सरकारों ने शेर-ए-पंजाब को भूला दिया- सिरसा

नई दिल्लीदिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष स. मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि महाराजा रणजीत सिंहने खालसा राज चलाते हुए लोगों को धर्म निरपेक्ष शासन दिया। यह विचार उन्होंने यहां गुरुद्वारा बंगला साहिब में दिल्ली कमेटी द्वारा महाराजा रणजीत सिंह की बरसी के मौके पर आयोजित समागम को संबोधन करते हुए प्रकट किए।


स. सिरसा ने कहा कि आज के समय में लोकतंत्र के चलते हुए भी सरकारें धर्म निरपेक्ष शासन नहीं दे पा रहीं है। उन्होंने कहा कि चाहे हमारा संविधान धर्म निरपेक्ष है और सरकारों द्वारा दावे किये जाते हैं कि वह धर्म निरपेक्ष हैं पर सियासी पार्टीयां किसी न किसी धर्मविशेष को अपना वोट बैंक बनाने के लिए छुपा हुआ ऐजेंडा लेकर चल रही हैं। दिल्ली कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के समय तो लोकतंत्र भी नहीं था उन्होंने राज शमशीर(किरपान) के ज़ोर पर मुगलों से छीन कर खालसा राज कायम किया था। उनकी कोई मजबूरी नहीं थी धर्म निरपेक्ष राज चलाने की क्योंकि उन्होंने वोट नहीं लेनी थी उन्होंने अपना राज गुरुओं के दिये उपदेश के मुताबिक चलाया। उन्होंने बताया कि महाराजा रणजीत सिंह ने गुरु हरि गोबिंद सिंह साहिब के मीरी-पीरी के सिद्धांत को भी अपने शासन में लागू किया और शेर-ऐ-पंजाब ने सभी धर्म के लोगों को बराबर का हक और आदर दिया।


दिल्ली कमेटी अध्यक्ष ने बताया कि महाराजा रणजीत सिंह ने बड़ी-बड़ी जागीरें गुरु घर के नाम लगवाई। तख़्त दमदमा साहिब और तख़्त श्री हज़ुर साहिब को सरगर्म रुप में तैयार किया। उन्होंने कहा कि अपने शासन काल के दौरान शेर-ए-पंजाब ने श्री अकाल तख़्तसाहिब की सर्वोच्चता को कायम रखा और जब भी अकाल तख़्त  साहिब द्वारा कोई हुक्म जारी हुआ तो पूरी श्रद्धा के साथ सिर झुकाया।


स. सिरसा ने बताया कि शेर-ए-पंजाब के शासन में साक्षरता पर बहुत ध्यान दिया जाता था उन्होंने बताया कि उस समय पंजाबी के कायदे भी महाराजा रणजीत सिंह ने ही तैयार करवाये थे और पटवारियों की डियुटी लगाई थी कि वह कम से कम 10 लोगों को पंजाबी पढ़ायें और आगे हरेक को 10-10 लोगों को पंजाबी पढ़ाने के लिए कहें।स. सिरसा ने कहा कि अफसोस की बात है कि हम सब महाराजा रणजीत सिंह को और उनके द्वारा कौम के लिए किये गये कामों को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकारोंको ऐसे योद्धाओं को याद रखना चाहिए और खासकर पंजाब सरकार का तो ज़रूर याद रखना चाहिए। लेकिन सरकारों ने महाराजा रणजीत सिंह को भूला दिया है क्योंकि सरकार अपने बोटबैंक् के हिसाब से ही महान शखसीयतों को याद रखती हैं पर यहां स. सिरसा ने श्री नीतिश कुमार का धन्यवाद किया कि उन्होंने बिना किसी सियासी हित के गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मस्थान पटना साहिब में शानदार समागम करवाया था। उन्होंने आगे कहा कि यह खुशी की बात है कि शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी केउपक्रम से पाकिस्तान में महाराजा रणजीत सिंह की बरसी पर शानदार समागम आयोजित किया गया है।


  इस मौके पर भाई रणजीत सिंह हैड ग्रंथी बंगला साहिब ने भी महाराजा रणजीत सिंह के जीवन पर रोशनी डाली। इस से पहले रागी सिंहों, डाढी सिंहों और कवियों ने भी हाजरी लगाई।स. सिरसा के अलावा दिल्ली कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीबी रणजीत कौर, परमजीत सिंह चंडोक, जतिंदरपाल सिंह गोलडी, स. दलजीत सिंह सरना, रमिंदर सिंह सवीटा ने भी हाज़रीलगाई।