जिलाधिकारी ने प्रशिक्षण कार्य से गायब मतदान कार्मिकों की रिपोर्ट तलब की







गाजियाबाद। आगामी 11 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव हेतु मतदान कार्य के लिए मतदान कार्मिकों को दिए जा रहे क्रमबद्ध प्रशिक्षण से अनुपस्थित रहने वाले लगभग साढ़े सात दर्जन मतदान कार्मिकों की रिपोर्ट अविलम्ब तलब की गई है। क्योंकि ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ जिला प्रशासन एफआईआर दर्ज करवाने के मूड में है।

 

खबर है कि ऐसे मतदान अधिकारियों के मूल विभाग से उनकी अद्यतन रिपोर्ट तलब की गई है, जिसके बाद इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी सह जिला निर्वाचन अधिकारी रितु माहेश्वरी के आदेश पर ऐसे सभी गैरहाजिर मतदान कार्मिकों के मूल विभागों को नोटिस जारी किए गए हैं। डीएम श्रीमती महेश्वरी ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण व निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न कराने के लिए तकरीबन 17,500 मतदान कार्मिकों की मतदान के लिए ड्यूटी लगाई गई हैं। क्योंकि मतदान में करीब 14,000 कार्मिक लगेंगे। इसके अलावा, 3500 कार्मिकों को रिजर्व कैटेगरी में रखा गया है। इन्हें विभिन्न चुनाव की प्रक्रिया के बारे में हर जानकारी देते हुए आईटीएस कॉलेज, मोहननगर में विस्तृत प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

 

इस बारे में प्रशिक्षण प्रभारी और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) रमेश रंजन ने कहा कि पहले चरण का प्रशिक्षण मार्च में पूरा हो चुका है, जबकि 2 अप्रैल से आज 7 अप्रैल तक दूसरे चरण का प्रशिक्षण दिया गया।

इस चरण में 2705 मतदान कार्मिकों को ईवीएम, वीवी पैट मशीनों का प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने कहा कि अपने पहले दिन के प्रशिक्षण में कुल 123 मतदान अधिकारी गायब रहे। जबकि कुछ दूसरे दिन भी गायब रहे। हालांकि, तीसरे दिन भी 89 मतदान अधिकारियों ने प्रशिक्षण कार्य में भाग नहीं लिया है, जिससे प्रशासन के माथे पर बल पड़ा है। यही वजह है कि इन सभी अधिकारियों के विभागों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं  और उनसे विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। यदि सन्तोष जनक प्रतिउत्तर नहीं मिला तो इनके खिलाफ  एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। 

 

इस बारे में मुख्य विकास अधिकारी रमेश रंजन ने बताया कि प्रशिक्षण कार्य से अनुपस्थित रहने वाले मतदान अधिकारियों के विभागों से पूरी रिपोर्ट तलब की गई है और उन्हें नोटिस का जवाब मात्र 2 दिन में देने का आदेश दिया गया है, यदि वो नोटिस का जवाब तय समयावधि में नहीं दे पाए तो इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी निर्वाचन कार्य की उपेक्षा करने का दुस्साहस नहीं कर सके।