जब 2000 कमरें बनाये ही नहीं गये तो उसका फंड किसकी जेब में गया-विजेन्द्र गुप्ता

   #केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता सोमवार को उपराज्यपाल से मिलेंगे


नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज प्रदेश कार्यालय पर केजरीवाल सरकार द्वारा शिक्षा के नाम पर किये जा रहे एक और बड़े भ्रष्टाचार को दिल्ली की जनता के सामने उजागर करने को लेकर प्रेसवार्ता की। इस प्रेसवार्ता में मुस्तफाबाद के विधायक  जगदीश प्रधान एवं प्रदेश मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।


पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि शिक्षा के नाम पर बड़े बड़े दावें करने वाली केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में शिक्षा के नाम पर लूट मचाई है। स्कूलों के निर्माण की बात आजकल चर्चा में है, लेकिन चर्चा के उलट मीडिया में सस्ती लोकप्रियता बटोरने वाले मुख्यमंत्री ने बीते साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में एक भी नया स्कूल नहीं बनाया जबकि चुनाव के समय वादा 500 नये स्कूल बनाने का किया था। नये क्लासरूम बनाने के नाम पर डूप्लीकेसी ऑफ वर्क को अन्जाम दिया गया है। एक तरफ एक्सट्रा आर्डिनेरी रिपेयर को लेकर वित्त वर्ष 2016-17 व 2017-18 में 1000 करोड़ रूपये के फंड को पीडब्लूडी के माध्यम से खर्च में दिखाया गया है जिसका कोई हिसाब किताब नहीं है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रारयरिटी-1 के कमरों को बनाने के लिए 1500 करोड़ रूपये का फंड सेक्शन किया गया है। केजरीवाल सरकार बताये कि 1000 करोड़ के फंड को वो किस चीज पर खर्च कर रहे है। प्रारयरिटी-1 के कमरों को लेकर कोई लेखा जोखा नहीं बनाया गया है जो कि सीधे तौर पर बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है।


श्री गुप्ता ने कहा कि स्कूलों के कमरों की हकीकत को जानने के लिए हमने स्वंय दिल्ली के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया जिसके बाद चैकानें वाले तथ्य सामने आये जिसे हम आपके सामने रख रहे हैं। छत्तरपुर विधानसभा के मान्डीं गांव में 98 कमरें तैयार करने की बात दिल्ली सरकार ने की है। सच्चाई इसके विपरीत है कुल 56 क्लास रूम बनाये गये है जिनमें 8 लैब है जिन्हें हम दो कमरों के बराबर भी गिने तो कुल निर्माण किये कमरों की संख्या 72 होती है। इसी प्रकार महरौली साकेत के जे ब्लाक में सर्वोदय बाल विद्यालय में 68 कमरों का निर्माण बताया गया है जिसमें 5 लैब व एक लाईब्रेरी को दो कमरों के रूप में गिना जाये तो भी कुल 40 कमरें होते है। रोहिणी में 12 कमरें सरकार ने बताये वास्तविकता में केवल 9 कमरें थे। करावल नगर में 81 कमरें लेकिन वास्तविकता में केवल 65 कमरें बने है। मुस्तफाबाद के टुकमीरपुर के दो स्कूलों में 44 और 32 कमरें बताये गये, लेकिन हकीकत में केवल 22 व 16 कमरें तैयार मिलें।
श्री गुप्ता ने कहा कि प्रारयरिटी-1 में कुल 8089 क्लासरूम बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने कुल 7137 कमरों का काम डीएसआईडीसी और 952 कमरों के निर्माण के लिए पीडब्लूडी को काम दिया। जमीन पर निरीक्षण के दौरान केवल 6000 कमरों का निर्माण कार्य मिला जो कि उत्तम गुणवत्ता का भी नहीं है। हम केजरीवाल सरकार से जानना चाहते है कि 2000 कमरें कहां गये और उनके निर्माण के लिए जारी फंड का लेखा जोखा कहां है, जवाब दे। दिल्ली सरकार द्वारा 500 करोड़ रूपये का एस्कलेशन बिना टेंडर के किया गया, 30 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक एस्कलेशन के रूप में दिखाया गया कि हम कमरों को सुविधाओं से बेहतर बना रहे है। बारिश के पानी के लिए स्कूलों में कोई इन्तजाम नहीं किये गये है, केवल घटिया पाईप को लगाकर पानी को खुले में छोड़ दिया गया है। बिना टेंडर किये 500 करोड़ रूपये का खर्चा दिखाना एक्सट्रा आर्डिनेरी रिपेयर, मेन्टेनेंस और प्रोजेक्ट के नाम पर हजारों करोड़ रूपये का घोटाला किया गया है जिसका कोई हिसाब दिल्ली सरकार के पास नहीं है। 22 कमरें बनाने के नाम पर 44 कमरों का भुगतान किया गया है जो बड़े भ्रष्टाचार को स्पष्ट करता है।


श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 8089 क्लासरूम के निर्माण कार्य का भुगतान किया है लेकिन जमीन पर केवल 6000 कमरें ही है ऐसे में 2000 कमरों के फंड का क्या हुआ केजरीवाल दिल्ली की जनता को बताएं। हम केजरीवाल सरकार द्वारा किये जा रहे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ सोमवार को उपराज्यपाल से मिलकर उन्हें इस प्रकरण से अवगत करायेगें। दिल्ली भाजपा केजरीवाल सरकार के नये कमरों के निर्माण कार्य के नाम पर किये जा रहे इस बड़े घोटाले की सीएजी व सीबीआई से स्वतंत्र जांच की मांग करती है। दिल्ली सरकार के कुल 1038 स्कूलों में से 800 स्कलों में आज भी एक क्लास रूम के अन्दर 100 से 150 छात्र पढ़ रहे है। कई स्कूलों में शौचालय तक नहीं है। संगम विहार के स्कूल में बच्चे टेन्ट में पढने को मजबूर हैं। दिल्ली के कुल 60 प्रतिशत स्कूलों में निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ा गया है जिसके कारण अव्यवस्था फैली हुई है।


श्री गुप्ता ने कहा कि विपक्ष के किसी भी विधायक को नगर निगम का सदस्य मनोनित नहीं किया गया है जिसे लेकर मैनें दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी है। केजरीवाल सरकार ने पांच साल में विपक्ष के एक भी विधायक को नगर निगम का सदस्य मनोनित नहीं किया है जो कि सीधे तौर पर विपक्ष के साथ भेदभाव व सवैंधानिक प्रकिया का उल्लघंन है। दिल्ली सरकार के पास विपक्ष को मनोनित करने का आखिरी मौका था लेकिन केजरीवाल ने ऐसा नहीं किया। दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 (संशोधित 1995) के तहत विधानसभा के प्रत्येक सदस्य की कम से कम एक बार नगर निगम में नामित किया जाना चाहिए। अधिनियम का पालन करते हुये केजरीवाल को 12 जुलाई को जारी सूची को वापस लेना चाहिए जिसमें आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश त्रिपाठी, जितेन्द्र सिंह तोमर, राजेश गुप्ता, संजीव झा, शरद कुमार, अमानतुल्लाह खांन, भावना गौड़, जरनैल सिंह और सरिता सिहं के नाम है जो लगातार तीसरें वर्ष भी निगम के सदस्य नामित किये गये है। केजरीवाल सरकार विपक्ष को जानबूझ कर दरकिनार कर रही है यदि नामित सदस्यों में विपक्ष के विधायक को शामिल नहीं किया गया तो हमें न्याय के लिए न्यायालय जाना पड़ेगा।