श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में विधि-विधान पूर्वक नवरात्र पूजन हवन सम्पन्न








गाजियाबाद। चैत्र नवरात्र के अवसर पर श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर के मठाधीश श्री महंत नारायण गिरि जी महाराज  के सानिध्य में श्री दुधेश्वरनाथ वेद विद्या पीठ के आचार्य तोयराज उपाध्याय, आचार्य विकास पाण्डेय, आचार्य नित्यानंद एवं विद्यार्थियों द्वारा मन्त्रोच्चारण के साथ शुक्रवार की देर रात महाअष्टमी रात्रि यज्ञ तथा शनिवार को महानवमी कन्या पूजन किया गया। 

 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, नवरात्र में अष्टमी और नवमी तिथि के दिन माता गौरी और सिद्धिदात्री की संयुक्त पूजा की गई। बता दें कि इन दोनों दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इसलिए घर-घर में भी कन्या पूजन की जाती है। उन्हें नौ देवियों का रूप मानकर मंदिर में भी उनकी पूजा की गई। उन्हें श्री महंत नारायण गिरि जी महाराज द्वारा भोजन कराया गया। फिर वस्त्र, सम्मान धन और श्रृंगार की वस्तुएं भेंट की गई।

 

इस मौके पर श्रीमहंत जी ने कहा कि नवरात्रों के इस अवसर पर कुछ लोग पूरे नवरात्र हर दिन कन्याओं को भोजन करवाते हैं। इसकी वजह यह है कि देवी भागवत पुराण में कहा गया है कि कन्या पूजन से माता प्रसन्न होती हैं और सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। उन्होंने कहा कि अष्टमी, नवमी और अन्य दिनों में कन्या पूजन में निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है:-

 

पहला, नवरात्र के दौरान कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ एक बालक का भी पूजन उत्तम माना जाता है। इसलिए आप चाहें तो हर दिन एक कन्या की पूजा करके 9 कन्या पूजन का फल प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने में कठिनाई हो तो कम से कम 2 कन्याओं को भोजन करना चाहिए। कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन करना चाहिए। बालक को बटुक भैरव और लंगूरा के रूप में पूजा जाता है। देवी की सेवा के लिए भगवान शिव ने हर शक्तिपीठ के साथ एक-एक भैरव को रखा हुआ है इसलिए देवी के साथ इनकी पूजा भी जरूरी है। आज अष्टमी और नवमी दोनों साथ है। इसमें कुछ लोगों द्वारा केवल अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन एवं नवमी के दिन हवन करने पर माता जितनी खुश होती हैं, उससे अधिक प्रसन्नता कन्या पूजन से होती हैं। 

 

दूसरा, उन्होंने कहा कि कन्या पूजन के बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि कन्या पूजन से ऐश्वर्य, सुख-शांति, विद्या और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए कन्या पूजन के एक दिन पहले सभी कन्याओं को घर आने को आमंत्रित करें। जब सभी कन्याएं घर आएं, तब सच्चे मन से माता रानी के जयकारे लगाने चाहिए। क्योंकि ऐसा मानें कि कन्या रूप में 9 माताएं आपके घर पधारी हैं। कन्याओं के पैर धुलाएं और लाल चंदन या सिंदूर से टीका करें। सभी कन्याओं को स्वच्छ स्थान पर बैठाएं। 

इसके बाद, माता रानी को भोग लगाया हुआ भोजन कन्याओं को दें। मां भगवती को खीर, मिठाई, फल, हलवा, चना, मालपुआ प्रिय है। इसलिए आप भी कन्याओं को इनका भोजन कराएं। भोजन के बाद अपनी श्रद्धानुसार दक्षिणा दें। इसके बाद उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें। 

 

मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि यहां भी उपरोक्त विधि से कन्या पूजन सम्पन्न हुआ। फिर  सभी पण्डित और अन्य लोगों को भोजन प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर स्वामी शिवानंद गिरि जी महाराज, स्वामी गिरिशानन्द गिरि जी महाराज, आचार्य लक्ष्मीकांत पाढी आदि सैकड़ों भक्तों के साथ कन्या पुजन संपन्न किया गया।