फुटपाथ नहीं है सुरक्षित

(हर्ष शर्मा)


फुटपाथ केवल पैदल चलने वाले लोगों के लिए बनाए गए है ताकि वे दुर्घटना से अपने आपको बचाकर सुरक्षित चल सकें, लेकिन आलम यह है कि इन पर हाकरों , रेहड़ीवालों और दुकानदारों के कब्जे हो गए हैं। पैदल चलने वाले रास्तों पर पूरी तरह दुकानदारों ने अतिक्रमण कर लिया है। कुछ दुकानदारों ने फुटपाथ पर तख्त डालकर, तो कुछ ने स्लैब लगाकर पूरा ही कब्जा लिया है। इस वजह से पैदल यात्रियों के लिए कोई जगह ही नहीं बचती।
सड़क साफ सुथरी हो तो गाड़ी चलाना जितना अच्छा लगता है उतना ही फुटपाथ जितनी स्वच्छ और खाली हो उस पर चलना अच्छा लगता है। फुटपाथ शहर में लोगो के लिए चलने का मार्ग होता है, जिससे रोड पर गाड़ी और फुटपाथ पर बच्चे, बूढ़े आराम से बिना रुकावट चल सके। रोड की यातायात व्यवस्था में रुकावट ना हो इसलिए फुटपाथ को व्यवहार किया जाता है,किन्तु अब यह धीरे धीरे सिर्फ नियमों की किताबों में बंधे होने जैसा दिख रहा है।
जब भी हम सड़क पर चलते हैं, तो ट्रैफिक पुलिस हमें सलाह देते है कि कृपया पैदल चलने के नियमो का पालन करें। कोलकाता, मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में यातायात पुलिस नियमों का पालन नहीं करने के लिए जुर्माना वसूलती है। आजकल हमारे देश की यातायात व्यवस्था में बहुत सुधार हुआ है लेकिन एक बात अपरिवर्तित है ,हमारे देश के हॉकर्स या फेरीवाले जो फुटपाथ को अवरुद्ध कर देते हैं।
हम अक्सर देखते हैं कि जब भी कोई मंत्री या उच्च पदाधिकारी बाजार के पास घूमने आते हैं, तब वहा से सभी फेरीवालों को उठा दिया जाता है, यह कार्य पुलिस करती है। ज्यादातर फेरीवाले जो रोड पे समान बेचते है वे पुलिस की मदद से बैठते है बदले में उनकी मुठी गरम करते है।
भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में लोग बहुत अधिक मात्रा में सड़कों पर खरीदारी करते हैं, वे वहां दुकान लगाते हैं क्योंकि फेरीवाले किसी अन्य विक्रेता की तुलना में बहुत सस्ते दर पर उत्पाद बेचते हैं, इसीलिए तो कहा जाता है रास्ते का माल सस्ते में। हॉकर्स अपने स्टाल बनाने के लिए प्लास्टिक तिरपाल का उपयोग करते हैं और वे फुटपाथ को अवरुद्ध करते हैं, उनके स्टॉल ज्यादातर इमारतों से जुड़े होते हैं और जब भी कोई दुर्घटना घटती है तो स्थानीय बिल्डिंग के व्यक्तियों को हमेशा नुकसान होता है। उदाहरण के लिए कुछ दिनों पहले कोलकाता के गरियाहाट मार्केट और बाग्री मार्केट, दोनों ही जगह इमारत में आग लग गई और हॉकर्स के स्टाल इमारतों के साथ जुड़े होने के कारण दमकल कर्मी ठीक समय पर आग पर काबू नहीं कर पाए और परिणामस्वरूप सब कुछ नष्ट हो गया। भारत में अधिकांश इमारतें अग्नि सुरक्षा उपायों के बिना ही सुसज्जित हैं।
रोड पर स्टाल लगाने से सिर्फ रोड अवरुद्ध ही नहीं होती बल्कि कचरा भी बहुत ज्यादा होता है, कभी कभी तो इतना ज्यादा कचरा फैल जाता ही कि पूरी रोड ही कचरे से गंदी हो जाती है, यह खासकर जहां बहुत ज्यादा तादात में फेरीवाले अपना व्यापार करते है वहा अक्सर देखने को मिलता है।
चूँकि फेरीवाले समान बेचकर अपनी रोजी रोटी कमाते है किन्तु यह अब रास्ते की भीड़ का सबसे बड़ा कारण भी बन रहे है। अगर फुटपाथ खाली नही होगी तो सभी लोग रोड पर चलेंगे और ऐसा होने से सड़क दुर्घटना के कारण और बढ़ जाते है और इसीलिए फेरीवालों के लिए समाधान खोजने के लिए अगर कुछ बदलाव किए जाए तो कुछ समाधन संभव है, यदि सरकार उन्हें बहुत कम दर पर जीवनी के लिए एक क्षेत्र प्रदान करती है, ताकि वे फुटपाथ और फुटपाथों को छोड़ सकें, तब वे फिर भी तैयार हो सकते है। यह कदम एक बेहतर समाधान हो सकता है, क्यों ना इन सब को एक बिल्डिंग में जगह दी जाए जिससे कि वे सभी हॉकर्स एक ही बिल्डिंग में व्यापार कर सके और इससे कचरा भी कम होगा और फुटपाथ भी खुली खुली हो जाएंगी, जिससे कि लोगो को चलने में आसानी हो जायेगी।
हॉकर्स फुटपाथ को अपने रोजगार के साधन के रूप में व्यवहार करते है, और फिर वो जगह वे गैर कानूनी रूप से रोक लेते है। इस देश में ये लोग इतनी ज्यादा संख्या में है कि इनपर प्रतिबंध लगाना भी असंवेधानिक होगा। इसमें सरकार को गंभीर रूप से विचार करने की आवश्यकता है, अगर कभी ऐसा होता है, तो यह एक प्रकार से गरीब लोगों के लिए एक मॉल का काम करेगा।