभिभावकों को नाम हटाने सम्बन्धी बार बार दिए गए रिमाइंडर का भी उनके ऊपर कोई सकारात्मक असर नहीं पड़ा, जिससे यह सख्त फैसला विद्यालय प्रबंधन को लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि कुछ अभिभावकों ने पूरी फीस नहीं देकर कुछ कुछ राशि के चेक जमा किये हैं, उसमें से भी बहुतों के चेक बाउंस हो गए हैं।

 

प्राचार्या डॉ राणा ने आगे बताया कि फीस वृद्धि का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और हमलोग न्यायालय के फैसले को मानेंगे। लेकिन जब तक स्पष्ट न्यायादेश नहीं मिल जाता तबतक अभिभावकों को स्कूल प्रबंधन से सहयोग करना चाहिए, न कि बगावत। जैसा कि आज देखने को मिला। उन्होंने कहा कि जब मैंने 49 बच्चों के टीसी काट दिए और आज सुबह उन बच्चों को विद्यालय में लेने से इनकार कर दिया, तब उनके अभिभावकों ने एकजूट होकर मुख्य गेट पर नारेबाजी की, फिर गार्ड से हाथापाई की, जिससे कुछ गार्ड को चोट भी लगी। उसके बाद गेट तोड़कर जब बच्चों सहित अभिभावक अंदर आए, तब हमलोगों ने बच्चों को लाइब्रेरी में बिठाया और अभिभावकों से बातचीत की, लेकिन वो अपनी जिद्द पर अड़े रहे। बाद में वे लोग बच्चों सहित जिलाधिकारी कार्यालय की ओर रवाना हो गए।

 

उन्होंने आगे बताया कि कतिपय अभिभावकों के अराजक व्यवहार के बारे में उन्होंने इंदिरापुरम थाना में इत्तिला दे दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जबतक अभिभावक अपने अपने बच्चे की पूरी फीस नहीं जमा करेंगे, तबतक उनके बच्चों का दाखिला नहीं लिया जाएगा। उधर समाचार लिखे जाने तक जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में इस विषय पर बैठक चल रही है, जिसके  विवरण की प्रतीक्षा की जा रही है। बैठक में जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी, अभिभावक, सिटी मजिस्ट्रेट, डीआईओएस और स्कूल मैनेजमेंट के प्रतिनिधि शामिल रहे।