मलेरिया को हराने के लिए तैयार

(बाल मुकुन्द ओझा)


मलेरिया से होने वाली मौतों के मामले में भारत का विश्व में चैथा स्थान है। छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और उड़ीसा राज्यों में मलेरिया के अधिक मामलों की सूचना मिली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में सामने आए मलेरिया के कुल मामलों में से 80 प्रतिशत मामले भारत और 15 उप-सहारा अफ्रीकी देशों से थे। डब्ल्यूएचओ ने 2018 के लिए अपनी विश्व मलेरिया रिपोर्ट में भारत को लेकर एक सकारात्मक बात भी कही है। इसके मुताबिक भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने 2017 के मुकाबले 2018 में मलेरिया के मामलों को घटाने में प्रगति की है।
विश्व में हर साल 25 अप्रैल को मलेरिया दिवस मनाया जाता है। यूनिसेफ मलेरिया जैसे रोगों की रोकथाम और अकाल मौतों से लोगों को बचाने के लिए मलेरिया नियंत्रण विषयक जन जागरण अभियान के जरिये जनता,सरकार और स्वैच्छिक संस्थाओं जैसे संगठनों का ध्यान आकर्षित करता है। विश्व मलेरिया दिवस 2019 की थीम है जीरो मलेरिया स्टार्ट विद मी। यूनिसेफ का कहना है सब के सहयोग से ही इस खतरनाक रोग पर काबू पाया जा सकता है।
देश में इस समय मौसम चक्र अपनी रंगत पर है। कभी पारा 45 के पार हो जाता है तो कभी इसके नीचे चला जाता है। कहीं आंधियां चल रही है तो कहीं बारिश की बूंदों का छिड़काव राहत प्रदान कर रहा है। मौसम के इस बदलाव से बीमारियों का होना लगा रहता है। यह भी कहा जा सकता है कि बीमारियां मौसम बदलने का इंतजार करती है और जैसे ही मौसम बदलता है कि ये मानव को अपनी चपेट में ले लेती हैं। मलेरिया भी इनमें से एक बीमारी है। बदलते मौसम सेे बीमारी और भी खतरनाक हो जाती है। आपको मौसम का बदलना सुहाता हो, लेकिन मौसम का यह बदलाव अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है। मलेरिया और जलवायु में परिवर्तन के बीच गहरा संबंध है। गर्मी और बरसात के आते ही बीमारियां भी अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं। अधिकतर मलेरिया तब होता है, जब मौसम न तो ज्यादा गरम होता है और न ही ज्यादा ठंडा अथार्त तापमान साधारणत 25 से 35 डिग्री के बीच रहता है। हवा में आद्रता भी बनी रहती है और मच्छरों की भी भरमार होती है।
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मच्छर के काटने से फैलती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को यदि सही समय पर उचित इलाज तथा चिकित्सकीय सहायता न मिले तो यह जानलेवा सिद्ध होती है। मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो हजारों वर्षों से मनुष्य को अपना शिकार बनाती आई है। पिछले दो दशकों में हुए तीव्र वैज्ञानिक विकास और मलेरिया के उन्मूलन के लिए चलाए गए वैश्विक कार्यक्रमों के बावजूद इस जानलेवा बीमारी के आंकड़ों में कमी तो आई है, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलते है। मौसम परिवर्तन होता है तो मच्छरों की संख्या भी बढ़ती है और उसी के साथ मलेरिया के शिकार होने की संभावना भी। ऐसे में मलेरिया की दस्तक घर-घर तक पहुँच जाती है। जरा-सी असावधानी इस रोग को पनपने की मुख्य वजह बनती है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की एक रिपोर्ट अनुसार हर साल लगभग 8.5 लाख लोग मच्छर की मार से मारे जाते हैं । मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना। इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाएँ छिड़कवाना । मलेरिया से बचने के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचा जाए। मच्छरों से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ अपनानी चाहिए। जहाँ तक हो पूरी बाँह के कपड़ों का प्रयोग करें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। .बंद कमरे में जितना हो सके क्वॉइल का प्रयोग न करें। घर में पानी को जमा न होने दें। अगर आसपास पानी जमा है तो उसमें ऑइल डाल दें जिससे मच्छर नहीं पनपेंगे। थोड़ा भी बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले। मलेरिया होने पर संतुलित और पौष्टिक भोजन की अत्यन्त आवश्यकता होती है। मरीज के खाने पीने में तनिक भी असावधानी नहीं होनी चाहिए । मरीज को हल्का खाना खाने को दें। इस बात का विशेष ध्यान रखे कि उसका भोजन ज्यादा भारी न हो। मलेरिया के मरीज को आप खिचड़ी, दलिया, सूजी, चपाती, दाल, सूप, पनीर, हरी, पीली सब्जियाँ, फल आदि खाने को दें। इससे पाचन ठीक रहता है और उर्जा भी मिलती है ।