आज़ादी के सच्चे सेनानी को कभी नहीं भूलना चाहिएः सिरसा

                   पंथ रतन मास्टर तारा सिंह का जन्मदिन मनाया गया


नई दिल्ली।  सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष स. मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि हमें ऐसी शख्सीयतों को कभी नहीं भूलना चाहिए जिनसे हमारा वजूद कायम है, हमारे पास राजनीतिक ताकत है और हम आज़ाद फ़िज़ा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने यह विचार पंथ रतन मास्टर तारा सिंह के 135 वेंजन्मदिन के मौके पर यहां एन.डी.एम.सी कनवैन्शन हाल में आयोजित एक समागम को संबोधन करते हुए प्रकट किये। उन्होंने कहा कि मुझे यह बात अफसोससे कहनी पड़ रही है कि जिन महान शख्सीयतों ने हमारे देश को आज़ाद करवाया उन्हें हम भूलते जा रहे हैं।स. सिरसा ने कहा कि मास्टर तारा सिंह एक ऐसी शख्सीयत थे जिन्होंने सिक्खों को अपना एक राज्य लेकर दिया और पंथ की चढ़दी कला के लिए वसिक्ख सियासत को कौमी व राष्ट्रीय स्तर का बनाने में अपना अहम योगदान दिया।


         उन्होंने बताया कि सन 1947 में देश के बंटवारे से पहले हुए चुनावों में मुस्लिम लीग पार्टी बड़े बहुमत से जीती थी और मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा यह कोशिश की जा रही थी कि आज़ादी के बाद सिक्खों को पाकिस्तान के साथ रखा जाए। इसका विरोध करते हुए मास्टर तारा सिंह ने संसद के सामनेहिंदुस्तान के पक्ष में और पाकिस्तान के विराध में जैकारे लगाए और यह जैकारे मुस्लिम लीग को सुनने के साथ-साथ अंग्रेजों के कानों तक जा गूंजे। इस तरहउनके ज़ोरदार विरोध से मुहम्मद अली जिन्ना की चाल असफल हो गई पर मास्टर तारा सिंह के घर पर हमला किया गया और उनके घर को आग लगाई गई।


         उन्होंने कहा कि हमें मास्टर तारा सिंह का शुक्रगुज़ार होना चाहिए और उनका अहसान मानना चाहिए खासकर कांग्रेस पार्टी को। दिल्ली कमेटी अध्यक्ष ने बताया कि आजादी से पहले भारतीयों की एक ही राष्ट्रीय पार्टी थी नैशनल कांग्रेस। उन्होंने कहा कि मदन मोहन मालवीय ने मास्टर तारा सिंह को मिल कर कहाकि मुहम्मद अली जिन्ना कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारी की बैठक नहीं होने दे रहा और अगर बैठक ही नहीं हुइ तो अगले प्रोग्रामों के बारे में विचार कैसे होंगे। स. सिरसा ने कहा कि मास्टर तारा सिंह ने अपने आदमी भेज कर श्री साहिब की नोक पर कांग्रेस की बैठक करवाई।


         उन्होंने कहा कि मास्टर तारा सिंह ने जहां सिक्ख पंथ की चढ़दी कला के लिए बहुत कुछ किया वहीं देश की आजादी के लिए और भारतीय सियासत को नई दिशाएं देने के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया पर अफसोस है कि हम ऐसे महान पंथदर्दी, आज़ादी के लिए योगदान करने वाले और दरवेश सियासतदान को भूलते जा रहे हैं। दिल्ली कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि हमें ऐसी शख्सीयतों के जन्मदिन और बरसियों को श्रद्धा व आदर के साथ मनाना चाहिए।


         इस मौके पर बोलते हुए कुरुक्षेत्र युनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविंदर तंवर ने एक दिलचस्प जानकारी देते हुए कहा कि जिस करतारपुर कारीडोर की आज हम बात कर रहे हैं और सिक्खों को पाकिस्तान के गुरुधामों के दर्शन के लिए तरसना पड़ रहा है इस बारे में मास्टर तारा सिंह ने मिन्नतें की थीं कि ननकाणा साहिब हमें दे दिया जाये पर सियासी हितों की पूर्ति के लिए कुछ लोगों ने ननकाणा साहिब छीन लिया।


         इस समय स. त्रिलोचन सिंह पूर्व सांसद, स. बलविंदर सिंह भंदड़ संसद सदस्य, रविंदर तंवर प्रौफेसर कुरक्षेत्र युनिवर्सिटी और स. जसमीत सिंह बराड़ ने भी मास्टर तारा सिंह के जीवन पर रोशनी डाली । उनके द्वारा देश की आजादी के लिए और सिक्खों को एक अपना राज्य पंजाब लेकर देने जैसे महान कार्यों सेपरिचित करवाया। अंत में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव स. हरमीत सिंह कालका ने सभी प्रवक्ताओं का और संगत का धन्यवाद किया।


         इस मौके पर दिल्ली कमेटी के वरिष्ठ अध्यक्ष बीबी रणजीत कौर, हरविंदर सिंह के.पी समेत बड़ी गिनती में कमेटी सदस्यों ने भाग लिया।