इंसान इतना हैवान कैसे हो सकता है





                        (देवानंद राय)

क्या हम उसी देश में रह रहे हैं जहां लोग कन्या पूजन करते हैं ? जहां बेटियों को शक्ति स्वरूपा माना जाता है| अलीगढ़ में हुई एक मासूम बालिका के साथ दुर्लभ और वीभत्स घटना जानकर।ये ऊपर लिखी बातें अब दिल मानने को तैयार नहीं है। अलीगढ़ में हुई 3 वर्षीय बालिका के साथ वीभत्स घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। घटना ऐसी है कि कोई खुलकर साफ-साफ शब्दों में किसी को बताने में भी शर्म आ जाए ऐसा घिनौना काम करने वाले लोगों ने देश को शर्मसार कर दिया है। पुरुष चाहे कितना कठोर क्यों ना हो पर आज किसी व्यक्ति में इतना दम नहीं होगा इस बालिका के साथ हुई हैवानियत के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को वह अपने घर परिवार के सामने बता सके। इतनी हैवानियत शरीर के अंग टुकड़े-टुकड़े कर दिया,आंत से लेकर आंख से अलग-थलग हैं।प्राइवेट पार्ट के साथ कुछ उसी तरह का कृत्य इन दरिंदों ने किया है जैसा कि दिल्ली में निर्भया कांड में हुआ था। चंद रुपयों के लिए इस तरह की हैवानियत वह भी रमजान के पाक महीने में एक मासूम सी बालिका के साथ किया जाना सच में चिंताजनक। क्या उनकी  रूह भी नहीं कांंपी होगी जब वह बालिका अपने अंतिम वक्त में चीखी होगी, चिल्लाई होगी,रोई होगी। बेशक ऐसा काम करने वाले लोग मानसिक रूप से विकृत होंगे।परंतु उससे कहीं अधिक वे लोग भी जिम्मेदार हैं जो 30 मई को गायब बालिका का पता लगाने से लेकर रेप तक को झूठलाने में पुलिस का रवैया निसंदेह निराशाजनक रहा। वह तो भला हो सोशल मीडिया का जो सोशल मीडिया पर यह मामला हाईलाइट होने के कारण  खबरें यह हम तक पहुंची।पुलिस का यह गैर जिम्मेदाराना रवैया यह एक सभ्य समाज में कतई उचित आचरण नहीं कहा जा सकता।पिछले कुछ वर्षों में देश में बच्चों के साथ हुए इस प्रकार के अपराधों में 10-20% या 50-100% की बढ़ोतरी नहीं है| नेशनल क्राइम रिकार्ड्स के अनुसार इस प्रकार के अपराधों में 500% की बढ़ोतरी हुई है| यह चिंताजनक ही नहीं समाज में खतरनाक स्थिति उत्पन्न होने के स्पष्ट लक्षण की ओर इशारा कर रहे हैं कि समाज में किस प्रकार से नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है|हालांकि राहत की खबर यह है कि पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है परंतु हमारे समाज में लोगों में आ रही इस प्रकार की मानसिक अपंगता और नैतिक गिरावट का क्या करेंगे ? क्या पुलिस और प्रशासन के सतर्क हो जाने मात्र से इस प्रकार की घटनाएं रुक जाएंगी।सीधे उत्तर दे तो नहीं।आए दिन इस प्रकार की छोटी बच्चियों के साथ खबरें हम अखबारों में पढ़ते हैं न्यूज़ चैनलों में सुनते हैं। पर इस को कैसे रोका जाए समाज में इस पर कभी मंथन नहीं करते। अब समय है इस प्रकार की घटनाओं पर जागरूकता और सतर्कता से कहीं अधिक मंथन करने का भी कि आखिर इस प्रकार की घटनाओं को कैसे रोका जाए इस प्रकार की मानसिकता वाले लोगों को समाज से बहिष्कृत किया जाए तथा इस प्रकार के आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों का रिकॉर्ड देखकर उन्हें रिहैबिलिटेशन सेंटर (पुनर्वास केंद्र) पर भेजा जाए ताकि वह अपनी मानसिक अपंगता में सुधार ला सके फिर उन्हें समाज में प्रवेश की अनुमति हो|   सभी को पता है अलीगढ़ में हुई घटना के आरोपी किस समुदाय से आते हैं देश में एक अजीब तरह की चुप्पी कुछ चंद लोगों ने साध रखी है जो समय और धर्म देखकर और सरकार देखकर कैंडल मार्च से लेकर आंदोलन और आंदोलन से लेकर सोशल मीडिया पर गले में तख्तियां डाले नजर आते थे और देश भी बखूबी इन की चुप्पी की मजबूरी समझ रहा है वह अब इनके दोहरे रवैए को भी पहचान गया है|कुछ लोग कह रहे हैं इस मसले को हिंदू-मुस्लिम से न जोड़ा जाए| ठीक है कौन चाहता है किसी मामले का धार्मिक और राजनीतिक रंग दिया जाए वर्तमान समय में ?पर लोग जो किसी घटना में पीड़ित मुसलमान हो और आरोपी हिंदू तो,मुस्लिम डरा है,देश खतरे में है,देश में असहिष्णुता है न जाने क्या क्या कहे जाते हैं? न्यूज़ चैनल से लेकर न्यूज़ पेपर तक क्या-क्या लिखे जाते हैं? लोग यूनाइटेड नेशन की जाने की बात करने लगते हैं फिर यही लोग जब आरोपी स्पष्ट रूप से अल्पसंख्यक है तो हिंदू-मुस्लिम के भाईचारा का ज्ञान देना शुरू कर देते हैं|अल्पसंख्यकों ने भी इस प्रकार की घटनाओं का भरपूर फायदा उठाना सीख लिया है याद कीजिए पिछले कुछ दिनों पहले गुरुग्राम की घटना जिसमें एक शांतिप्रिय समुदाय का एक व्यक्ति ने खुद टोपी फेंक कर एक छोटी सी घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की| हमें अब इन लोगों से भी सतर्क रहने की आवश्यकता है| देश में पिछले कई घटनाएं चाहे वह ध्रुव त्यागी हो या अंशुल सक्सेना या ऐसी कई घटनाएं का पैटर्न एक जैसा देखकर तो अब ऐसा लगता है कि यह लोग सिर्फ देश ही नहीं पूरे विश्व में कहीं भी विश्वास पात्र नहीं हैं| यह घटनाएं बस कुछ दिनों की अब मेहमान बनती हैं न्यूज़ चैनलों की, कुछ दिनों की सुर्खियां बनती है न्यूज़ पेपरों की और कुछ घंटों की सनसनी बन रही है सोशल मीडिया पर फिर यह घटनाएं लोग भूल जाते हैं परंतु अब समय है ऐसी चीजों को ना भूल कर सतर्क रहने की कि आप के आस पड़ोस में क्या चल रहा है ?क्या हो रहा है?तभी समाज इस प्रकार की मानसिक विकृतियों वाले लोगों से निजात पा सकेगा|मासूम बालिका को बिस्किट के बहाने बुलाकर बलात्कार और फिर बड़ी ही निर्मम तरीके से उसके शरीर के अंगों को खंड खंड में काटना एसिड से जलाना और गुप्तांगो में हुई हैवानियत को देखकर ईश्वर भी खुद से अब पूछ रहा होगा  क्या इंसान इतना हैवान बन सकता है ?