कलम की स्वतंत्रता के पक्षधर वशिष्ठ कुमार शर्मा

                 (बाल मुकुन्द ओझा)


आजादी के आंदोलन के लगभग सभी महत्वपूर्ण नेताओं ने पत्रकारिता के माध्यम से अपना संदेश लोगों तक पहुंचाया। आजादी के बाद भी यह क्रम जारी रहा। आजादी के बाद के पत्रकारों में राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार और संपादक वशिष्ठ कुमार शर्मा का नाम सम्मान के साथ लिए जाता है। 23 दिसंबर 1936 को शाहपुरा जिला भीलवाड़ा में जन्मे और 1954 से प्रदेश में पत्रकारिता शुरू करने वाले शर्मा बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व के धनी है। अपने सार्वजनिक जीवन के शुरू में ही शर्मा ने पत्रकारिता धर्म निभाने के साथ सामाजिक सरोकारों को भी बखूभी निभाया। शर्मा जनता के पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए। उन्होंने 1954 से दैनिक नवयुग से अपनी पत्रकारिता शुरू की। वशिष्ठ कुमार आंदोलनकारी के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता हैं, सर्वोदयी है, श्रेष्ठ वक्ता हैं, लेखक हैं, कुशल पत्रकार और संपादक भी हैं।
(वशिष्ठ कुमार )


वशिष्ठ कुमार छात्र जीवन से ही जनता के आंदोलनों से सक्रीय रूप से जुड़ गए। वे महाराजा कॉलेज छात्र संघ के सचिव और अध्यक्ष रहे है। यहीं से शर्मा जनांदोलनों से जुड़ गए और आंदोलनकारी के रूप में ख्यात हो गए। 1957 में जयपुर में फीस वृद्धि आंदोलन का नेतृत्व किया। हाई कोर्ट आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका थी। चीनी आक्रमण के दौरान हुए विभिन्न प्रदर्शनों का नेतृत्व भी किया। अंग्रेजी के खिलाफ हुए आंदोलनों में भी उनकी भागीदारी थी। छात्र नेता के रूप में वे पूरे राजस्थान की आवाज बने। वे कई दिनों तक फरार रहने के साथ जेल में भी बंद रहे मगर किसी अन्याय और अत्याचार के सामने कभी झुके नहीं। सनात्कोत्तर के साथ कानून की पढाई भी उन्होंने शिद्धत के साथ पूरी की। सरकार ने आर ए एस बनाने का प्रस्ताव भी दिया जिसे उन्होनें ठुकरा दिया। उनकी नस नस में पत्रकारिता समाहित थी और पत्रकारिता को ही अपनाकर आगे बढे। स्वाभाव से आंदोलनकारी शर्मा ने 1991 से अपना दैनिक अखबार ग्रेट राजस्थान शुरू किया।
जयपुर से प्रकाशित दैनिक लोकवाणी, नवयुग,उदयपुर एक्सप्रेस होते हुए बनारस से प्रकाशित दैनिक आज और कोलकाता के सन्मार्ग से सक्रिय रूप से जुड़े। छात्र जीवन से पत्रकारिता से जुड़े शर्मा ने पांचवें और छठे दशक में धमाके के साथ पत्रकारिता शुरू की और अनेक भ्रष्टाचार कांडों का भंडाफोड़ कर सरकार के कोपभाजन बने। साप्ताहिक जनपद के संस्थापक संपादक रहते हुए विभिन्न सरकारी विभागों के भ्रष्टाचार को उजागर किया। श्रमजीवी पत्रकार संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रहते हुए आठ देशों की यात्रा की। पिंकसिटी प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष और राजस्थान समग्र सेवा संघ के सचिव का दायित्व संभाला। विभिन्न पत्रकार संघों के प्रादेशिक पदाधिकारी के रूप में बड़े पत्रकार सम्मेलनों के भी आयोजक रहे। वशिष्ठ कुमार उन लोगों में है जो उद्देश्य के लिए जीते हैं। पत्रकार जीवन की शुरुआत उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही कर दी थी। जिस समय हिंदी पत्रकारिता मुख्य धारा में अपना स्थान बनाने के लिए संघर्ष कर रही थी, उसी समय वे भी पत्रकारिता में अपना स्थान बनाने के लिए आए थे। पिछले 65 वर्षों से राजस्थान की पत्रकारिता में अपने को सक्रियता से जोड़े रखा है और आज भी आदर्श पत्रकारिता के नीवं के पत्थर बने है।
ग्रामीण परिवेश से शहरी परिवेश में आने वाले वरिष्ठ पत्रकार वशिष्ठ कुमार शर्मा से जब आज की पत्रकारिता पर बात की तो वे बड़े दुखी नजर आये। उनका मत है कि पत्रकारिता परेशानी की पगडंडी है, सुविधा की सड़क नहीं। उन्होंने बताया आज मिशनरी पत्रकारिता का स्थान व्यावसायिक पत्रकारिता ने ले लिया है। संपादक की प्रतिष्ठा कम हो गयी है और बाजारू पत्रकारिता प्रतिष्ठाफित हो गयी है। टेलेंट की आज भी कमी नहीं है मगर कॉन्ट्रेक्ट के नाम पर पत्रकारों का शोषण हो रहा है।
वशिष्ठ कुमार शर्मा की गिनती आधुनिक राजस्थान में स्वतंत्र पत्रकारिता के पक्षधर के रूप में होती है। शर्मा कहते है पत्रकार राजनेताओं के मित्र होते हैं जो उन्हें पग-पग पर सच्चाई का रास्ता दिखाते हैं लेकिन आवश्यकता पड़ने पर अपनी कलम की धार से उनकी रीति-नीति व कार्यशैली पर कटाक्ष कर देशहित में उन्हें सजग बनाने का कर्तव्य भी निभाते हैं। शर्मा का मानना है आज के समय में पत्रकारिता मिशन नही बल्कि इसमें बाजार हावी हो गया है जिसके कारण इसकी मौजूदा प्रासंगिकता खतरे में है। हम सूचना क्रांति के दौर में जी रहे हैं जिसने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी आमूल चूल परिवर्तन किया है। एक पत्रकार और समाचार पत्र के ऊपर समाज की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है इसलिए उसे हमेशा सजग,सतर्क ,जागरूक और सचेत रहना चाहिए।