स्कूली शिक्षा में बदलाव की जरुरत

आज विकास के पथ पर निरंतर बढ़ते नए भारत में शिक्षा की बहुत ज्यादा जरूरत है हमारे देश में शिक्षा का स्तर धीरे धीरे ऊंचा भी हो रहा है। एमबीए, सीए,बीटेक, एमटेक इन डिग्रियों की न जाने लाइन लगी हुई है। आज हमारे पास इंजीनियर डॉक्टर बहुत ज्यादा है लेकिन क्या यह प्रभावशाली है, क्या उनमें उस स्तर वह कौशलता है? कुछ हद तक हाँ कह सकते है कि है मगर ज्यादातर देखा जाए तो पता चलेगा कि कहीं कुछ कमी जरूर है। आखिर वह क्या कमी रह गई है जो हमारे देश के एजुकेशन सिस्टम को खोखला करती जा रही है। गवर्नमेंट स्कूल और प्राइवेट स्कूल में बढ़ता हुआ अंतर समाज में अपने आप में एक चुनौती है, आज एक गरीब के माता-पिता अपने बच्चे को गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ाने की वजह प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उनके बच्चे जो गवर्नमेंट स्कूल में सुविधा प्राप्त नहीं कर पाएंगे या एक अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाएंगे वह प्राइवेट स्कूल में कर पाएंगे इसी कारण से वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजना ज्यादा पसंद करते हैं चाहे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो या ना हो। हमारी गवर्नमेंट को इसमें सुधार करने की जरूरत है आज किसी को उच्च शिक्षा के लिए एडमिशन लेना है तो वह किसी गवर्नमेंट कॉलेज में अप्लाई करता है लेकिन सीट्स इतनी कम होती है की सभी को एडमिशन दे पाना संभव नहीं हो पाता और वह प्राइवेट में किसी तरीके से एडमिशन लेता है जिससे कि उसके सर पर लोन और आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है कभी-कभी तो कुछ बच्चे आर्थिक व्यवस्था ठीक ना होने के कारण या फिर लोन ज्यादा हो जाने के कारण अगर वह पूरी तरह से नहीं चुका पाते और आत्म हत्या तक कर लेते हैं।
अगर शिक्षा व्यवस्था को हमें अच्छा बनाना है तो कहीं ना कहीं हमें जमीनी स्तर पर काम करना होगा, क्योंकि संसद में फैसले तो बहुत लिए जाते है पर बात जब जमीनी स्तर की होती है तो उसका कुछ ही प्रतिशत कार्य हो पाता है। सरकार को यह सोचना होगा कि हम प्राइमरी स्कूल के बच्चों को किस प्रकार अच्छी सुविधा प्राप्त करवा सकते हैं अगर हम अपने बच्चों को अच्छी सुविधा दिलवाएंगे तो वही आगे बढ़कर देश के उज्जवल भविष्य को एक नई दिशा देंगे और आगे बढ़ाएंगे।
गवर्नमेंट स्कूलों की हालत तो आज भी वैसे ही है जैसे सालों पहले थी कोई खास सुधार नहीं आया है हां यह जरूर है कि पहले से अभी की अपेक्षा शिक्षकों में ज्ञान ज्यादा है वह ज्यादा पढ़ लिख कर आते हैं, अच्छे योग्यता के अनुसार आते हैं और फिर बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं लेकिन यहा इतना ही काफी नहीं है सिर्फ किताबी ज्ञान उनके लिए काफी नहीं होगा बच्चों को अगर आगे बढ़ाना है तो उन्हें बचपन से ही ऐसी सोच में आगे बढ़ाना होगा जिससे कि वह कुछ सीख सके और कौशलता के साथ बढ़ सके ना कि सिर्फ देखकर याद कर सके और परीक्षा दे।
आज हर चीजों को इतना ज्यादा प्राइवेटाइज कर दिया गया है कि आप अगर देखेंगे जहां भी जाएंगे वहां आपको एक कोचिंग सेंटर मिलेगा। बच्चे स्कूल तो जाते ही हैं साथ ही कोचिंग पढ़ने भी जाते है, बच्चों में आज ऐसा भय स्थापित कर दीया गया है कि वे बिना कोचिंग पास ही नहीं हो सकते, और देखा जाए तो कोचिंग सेंटर भी कुशलता पर ना काम करके सिर्फ बिजनेस के हिसाब से ही चलते है।
वह भारी किताबों से भरा हुआ बैग जो कि बच्चों के कंधों पर भारी दबाव डालता है वही बैग उन्हें सारे दिन अलग-अलग कोचिंग सेंटर्स में भी ले जाकर अपना समय देना पड़ता है क्या यह उनके लिए सही है, बच्चों को सिर्फ साइकिल देना दोपहर के में खाना खिलाना सिर्फ इससे ही बच्चे आगे बढ़े यह सोच लेना यह संभव नहीं उसके लिए एक बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है और जब तक यह नहीं होगा तब तक यह संभाव नहीं है। यही वजह है कि आज इतने आईआईटीयंस हैं इतने ज्यादा एमबीए हैं इतने ज्यादा चार्टर्ड अकाउंटेंट है लेकिन उनके पास कोई कुशलता नहीं है, सरकार ने स्किल इंडिया तो शुरू किया लेकिन कुछ शिक्षा संस्थानों ने उसका फायदा उठाकर अपना शिक्षा को बिजनेस बना दिया। अगर कुशलता नहीं होगी तो वह देश को कैसे बेहतर बनाने की दिशा में अपना योगदान दे पाएंगे।