वंश और जातिवादी पार्टियों को मतदाताओं ने नकारा


                (बाल मुकुन्द ओझा) 


इस बार लोकसभा चुनाव में वंश और जातिवादी पार्टियों को मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया है। इन पार्टियों का न केवल जातीय गणित फेल हुआ है, बल्कि वंशवादी और परिवारवादी राजनीति को मुंह की खानी पड़ी है। गठजोड़ भी इनके काम नहीं आया। राजनीतिक परिवार से आने वाले अधिकांश उम्मीदवारों को इस बार हार का सामना करना पड़ा है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव का परिवार हो, या बिहार में लालू प्रसाद का परिवार हो, हरियाणा में हुड्डा परिवार, भजन लाल परिवार और ओम प्रकाश चैटाला परिवार या यूपी में चैधरी अजित सिंह परिवार, महाराष्ट्र का पवार परिवार इन सभी परिवारों के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक सीट पर हार गए हैं। उनके पिता सोनीपत सीट हार गए। हरियाणा में ही पूर्व केंद्रीय मंत्री बिरेंद्र सिंह के बेटे भाजपा उम्मीदवार ब्रिजेंद्र सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चैटाला के पौत्र दुष्यंत चैटाला और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवार की तीसरी पीढ़ी के भव्य बिश्ननोई को पराजित कर विजयश्री हासिल की।
यूपी में चैधरी चरण सिंह की विरासत भी खतरे में पड़ गयी है। उनके पुत्र और उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह और पोते जयंत चैधरी भी चुनाव हार गए हैं। मुलायम सिंह यादव की बहू और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी कन्नौज से हार गयी हैं। बदायूं में मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव फिरोजपुर में पराजित हो गए हैं। मुलायम के भाई शिवपाल भी चुनाव हार गए है। हालांकि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव चुनाव जीत गए है। कांग्रेस के दिवंगत नेता जितेंद्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश की धौरहरा सीट पर तीसरे स्थान पर हैं। राजस्थान में पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र सिंह भी हार गए है।
कांग्रेस नेता और वालियर के पूर्व श्रीमंत माधव राव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश की गुना सीट से चुनाव हार गए। दिवंगत कोंग्रेसी नेता मुरली देवड़ा के पुत्र मिलिंद देवड़ा मुंबई दक्षिण सीट हार गए। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर सीट हार गए। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के भतीजे और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पुत्र पार्थ मावल से चुनाव हार गए।
वंशवादी राजनीती को सबसे बड़ा झटका बिहार में लगा है। यहाँ जेल में बंद लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल का खाता तक नहीं खुला। लालू के जेल में होने के कारण पार्टी की कमान उनके पुत्र तेजस्वी यादव के हाथों में है। तेजस्वी की बहन मीसा भारती पाटलिपुत्र से हार गयी हैं। पप्पू यादव और उनकी पत्नी भी चुनाव हरने वालो में है। तेलंगाना में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता कलवाकुंतला निजामाबाद से हार गईं। कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते निखिल कुमारस्वामी मांड्या से चुनाव हार गए। निखिल मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के बेटे हैं। एच.डी. देवेगौड़ा खुद तुममुर सीट से चुनाव हार गए।
वंशवादी सियासत के कुछ परिवार चुनाव जीतने में सफल हुए है। इनमें पंजाब में बादल परिवार, कश्मीर में अब्दुला परिवार तमिलनाडु में करूणानिधि परिवार, यूपी में मेनका गाँधी परिवार ,बिहार में पासवान परिवार शामिल है। हालाँकि इन परिवारों के सदस्य पिछले कई सालों से राजनीति में सक्रीय है और अपने बुते सियासत में अपनी जगह बनायीं है।