शिक्षा की आड़ में केजरीवाल के मंसूबों की पोल खुल चुकी है-मनोज तिवारी
नई दिल्ली। दिल्ली की स्कूल प्रबंधन समितियों के नाम पत्र तैयार करके शिक्षा से जुड़ी गतिविधियों को बदनाम करने के आम आदमी पार्टी के आरोपों को खारिज करते हुये दिल्ली भाजपा अध्यक्ष  मनोज तिवारी ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल की शिक्षा नीति की पोल खुल चुकी है, यह सबको पता चल चुका है कि केजरीवाल किस तरह से शिक्षा से जुड़ी संस्थाओं का अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करते हैं। शिक्षा नीति का जो माॅडल आम आदमी पार्टी ने बनाया है वह शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की जगह आम आदमी पार्टी के हित में काम करने वाला है।

 

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अभिभावकों के साथ 21 से 24 जून, 2019 तक होने वाली बैठक रद्द होने पर दिल्ली के उपराज्यपाल का धन्यवाद करते हुये मनोज तिवारी ने कहा कि सरकारी संस्थाओं का अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करना केजरीवाल की पुरानी आदत है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। दिल्ली में शिक्षा का व्यापक क्षेत्र है और इससे लाखों लोग जुड़े हैं इसलिए केजरीवाल शिक्षा से जुड़ी हुई संस्थाओं पर दबाव डालकर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करवाते हैं जिससे आम आदमी पार्टी को फायदा मिल सके। ऐसे कार्यक्रमों में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता जाकर अपना राजनैतिक एजेंडा रखते हैं और केजरीवाल का समर्थन करने के लिए अभिभावकों और अध्यापकों पर दबाव डालते हैं जिसकी चारों तरफ निंदा होनी चाहिये।

 

आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए स्कूल प्रबंधन समितियों के ऊपर दबाव डालने की निंदा करते हुये तिवारी ने कहा कि अभिभावकों के परिवार वालों का ब्यौरा एकत्र करके बच्चों के ऊपर यह दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपने परिवार वालों को आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित करें। स्कूल प्रबंधन समितियों को यह सुनिश्चित करने के लिए यह भी कहा गया है कि किस बच्चे के परिवार में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी भी एकत्र करके दी जाये। केजरीवाल की शिक्षा नीति का यह माॅडल पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।

 

दिल्ली के उपराज्यपाल से स्कूल प्रबंधन समितियों को भंग करने की मांग करते हुये श्री तिवारी ने कहा कि 21 से 24 जून तक किये जाने वाले आयोजन के दोषी अधिकारियों के ऊपर त्वरित कार्रवाई की जाये। एसएमसी की आड़ में केजरीवाल जो कुछ करना चाहते थे उसके साक्ष्य सबके सामने आ चुके हैं। शिक्षा के बिगड़े मूलभूत ढांचे को सुधारने की वजाये उसके माध्यम से अपना राजनीतिक हित साधने के लिए केजरीवाल हमेशा नई-नई रणनीति बनाते रहते हैं, लेकिन दिल्ली के जागरूक मतदाताओं को यह पता चल चुका है कि शिक्षा की आड़ में केजरीवाल के माध्यम से किस तरह के खेल खेले जा रहे हैं। इसलिए अब दिल्ली के लोग उन पर भरोसा नहीं करते हैं।