छलका मोदी का दर्द अब नहीं होगा अल्पसंख्यकों से छल


                  (बाल मुकुंद ओझा)


             आजादी के बाद से ही जनसंघ या भाजपा से अल्पसंख्यक समुदाय ने दूरी बना रखी है इसके चाहे जो कारण हो मगर सच्चाई यही है। इस समुदाय की पहचान सियासत में वोटबैंक के रूप में होने लगी। भाजपा लाख प्रयासों के बाद भी इस समुदाय का दिल नहीं जीत पायी। इसका दर्द शनिवार को प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान साफ तौर पर झलका। उन्होंने वादा किया वे अल्पसंख्यकों के दुःख दर्दों को समझते है और दूर भी करेंगे साथ ही उन्हें राजनीति के भ्रम और छलजाल से निकाल कर ही दम लेंगे। निश्चय ही प्रधान मंत्री के ये विचार स्वागत योग्य है। भारत के बाहर भाजपा को हिन्दू पार्टी समझा जाता है। हालाँकि अनेक मुस्लिम देशों का विश्वास जीतने में मोदी सफल रहे है। 2019 की जीत को भी वैश्विक मीडिया ने हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी की जीत के रूप में प्रचारित किया है। मोदी के भाषण से देश और दुनियां को मोदी के सब का साथ ,सबका विकास और सब का विश्वास के नए नारे पर नए सिरे से मंथन कर अपनी धारणा बनानी होगी।


भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक मीडिया में भाजपा की जीत को हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी की जीत बताने वालों पर करारा प्रहार करते हुए कहा है सब का साथ, सब का विकास, और सब का विश्वास हमारा मूल मंत्र और नारा है। संसद भवन में एनडीए संसदीय दल की बैठक में बोलते हुए मोदी ने लगे हाथ अपनी सरकार की प्राथमिकताओं को भी गिना दिया। वैश्विक मीडिया के कुछ वर्गों ने मोदी पर डिवाइडर इन चीफ सहित विभाजनकारी बताते हुए सांप्रदायिक सियासत को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। मोदी ने इन बातों का खुलकर जवाब दिया और कहा जैसा छल गरीब के साथ हुआ, वैसा ही अल्पसंख्यक के साथ हुआ। उन्हें भ्रमित-भयभीत रखा गया। उनकी शिक्षा की चिंता होती, आर्थिक-सामाजिक विकास होता.. तब अच्छा रहता। वोट बैंक की राजनीति में छलावा, काल्पनिक भय बनाया गया और उन्हें दबाकर रखा गया। उन्हें वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया गया। हमें इस छल में भी छेद करना है। हमें विश्वास जीतना है। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम इस देश की हर कौम, जाति, पंथ ने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ा था। देश की एकता और अखंडता के लिए संविधान की शपथ लेने वालों का दायित्व है कि उस आजादी की भावना को जिंदा करें।


दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को विश्वास दिलाया है की अब अल्पसंख्यकों के साथ कोई छल नहीं होगा और लोक कल्याण की योजनाएं बिना भेदभाव इस वर्ग तक पहुंचे जाएगी। मोदी ने अपने भाषण में अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने की जरूरत बताते हुए कहा कि वोट-बैंक की राजनीति में भरोसा रखने वालों ने अल्पसंख्यकों को डर में जीने पर मजबूर किया, हमें इस छल को समाप्त कर सबको साथ लेकर चलना होगा। 2019 में आपसे अपेक्षा करने आया हूं कि हमें इस छल को भी छेद करना है। हमें विश्वास जीतना है। संविधान को साक्षी मानकर हम संकल्प लें कि देश के सभी वर्गों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हिन्दुस्तान को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हमें अल्पसंख्यकों सहित सभी का विश्वास जीतना है। अपनी सरकार को देश के दलितों, गरीबों, पीड़ितों, वंचितों, आदिवासियों को समर्पित बताते हुए मोदी ने कहा, 2014 से 2019 तक हमने गरीबों के लिए सरकार चलाई और आज मैं बड़े संतोष के साथ कह सकता हूं कि ये सरकार देश के गरीबों ने बनाई है।


आजादी के 73 वर्षों के बाद भी गरीब रोटी, कपडा और मकान की बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। विश्व बैंक के मुताबिक दुनिया में करीब 76 करोड़ गरीब हैं इनमें भारत में करीब 22.4 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी गुजार रहे हैं। भारत के 7 राज्यों छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और यूपी में करीब 60 प्रतिशत गरीब आबादी रहती है। 80 प्रतिशत गरीब भारत के गांवों में रहते हैं। लोकसभा में भारत सरकार द्वारा दी गई एक जानकारी के अनुसार करीब 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करते हैं। इनमें से अनुसूचित जनजाति के 45 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के 31.5 प्रतिशत के लोग इस रेखा के नीचे आते हैं।


मोदी ने देशवासियों को एक बार फिर विश्वास दिलाया है की वे संविधान की भावना के अनुरूप बिना भेदभाव के शासन चलाएंगे और सभी वर्गों के कल्याण के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे जिनमें अल्पसंख्यक वर्ग भी शामिल है। मोदी का यह विश्वास निश्चय ही देशवासियों विशेषकर अल्पसंख्यक समुदाय के लिए काफी सुकूनदायी है और सच में ऐसा होता है तो सम्पूर्ण भारत मोदी की जयकार करेगा।