बच्चों की दुनिया एक पत्रिका ही नहीं, नई पीढ़ी की प्रतिभाओं का आंदोलन भी है-डा. शेख अक़ील





     जलियां वाला बाग की घटना के सौ वर्ष पूरे होने पर बच्चों की दुनिया के विशेषांक का प्रकाशन 
नई दिल्लीः भारत के स्वतंत्रता आंदोलन व संघर्ष में बिना किसी धार्मिक भेदभाव के सभी वर्गों ने हिस्सा लिया,बलिदान दिए,जेल की यातनाएं सहीं और अपनी छातियों पर गोलियां खाईं लेकिन उन्होंने देश की स्वतंत्रता व राष्ट्र निर्माण को सर्वोपरी रखा यहां तक कि  अपनी जान की भी परवाह नहीं की। आवश्यकता इस बात की है कि नई पीढ़ी अपने पूवर्जों के बलिदान और देश के इतिहास को जानें। यह विचार राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के निदेशक डा. शेख अक़ील अहमद ने जलियां वाला बाग की घटना के सौ वर्ष पूर्ण होने पर मासिक पत्रिका बच्चों की दुनिया के विशेषांक के प्रकाशन पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मासिक पत्रिका बच्चों की दुनिया में जलियां वाला बाग की घटना पर आलेखों के द्वारा उर्दू परिषद एक ओर जहां बच्चों को अपने देश के इतिहास से जोड़ना चाहती है,वहीं उनमें देश के प्रति त्याग की भावना भी उत्पन्न करना चाहती है ताकि हर बच्चा देश के इतिहास व अपने नेताओं की कुबार्नियों से परीचित हो सके। 
डा. शेख अक़ील अहमद ने आगे कहा कि 13 अप्रैल, 1919 को देश के बहुत से नागरिकों ने अमृतसर के जलियां वाला बाग में अपना बलिदान दिया था,उनका यह बलिदान आने वाली नस्लों के लिए एक संदेश बन गया है कि देश की सुरक्षा और निर्माण सर्वोपरी है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी हम इस प्रकार के विशेषांक प्रकाशित करते रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों की दुनिया केवल एक पत्रिका ही नहीं है बल्कि नई पीढ़ी की प्रतिभा को उजागर करने और उनमें देश के प्रति सकारात्मक भावना उत्पन्न करने का एक आंदोलन भी है। यह पत्रिका अपनी विभिन्न विषयों पर आधारित सामग्री के कारण बच्चों में दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय होती जा रही है।