अधूरी जानकारी, संदेश पूरा






राजनीति में अक्सर जो होता है वह दिखता नहीं है और जो दिखता है वह होता नहीं है। ऐसा ही हुआ है इंदौर के विधायक आकाश विजयवर्गीय के साथ जिन्होंने अतिक्रमण हटाने के लिए आई नगर निगम की टीम के एक अधिकारी पर बैट से हमला कर दिया था। इस घटना पर खासा विवाद हुआ और मामले में आकाश को जेल तक जाना पड़ा। लिहाजा सतही तौर पर देखने से अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस पूरे मामले में सीधे तौर पर आकाश की गलती इतनी गंभीर दिख रही है कि इसके कारण वे ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर कर दिये जाने की बात कर रहे हैं तो इसका सीधा मतलब यही है कि मोदी को या तो पूरे मामले की जानकारी नहीं मिली है अथवा उन्हें जान बूझकर सही जानकारी नहीं दी गई है। क्योंकि अगर पूरा सच उन्हें पता होता तो वे यह भी समझते कि उस अधिकारी पर आकाश ने शौकिया बल्ला नहीं भांजा था। वह कोई अपराधी या गैंगस्टर भी नहीं है जिसकी फितरत ही आक्रामक हो। बल्कि जिस अधिकारी पर आकाश ने हमला किया उसने कथित तौर पर एक महिला को सड़क पर घसीटने की हिमाकत की थी। साथ ही अपनी इस हरकत को गलत मानने के लिये भी वह तैयार नहीं था। इसके अलावा जिस भवन को गिराने के लिये वह वहां पहुंचा था उसमें उसकी इमानदारी नहीं थी बल्कि बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिये रची गयी साजिश में उसे भी शामिल बताया जा रहा है। इसी के कारण स्थानीय लोगों का आकाश को पूरा समर्थन मिल रहा है और स्थानीय भाजपा इकाई के काफी बड़े वर्ग से लेकर समाज के सभी वर्गों का उन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा है। लेकिन विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सत्रहवीं लोकसभा में भाजपा संसदीय दल की पहली बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसी के साथ भी अमर्यादित आचरण या दुव्र्यवहार करने वाले नेताओं को लेकर कड़ी आपत्ति जताने के क्रम में बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कह दिया है कि राजनीति में अनुशासन होना चाहिए। दुव्र्यवहार करने वाले लोगों को पार्टी से बाहर कर देना चाहिए। ऐसा बर्ताव अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने वाले लोग भले ही किसी के भी बेटे क्यों ना हों, लेकिन उन्हें मनमानी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हालांकि ऐसी तल्ख टिप्पणी करने के क्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने इंदौर के विधायक आकाश विजयवर्गीय को लेकर ही यह बात कही है। हालांकि प्रधानमंत्री ने अनुशासनहीनता को कतई बर्दाश्त नहीं करने और मर्यादा की सीमा लांघनेवाले 'किसी के भी बेटे' को पार्टी से बाहर निकाले जाने की जो बात कही है उससे आकाश के पिता व भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी पूरी तरह सहमत हैं। लेकिन उनका यह भी मानना है कि उनके बेटे ने कुछ भी ऐसा गलत नहीं किया है जिसे अनुशासनहीनता या अमर्यादित आचरण के तौर पर देखा जाये। सूत्रों के मुताबिक चुंकि आकाश के बल्ला चलाने की घटना के समय प्रधानमंत्री जापान यात्रा पर थे लिहाजा कैलाश को लगता है कि स्वदेश वापस लौटने के बाद उन्हें मामले की सही व पूरी जानकारी नहीं मिल पायी है जिसके कारण उन्होंने आज संसदीय दल की बैठक में इस मामले को लेकर इशारों ही इशारों में बेहद तल्ख टिप्पणी कर दी है। ऐसे में कैलाश के करीबियों का कहना है कि अब एक ओर तो पार्टी के कारण बताओ नेटिस का जवाब देने के क्रम में आकाश खुद ही औपचारिक तौर पर पूरे मामले की विस्तार से जानकारी देते हुए यह बताएंगे कि बल्ला उठाकर उन्होंने कोई गलती नहीं की और दूसरी ओर कैलाश खुद भी मोदी से मिलकर उन्हें पूरे मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए अपने बेटे को निर्दोष साबित करने की पहल करेंगे। लिहाजा अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी की नाराजगी को दूर करने और अपने बेटे को अनुशासनात्मक कार्रवाई की मार से बचाने में कैलाश किस हद तक सफल हो पाते हैं। लेकिन इस सबसे अलग हटकर देखें तो बेशक को इस पूरे मामले की जानकारी हो या ना हो लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि किसी भी हालत में आकाश को बल्ला नहीं उठाना चाहिये था। अगर अधिकारी ने किसी महिला के साथ दुव्र्यवहार भी किया था तो एक विधायक होने के नाते आकाश को कानून अपने हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं हो सकता है। वैसे भी इस पूरे प्रकरण में असली मुद्दा गौण हो गया है और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा सिर्फ बल्ला चलाने की हो रही है। निश्चित ही इससे पार्टी की छवि धूमिल हुई है और उस पर उन्होने यह कह दिया कि पहले आवेदन, फिर निवेदन और इससे बात नहीं बनने पर दे दनादन करना ही उनका संस्कार है। साथ ही इस मामले पर सवाल पूछे जाने पर उनके पिता ने आपा खोकर जिस तरह से मिडिया के औकात की बात कह दी उससे भी पूरे मामले क चर्चा में वह असली मसला दब कर रह गया। ऐसे में अब अगर प्रधानमंत्री ने अनुशासनहीनता को कतई बर्दाश्त नहीं करने और मर्यादा की सीमा लांघनेवाले 'किसी के भी बेटे' को पार्टी से बाहर निकाले जाने की जो बात कही है उससे यह संदेश तो मिल ही रहा है कि मोदी ने कानून अपने हाथ में लेने वालों को यह आखिरी चेतावनी दे दी है। वे माॅब लिंचिंग करने वाले भी हैं और गऊरक्षा की आड़ में गुण्डागर्दी करने वाले भी। तभी तो नसीहतों का पाठ पढाने के क्रम में मोदी ने किसी का नाम लेना जरूरी नहीं समझा। यह ऐसा ही है जैसे नाथूराम गोडसे की तरफदारी करने पर प्रधानमंत्री ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को लताड़ लगाई थी और ऐसा करने वालों को कभी माफ नहीं करने की बात कही थी। जाहिर तौर पर इसका संदेश तब भी पूरा गया था और अब भी पूरा  ही गया है, भले सूचना आधी अधूरी व एकपक्षीय ही क्यों ना हो।