पृथ्वी दिवस पर जीव जंतुओं की सुरक्षा का संकल्प

(बाल मुकुन्द ओझा)


पृथ्वी दिवस एक सालाना आयोजन है जिसे 22 अप्रैल को पूरी दुनिया विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाती है। पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव जंतुओं और पेड़-पौधों को बचाने तथा दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने और पृथ्वी को बचाने के लिए हर साल हम यह दिवस मनाते हैं और इसके संरक्षण का संकल्प लेते हैं। सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 195 से अधिक देशों के 1 अरब से अधिक लोग मनाते हैं। पृथ्वी दिवस की इस वर्ष की थीम है जीव जंतुओं की सुरक्षा।


हम एक अर्से से पृथ्वी दिवस मना रहे हैं और लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद पृथ्वी पर मंडराता खतरा जस का तस बना हुआ है। सबसे बड़ा खतरा तो इसे ग्लोबल वार्मिंग से है। धरती के तापमान में लगातार बढ़ते स्तर को ग्लोबल वार्मिंग कहते है। वर्तमान में ये पूरे विश्व के समक्ष बड़ी समस्या के रुप में उभर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि धरती के वातावरण के गर्म होने का मुख्य कारण का ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि है। इसे लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है जिससे पृथ्वी पर खतरा बढ़ता जा रहा है। ये आपदाएँ पृथ्वी पर ऐसे ही होती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तिव ही समाप्त हो जाएगा। लगभग हर दिवस के पीछे मानव कल्याण की भावना रहती है। पृथ्वी दिवस भी इससे अछूता नहीं है। कहते है पृथ्वी संरक्षित होगी तो मानव जीवन भी सुरक्षित होगा। पृथ्वी हमारी धरोहर है, इसकी रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है। पृथ्वी ने हमें जीव जंतुओं सहित सूर्य, चाँद, हवा, जल, धरती, नदियां, पहाड़, हरे-भरे वन और खनिज सम्पदा धरोहर के रूप में दी हैं। मनुष्य अपने निहित स्वार्थ के कारण प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रहा है। बढ़ती आबादी की समस्या के लिए आवास समस्या को हल करने के लिए हरे-भरे जंगलों को काट कर ऊंची-ऊंची इमारतें बनाई जा रही हैं। वृक्षों के कटने से वातावरण का संतुलन बिगड़ गया है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पूरे विश्व के सामने भयंकर रूप से खड़ी है। खनिज-सम्पदा का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। जीव-जंतुओं का संहार किया जा रहा है, जिसके कारण अनेक दुर्लभ प्रजातियां लुप्त होती जा रही हैं।
धरती पर हर रोज 2 लाख लोग बढ़ रहे हैं। दुनिया की आबादी 7.50 अरब को पार कर चुकी है। मौजूदा आबादी की सभी जरूरतें पूरी करने के लिए हमें 1.7 धरती की जरूरत है। 2030 तक दो धरती भी नाकाफी होगी। 3300 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन हर साल दुनिया में हो रहा है। वायु प्रदूषण के चलते हर 13 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही। हर सेकेंड दो कारें सड़क पर उतर रहीं हैं। 50 करोड़ से ज्यादा कारें इस समय दुनिया में। 2030 तक इसकी संख्या सौ करोड़ के पार पहुंचने की संभावना। 1.30 लाख वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र हर साल नष्ट कर दिए जाते। दुनिया में 34 फीसदी जंगल ही बचे हैं। दुनिया में हर साल इस्तेमाल किए जाने वाले टॉयलेट पेपर की लंबाई सूरज तक की दूरी का दोगुना है। 20 हजार करोड़ एल्युमिनियम कैन की खपत हर साल होती है। यानी 6700 कैन प्रति सेकेंड की खपत। भारत 20 लाख टन ई-कचरा हर साल उत्पादित करता है। ई-कचरे के मामले में भारत शीर्ष-5 देशों में शामिल। हर साल हम 5500 करोड़ टन प्राकृतिक संसाधन धरती से निकाल रहे हैं। हर साल दुनिया में 212 करोड़ टन कचरा पैदा हो रहा है। हम जो सामान खरीदते हैं, उनमें से 90 फीसदी छह महीने में कचरा हो जाता है। पृथ्वी को बचाने के लिए जरुरी है हम ऐसा कोई काम नहीं करें जिससे पृथ्वी के नष्ट होने का खतरा पैदा हो। पृथ्वी नहीं रही तो जीव जंतु भी नहीं रहेंगे। जीव जंतुओं से ही पृथ्वी का विकास होगा।


जन्म से मरण तक हम पृथ्वी की गोद में रहते है। यह धरती हमें क्या नहीं देती। आज हमारी धरती अपना प्राकृतिक रूप खोती जा रही है। जहाँ देखों वहाँ कूड़े के ढेर व बेतरतीब फैले कचरे ने इसके सौंदर्य को नष्ट कर दिया है। विश्व में बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में तेजी से वृध्दि के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट पदार्थों द्वारा उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी विकराल होती जा रही है।
: पृथ्वी अनमोल है। इसी पर आकाश है, जल, अग्नि, और हवा है। इन सबके मेल से सुंदर प्रकृति है। आज हमारी पृथ्वी पर जो इतना बड़ा संकट आ खड़ा है यदि समय रहते इसका निदान-निराकरण नहीं हुआ तो हमें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अपने-अपने स्वार्थ के लिए पृथ्वी पर अत्याचार किया जाता है और उनके परिणामों के बारे में कोई नहीं सोचता। अगर हमें पृथ्वी को बचाना है तो हमें विश्व पृथ्वी दिवस पर संकल्प लेना चाहिए कि हम पृथ्वी और उसके वातावरण को बचाने का प्रयास करेंगे। हम पर्यावरण के प्रति न सिर्फ जागरूक हों, बल्कि उसके लिए कुछ करें भी। पृथ्वी को संकट से बचाने के लिए स्वयं अपनी ओर से हमें शुरूआत करनी चाहिए। पानी को नष्ट होने से बचाना चाहिए। वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए। अपने परिवेश को साफ-स्वच्छ रखना चाहिए। पृथ्वी के सभी तत्वों को संरक्षण देने का संकल्प लेना चाहिए।