" मेरा रुदन तुम्हारी हँसी "
(डॉ दीपा शुक्ला)
" मेरा रुदन तुम्हारी हँसी "
मेरे जीवन के
अंधियारे पथ पर चलते हुए
मेरी बदहाली में ,
मेरी फटेहाली में,
मेरी फ़टी हुई जूतियों में
ठुकी हुई कील
जब मेरे पाँव को करती घायल
तो ,अनायास ही
बिखरती मुस्कान
तुम्हारे चेहरे पर और
तुम्हारी दूध जैसी श्वेत दन्त पंक्ति
मुझे मेरे जीवन के अंधेरे में
आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती है ।