आचार संहिता का उल्लंधन नहीं है क्या संजू का चुनाव प्रचार?






(आर.के.सिन्हा)


2019 के लोकसभा चुनावों पर आगे चलकर जब कभी भी चर्चा होगी या कोई शोधार्थी जब कोई शोध पत्र लिखेगा तो यह भी बताया जाएगा कि उस चुनाव में 1993 के मुम्बई में हुए बम विस्फोटों का गुनाहगार संजय दत्त खुल्लम-खुल्ला तरीके से कांग्रेस के लिए वोट मांग रहा था। मुंबई बम विस्फोट में 270 निर्दोष नागरिक मार गए थे और सैकड़ों जीवन  भर के लिए विकलांग भी हो गए थे। सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी। देश की वित्तीय राजधानी मुंबई कई दिनों तक पंगु हो गई थी। उन धमाकों के बाद मुंबई पहले वाली रौनक और बेख़ौफ़ जीवन कभी रही ही नहीं।


दरअसल 12 मार्च,1993 को मुंबई में कई जगहों पर बम धमाके हुए थे।  जब वो भयानक धमाके हुए थे तब मुंबई पुलिस के कमिश्नर एम.एन.सिंह थे। सरकार कांग्रेस की थी पर पुलिस कमिश्नर कड़क अफसर थे। उन्होंने एक बार कहा भी था कि  यदि संजय दत्त अपने पिता सुनील दत्त को यह जानकारी दे देते कि उनके घर में हथियार हैं तो मुंबई में धमाके होते ही नहीं। उनका कहना था कि यह जानकारी सुनील दत्त पुलिस को दे देते। लेकिन संजय दत्त ने यह नहीं किया। काश संजय दत्त ने उपर्युक्त तथ्य अपने पिता से सांझा  की  होती तो मुंबई तबाह होने से बच जाती। तब सैकड़ों मासूम लोग नहीं मरतेहजारों करोड़ रुपये की संपत्ति तबाह न होती।


मुंबई धमाकों के आरोपियों पर सुप्रीम कोर्ट तक में लम्बा केस चला। उस केस की सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को गुनाहगार माना। था I संजय दत्त ने अपने बचाव में तमाम दलीलें दी, बडे-बड़े नमी गिरामी वकीलों को लाखों की फ़ीस देकर खड़ा किया पर उनकी दलीलों को कोर्ट ने सिरे से खारिज किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को छह बरस की कठोर कारावास की सज़ा सुनाई।  संजय दत्त को अबू सलेम और रियाज़ सिद्दीक़ी से अवैध बंदूक़ें प्राप्त करनेउन्हें अपने घर में रखने और अंत में विस्फोट और दंगे के बाद नष्ट करने की कोशिश का दोषी माना गया था। कोर्ट में पेश साक्ष्यों के आधार पर ये हथियार उसी ज़खीरे का हिस्सा थेजिन्हें बम धमाकों और मुंबई पर हमले के दौरान इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तानी आतकियों के माध्यम से मंगवाया गया था। संजय दत्त ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था, "मैं अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित था। इसलिए इन अवैध और तस्करी कर लाये हथियारों को रखने का यही कारण था। मैं घबरा गया था और कुछ लोगों के कहने में आकर मैंने ऐसा किया।" आप समझ सकते हैं कि यह कितना पिलपिलासा तर्क था । संजय दत्त के गुनाह को जानने के लिए उस दौर में जाना होगा जब पूरी मुंबई धमाकों से खून से लथपथ हो गई थी। अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को गिरा दिया गया था। तब संजय दत्त अपने मुंबई के पाली हिल के बंगले में एक-दो नहीं पूरे 71 एके-47 तथा एके-56  अस्सौल्ट राइफलें छुपाकर रखे थे । संजय दत्त के मुंबई धमाकों से संबंध का पता चला था 16 अप्रैल1993 को। मुंबई के एक अखबार 'डेलीने पुख्ता साक्ष्यों के साथ एक खबर छापी थी कि संजय दत्त भी धमाकों का गुनाहगार है। उस खबर में सिलसेलिवार यह बताया गया था कि संजय दत्त के बंगले में कौन-कौन और कबहथियार लेकर आया था।


