सेवा और समर्पण का दूसरा नाम नर्सिंग


                                (बाल मुकुन्द ओझा)


नोबल नर्सिंग सेवा की शुरूआत करने वाली फ्लोरेन्स नाइटिंगेल के जन्म दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 12 मई को मनाया जाता है। यह दिवस स्वास्थ्य सेवाओं में नर्सों के योगदान को सम्मानित करने तथा उनसे संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए मनाया जाता है। मानव सेवा के क्षेत्र में नर्सिंग का कार्य एक महान सेवा है। नर्सिंग स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा ऐसा पेशा है, जिसमें व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों की स्वास्थ्य संबंधी देखरेख की जाती है, ताकि जब तक जीवन है, उसे भरपूर जिया जा सके। न केवल किसी भी अस्पताल की, बल्कि समाज की अनिवार्यता है नर्सिंग। सेवा जब शीर्ष पर पहुंचती है तो नर्सिग का रूप ले लेती है। कोई भी अस्पताल नर्स के बगैर अधूरा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में नर्सों की कमी चल रही है जिनमें गरीब और अमीर दोनों प्रकार के देश शामिल है। अमीर और विकसित देश अपने यहाँ नर्सों की कमी को अन्य देशों से नर्सों को बुलाकर पूरा कर लेते हैं और उनको वहाँ पर अच्छा वेतन और सुविधाएँ देते हैं, जिनके कारण वे विकसित देशों में जाने में देरी नहीं करती हैं। दूसरी ओर विकासशील देशों में नर्सों को अधिक वेतन और सुविधाओं की कमी रहती है और आगे का भविष्य भी अधिक उज्ज्वल नहीं दिखाई देता, जिसके कारण वे विकसित देशों के बुलावे पर नौकरी के लिए चली जाती हैं। बेहद गरीब देश अकुशल नर्सों से काम चलाने का प्रयास करता है। दुनिया में अधिकांश देशों में आज भी प्रशिक्षित नर्सो की भारी कमी चल रही है लेकिन विकासशील देशों में यह कमी और भी अधिक देखने को मिलती है।
कहते है चिकित्सक की अपेक्षा नर्स मरीज की बेहतर सेवा करती है। चिकित्सक मरीज को देखकर पर्ची पर दवा आदि लिखकर चला जाता है मगर नर्स हर समय मरीज के पास होती है और उसकी बेहतर देखभाल करती है जिससे मरीज शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करता है। नर्स की यही सेवा भावना मरीज और उसके परिजन याद रखते है। इसीलिए यह कहा जाता है नर्सिंग कोई व्यवसाय नहीं बल्कि एक सेवा है। जिस प्रकार से परिजन दुख की घड़ी में अपने बीमार व्यक्ति की रक्षा करते है उसी प्रकार से नर्स भी मरीजों की बीमारी के समय सेवा देती है। मरीजों की सेवा करना बहुत बड़ी समाज सेवा है। सेवा भाव से हर व्यक्ति का दिल जीता जा सकता है। अस्पतालों में मरीज देखने के बाद डॉक्टर का काम ज्यादातर खत्म हो जाता है। उसके बाद भर्ती मरीज की सेवा नर्सें ही करती हैं। सबसे ज्यादा समय नर्सें ही मरीज को देती हैं। इसलिए नर्सों को अपने अंदर सेवा भावना जागृत रखनी चाहिए। जिस प्रकार घर में मां बच्चे की देखभाल करती है ठीक उसी तरह अस्पताल में नर्स मरीज की सेवा कर उसकी बीमारी के इलाज में अहम भूमिका अदा करती है। मरीज के साथ नर्स का सकारात्मक रवैया उसके आधे दुख काट देता है। नर्स का काम ईश्वरीय कार्य है। वह अस्पताल की ओ०पी०डी० से लेकर जनरल वार्ड, आप्रेशन थियेटर हर जगह दिन-रात सेवा करती हैं। कोई डॉक्टर और अस्पताल इनके बिना चल नहीं सकता। मानव सेवा का काम तो और भी अनेक समाजसेवी करते हैं लेकिन नर्सिंग ऐसी सेवा है जो दक्ष व प्रशिक्षित हाथों से ही होती है।
नर्सिंग व्यवसाय का उद्देश्य है कि सबको उच्च कोटि की देखरेख मिले और इसके साथ ही सभी मानकों, दक्षताओं व इनसे जुड़ी आचार संहिता इत्यादि का भलीभांति पालन हो सके। नर्स हर उस व्यक्ति की देखरेख करती है, जिसे इसकी जरूरत है, चाहे वह किसी भी उम्र और पृष्ठभूमि का क्यों न हो। देखरेख के दौरान यह नहीं देखा जाता की वह शत्रु है या मित्र। सच में यह यह एक नोबल प्रोफेशन है। एक नर्स में मानवता की सेवा की भावना होना नितांत जरुरी है। नर्स हर पल बीमार, घायल और बूढ़ों की सेवा करने के लिए तैयार रहती है। नर्स प्यार और ममता के साथ मरीज की देखभाल करती है, उसकी हिम्मत बढ़ाती है और उसकी रक्षा करती है।
नर्सिंग एक सेवाभाव का कार्य है जिसमें रोगी का उपचार कर उसे शरीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखा जाताहै। एक अच्छी नर्स केवल मरीज का उपचार ही नहीं करती है, वह उसे स्वस्थ्य होने का भरोसा दिलाकर मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत करने का कार्य भी करती है। उसकी सेवा भवना सबके लिए एक समान ही होती है। कई बार देखा जाता है अस्पताल में किसी न किसी बात पर मरीज के परिजन नर्सों से भीड़ जाते है और मारपीट तक कर बैठते है। यह अच्छी बात नहीं है। इस बारे में दोनों पक्षों को सूझ्भूझ से काम लेकर अप्रिय स्थिति को टालना चाहिए ताकि अच्छी से अच्छी सेवा के साथ मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौटेे।