योग हमारी संस्कृति और परम्परा का अहम हिस्सा हैः डा. शेख़ अक़ील अहमद

नई दिल्ली। योग हमारी संस्कृति और परम्परा का अहम हिस्सा है। योग को यदि अपने नियमित जीवन का अंग बना लिया जाए तो इससे न केवल हमें शारीरिक बीमारियों से छुटकारा मिलेगा बल्कि आत्मा की शान्ति भी प्राप्त होगी। योग परम आनंद का उत्तम माध्यम है। इससे हमे शारीरिक व अध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। यह विचार राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद कि निदेशक डा. शेख़ अक़ील अहमद ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग कराते समय व्यक्त किए। परम्परा के अनुसार इस वर्ष भी राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के मुख्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया जिसमें परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. शाहिद अख्तर के अतिरिक्त परिषद के स्टाफ ने भाग लिया। डा. शेख़ अक़ील अहमद ने इस अवसर पर न केवल योग के महत्व को बड़े सरल अंदाज में समझाया बल्कि एक योग प्रशिक्षक की तरह सभी स्टाफ को अनेक आसनों का अभ्यास भी कराया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए न केवल भारत में योेग को प्रचलित किया बल्कि विश्वभर में योग को प्रचलित करने का श्रेय भी उन्हें प्राप्त है और विश्व योग के महत्व को स्वीकार कर चुका है। यही कारण है कि आज वैश्विक स्तर पर 21 जून को योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हमें योग को धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि शारीरिक व्यायाम के तौर पर देखने की आवश्यकता है। योग का संबंध अध्यात्मिकता से भी है और अध्यात्मिकता की अवधारणा हर धर्म में मौजूद है। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में जिस तेजी के साथ विभिन्न प्रकार की बीमारियां सामने आ रही हैं, उनसे सुरक्षित रहने के लिए नियमित रूप से योग करने की आवश्यकता है।