   बहरहाल, अब तो संजय दत्त अपनी जेल की सजा काट के बाहर आ चुके हैं। वही संजय दत्त आजकल मुम्बई की सड़कों पर राहुल गांधीप्रियंका गांधीसोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की फोटो के साथ कांग्रेस का झंडा लेकर कांग्रेस का प्रचार कर रहे है। कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस को जिताने की अपील करते घूम रहे हैं। इस चुनाव में खुद उनकी बहनप्रिया दत्त ही मुंबई नॉर्थ सेंट्रल संसदीय सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार भी हैं। मुंबई में 29 अप्रैल को वोट डाल दिए गये हैं । संजय दत्त जैसे पतित शख्स के कांग्रेस के लिए स्टार प्रचारक बनने पर किसी भी कांग्रेसी नेता को कोई आपत्ति नहीं है। ये वही कांग्रेस है जो साध्वी प्रज्ञा सिंह के चुनाव लड़ने के खिलाफ लगातार हंगामा मचा रही है। हालांकि साध्वी पर अभी तक है। देश की किसी कोर्ट ने किसी भी मामले में कोई सजा नहीं सुनाई है। उन्हें अबतक किसी भी अपराध का दोषी नहीं माना गया है। हालाँकि, हिन्दू आतंकवाद का आरोपी बनाकर मनमोहन सरकार ने उन्हें पूरे नौ वर्ष जेल में बंद कर रखा और गंभीर यातनाएं दीं I पर कांग्रेस को संजय दत्त दूध का धुला नजर आ रहा हैदूसरी तरफ कांग्रेस साध्वी के पीछे साध्वी प्रज्ञा पर आरोप है और वह भी उसी तरह जमानत पर हैं जिस तरह खुद राहुल और उनकी माँ सोनिया गाँधी नेशनल हेराल्ड की सरकारी संपत्ति को अपनी कंपनी के नाम बेचकर जालसाजी के मामले में जमानत पर हैं I यह दोगली मानसिकता बंद होनी चाहिए। साध्वी को कोर्ट के फैसला आने से पहले ही  गुनाहगार मानने वाले भूल रहे हैं कि इस देश के एक प्रधानमंत्री ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद क्या कहा था। राजीव गांधी ने 19 नवंबर1984 को राजधानी के बोट क्लब में एकत्र जनसमूह को कहा था - "जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी़तो हमारे देश में कुछ दंगे-फ़साद हुए थे। हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध आयाकितना ग़ुस्सा आया और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।" अभी राजीव गांधी के उस शर्मनाक वक्तव्य को देश भूला नहीं है। अपने शर्मनाक वक्तव्य से उन्होंने हजारों सिखों के कत्ल को सही करार दिया था। अब उन्हीं राजीव गांधी की कांग्रेस साध्वी को कुछ धमाकों के लिए गुनाहगार मान रही है। जबकि कोई सबूत नहीं है I उसे कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं है साध्वी के मामले में । राहुल और सोनिया पर धोखाघड़ी के लिखित सबूत हैं I वे भी जमानत पर हैं, लेकिन वे चुनाव भी लड़ रहे हैं और गालियाँ भी दे रहे हैं I


प्रिया दत्त भी आजकल भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तमाम आरोप लगा रही है। पर क्या उन्होंने कभी अपने भाई संजय दत्त से पूछा कि उन्होंने देश के दुश्मनों से क्यों संबंध बनाए थेक्यों उन्होंने अपनी ब्रेन ट्यूमर से  पीड़ित पत्नी रिचा शर्मा को उसकी मृत्यु शैय़्या पर होने की हालात में भी पर भी तलाक दे दिया थाक्यों संजय दत्त ने अपनी पहली पत्नी की पुत्री को फिल्मों में आने की कभी अनुमति नहीं दीचूंकि प्रिया महिला हैं इसलिए उन्हें इन चुभते हुए नारी उत्पीडन के सवालों को अपने भाई से पूछने चाहिए।


तो आप समझ गए होंगे कि इतना धूर्त शख्स अब मुंबई में जनता से अपनी बहन को वोट देने की अपील कर रहा है। उसकी बहन नम्रता को भी उसके साथ मुंबई की सड़कों पर वोट मांगने में लज्जा नहीं आ रही।  तो मान लिया जाए कि अब इस देश में धमाकों के गुनाहगार खुलेआम वोट मांगेगे?


( लेखक राज्य सभा सदस्य हैं)